03.12.2022: Jain Swetambar Terapanthi Mahasabha

Published: 03.12.2022

Posted on 03.12.2022 19:09

मंगलकारी मंगल पाठ परम पूज्य गुरुदेव के मुखारविंद से

मंगलकारी मंगल पाठ परम पूज्य गुरुदेव के मुखारविंद से

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🌸 सारभूत ज्ञान के अर्जन का हो प्रयास : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण 🌸
-चावण्डिया कलां से लगभग 14.5 कि.मी. का विहार कर आचार्यश्री पहुंचे चंडावल
-आचार्य भिक्षु की अभिनिष्क्रमण भूमि बगड़ी से बस एक पड़ाव दूर
-अखण्ड परिव्राजक का सान्ध्यकालीन विहार, साण्डिया में किया रात्रिकालीन प्रवास
03.12.2022, शनिवार, चंडावल, पाली (राजस्थान)
जन-जन को तारने वाले, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, तेरापंथ के प्रवर्तक आचार्य भिक्षु के परंपर पट्टधर, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ शनिवार को प्रातःकाल की मंगल बेला में चावण्डिया कलां से मंगल विहार किया। संकरे और टूटे-फूटे मार्ग के दोनों ओर स्थित अधिकांश खेत तो खाली नजर आ रहे थे, किन्तु किन्हीं-किन्हीं खेतों में सरसों, अरण्डी आदि की फसलें भी दिखाई दे रही थीं। मार्ग में आने वाले अनेक गांव के ग्रामीण जनता को आचार्यश्री के दर्शन कर मंगल आशीष प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
विहार के दौरान आचार्यश्री चंडावल गांव स्थित श्री महावीर गौशाला में भी पधारे। गौशाला से संबंधित लोगों ने आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। लगभग पन्द्रह 14.5 किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री चंडावल गांव में स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में पधारे।
विद्यालय प्रांगण में आयोजित मंगल प्रवचन कार्यक्रम के दौरान आचार्यश्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि जीवन में ज्ञान का परम महत्त्व होता है। अज्ञानी आदमी भला अपने कल्याण और पाप को कैसे जान सकता है। इसलिए जीवन में ज्ञान का परम महत्त्व होता है। ज्ञान के विकास के लिए स्वाध्याय आवश्यक होता है। अच्छा ज्ञान प्राप्त हो जाए तो आदमी का मन भी एकाग्र हो सकता है। वह ज्ञान के द्वारा स्वयं भी सन्मार्ग पर चल सकता है और दूसरों को उत्प्रेरित कर सन्मार्ग दिखा भी सकता है। स्वाध्याय व ज्ञान के विकास में पहली बाधा नींद होती है। अति निद्रा की बात जहां होती है, वहां भला स्वाध्याय कैसे संभव हो सकता है। ज्यादा हंसी-मजाक में लगे रहने के कारण समय व्यतीत हो जाए तो भी स्वाध्याय में बाधा है। इसलिए आदमी को अति निद्रा और ज्यादा हंसी-मजाक में समय नहीं लगाना चाहिए।
ज्ञान को कंठस्थ करने का भी प्रयास किया जाता है। ज्ञान प्राप्त हो जाए और वह ज्ञान कंठस्थ हो जाए तो वह बहुत ही उपयोगी सिद्ध हो सकता है। कंठस्थ ज्ञान का चितारना तो अंधेरे में भी किया जा सकता है। ज्ञान कंठस्थ हो, मुखस्थ हो तो बिना पुस्तक खोले कहीं भी कभी भी ज्ञान को प्रकाशित किया जा सकता है, किसी को बताया जा सकता है, समझाया जा सकता है। परम पूज्य गुरुदेव आचार्यश्री तुलसी को हजारों गाथाएं कंठस्थ थीं। ज्ञान का कोई पार नहीं होता है। इसलिए आदमी को अपने जीवन में प्रयत्नपूर्वक सारभूत ज्ञान को ग्रहण करने का प्रयास करना चाहिए। जिस क्षेत्र में आगे बढ़ना हो उससे संबंधित सारभूत ज्ञान के अर्जन का प्रयास हो तो ज्ञान सार्थक हो सकता है।
दोपहर तक इस विद्यालय में प्रवास करने के उपरान्त अपराह्न लगभग साढ़े तीन बजे अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी पुनः सान्ध्यकालीन विहार के लिए गतिमान हुए। चंडावल से लगभग छह किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री साण्डिया गांव स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में पधारे। जहां आचार्यश्री का रात्रिकालीन प्रवास हुआ।

