Hindi:
दादा जिनदत्त सूरी जी का जीवन अत्यंत उपकारी और जिन साशन को देव शक्ति के रूप में वरदान की तरह रहा है। बचपन में सोम और संयम जीवन में दत्त हमे खरतर गछ के प्रकाश को रोशन करने का नाम है। सोम सप्ताह के प्रथम वार और दत्त प्रथम दादा गुरुदेव का नाम है। "दत्त नाम दुःख भजन हारा" यह नाम हर गुरु भक्त को संकट और दुःख के समय याद आता है; पर "दत्त सम्पति दातार दयालु" भी सुख और समृद्धि की निशानी है। "जो सुमरे फल निश्चय पावे" यह जीवन का सार है, पर जब तक जीवन में अहंकार रहेगा तब तक गुरु का सम्मान उनकी अनुभूति नही मिलेगी। यदि उनको पाना है तो हम अंबड जैसा श्रावक बनना पड़ेगा और उनके प्रति अटूट विश्वाश और श्रद्धा जागृत करनी पड़ेगी। उनके गच्छ सञ्चालन की नीति समझनी पड़ेगी। स्वयं को जीवन की नाव समझकर गुरु को सागर सम समझ कर उस पर अपनी नाव को झोंकना पड़ेगा और जीवन नैया को पार कराने की विनती। भक्ति गुरुदेव की स्मृति को अपने कषाय रहित जीवन में गुरुदेव को बारम्बार याद करना होगा। इनके उपकार को हम एक ऋण मान कर सदा गच्छ के उत्थान में बढ़ चढ़ कर सहभागिता देनी होगी ।
अब गच्छ का हर युवा एक हो और गच्छ के विकास को अपना पुरुषार्थ समझ कर गुरुदेव के प्रति अपनी भावांजलि देवे यही गुरु चरणों में सच्ची श्रद्धांजली
खरतर गच्छ युवा मंच
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सचिन पारख रायपुर