Pravachan
Delhi
05.10.2014
आज की प्रेरणा.......
प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण......
विषय - दीक्षा संस्कार........
मैं बिना किसी भूमिका के अब दीक्षा की रश्म अदा कर रहा हूँ | दीक्षार्थी भाई
बहन उपस्थित हैं,उनके अभिभावकों के लिखित आज्ञापत्र मुझे प्राप्त हो गए
हैं, उनसे मौखिक अनुमति भी मैं लेना चाहूँगा | दीक्षार्थियों से भी मेरा कहना
है - अभी तक तुम लोग गृहस्थ हो, अब साधु बनने जा रहे हो, अपने मन को
टंटोल लो,कोई कच्चाई हो तो अभी भी तुम घर जा सकते हो| तो अब मैं आप
लोगों को दीक्षा ग्रहण करा रहा हूँ | भगवान् महावीर, आचार्य भिक्षु से लेकर
आचार्य कलुगणी, मेरे गुरु आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ को वन्दन करते
हुए मैं इस कार्य का प्रारम्भ कर रहा हूँ| साध्वी प्रमुखा जी, मेरे उपकारी मंत्री
मुनि सभी रत्नाधिक मुनिवृन्द को वंदन!........अब आप साधु श्रेणी में आ
गए हो | अब केश लुंचन संस्कार..........अब राजोहरण संस्कार | राजोहरण
अहिंसा की साधना का प्रतीक | अब नामकरण संस्कार | साधु का जीवन
संयम का जीवन | संयम से जीना, संयम से चलना, संयम से उठना, संयम
से बैठना, संयम से खाना व हर पल संयम का अभ्यास करना| तो तुमलोग
खूब संयम का जीवन जीओ और खूब अच्छा विकास करो |
दिनांक - 5.10.2014 ASHOK PARAKH
9233423523
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