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🌸 *युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण की मंगल सन्निधि में पहुंचे केन्द्रीय मंत्री पीपी चौधरी* 🌸

शनिवार को सायं साण्डिया में विराजमान युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में क्षेत्रीय सांसद व कॉर्पोरेट मामलों के केन्द्रीय राज्यमंत्री श्री पीपी चौधरी पहुंचे। उन्होंने आचार्यश्री को विधिवत वंदन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। श्री पीपी चौधरी से आचार्यश्री का संक्षिप्त वार्तालाप का भी क्रम रहा। आचार्यश्री के दर्शन से हर्षित श्री चौधरी ने आचार्यश्री से मंगलपाठ का श्रवण कर अपने गंतव्य को रवाना हो हुए।

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*-अखण्ड परिव्राजक का सान्ध्यकालीन विहार, साण्डिया में किया रात्रिकालीन प्रवास*

*03.12.2022, शनिवार, चंडावल, पाली (राजस्थान) :*

जन-जन को तारने वाले, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, तेरापंथ के प्रवर्तक आचार्य भिक्षु के परंपर पट्टधर, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ शनिवार को प्रातःकाल की मंगल बेला में चावण्डिया कलां से मंगल विहार किया। संकरे और टूटे-फूटे मार्ग के दोनों ओर स्थित अधिकांश खेत तो खाली नजर आ रहे थे, किन्तु किन्हीं-किन्हीं खेतों में सरसों, अरण्डी आदि की फसलें भी दिखाई दे रही थीं। मार्ग में आने वाले अनेक गांव के ग्रामीण जनता को आचार्यश्री के दर्शन कर मंगल आशीष प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

विहार के दौरान आचार्यश्री चंडावल गांव स्थित श्री महावीर गौशाला में भी पधारे। गौशाला से संबंधित लोगों ने आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। लगभग पन्द्रह 14.5 किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री चंडावल गांव में स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में पधारे।

विद्यालय प्रांगण में आयोजित मंगल प्रवचन कार्यक्रम के दौरान आचार्यश्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि जीवन में ज्ञान का परम महत्त्व होता है। अज्ञानी आदमी भला अपने कल्याण और पाप को कैसे जान सकता है। इसलिए जीवन में ज्ञान का परम महत्त्व होता है। ज्ञान के विकास के लिए स्वाध्याय आवश्यक होता है। अच्छा ज्ञान प्राप्त हो जाए तो आदमी का मन भी एकाग्र हो सकता है। वह ज्ञान के द्वारा स्वयं भी सन्मार्ग पर चल सकता है और दूसरों को उत्प्रेरित कर सन्मार्ग दिखा भी सकता है। स्वाध्याय व ज्ञान के विकास में पहली बाधा नींद होती है। अति निद्रा की बात जहां होती है, वहां भला स्वाध्याय कैसे संभव हो सकता है। ज्यादा हंसी-मजाक में लगे रहने के कारण समय व्यतीत हो जाए तो भी स्वाध्याय में बाधा है। इसलिए आदमी को अति निद्रा और ज्यादा हंसी-मजाक में समय नहीं लगाना चाहिए।

ज्ञान को कंठस्थ करने का भी प्रयास किया जाता है। ज्ञान प्राप्त हो जाए और वह ज्ञान कंठस्थ हो जाए तो वह बहुत ही उपयोगी सिद्ध हो सकता है। कंठस्थ ज्ञान का चितारना तो अंधेरे में भी किया जा सकता है। ज्ञान कंठस्थ हो, मुखस्थ हो तो बिना पुस्तक खोले कहीं भी कभी भी ज्ञान को प्रकाशित किया जा सकता है, किसी को बताया जा सकता है, समझाया जा सकता है। परम पूज्य गुरुदेव आचार्यश्री तुलसी को हजारों गाथाएं कंठस्थ थीं। ज्ञान का कोई पार नहीं होता है। इसलिए आदमी को अपने जीवन में प्रयत्नपूर्वक सारभूत ज्ञान को ग्रहण करने का प्रयास करना चाहिए। जिस क्षेत्र में आगे बढ़ना हो उससे संबंधित सारभूत ज्ञान के अर्जन का प्रयास हो तो ज्ञान सार्थक हो सकता है।

दोपहर तक इस विद्यालय में प्रवास करने के उपरान्त अपराह्न लगभग साढ़े तीन बजे अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी पुनः सान्ध्यकालीन विहार के लिए गतिमान हुए। चंडावल से लगभग छह किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री साण्डिया गांव स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में पधारे। जहां आचार्यश्री का रात्रिकालीन प्रवास हुआ।

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