Posted on 15.09.2021 15:48
दस धर्मो का बाग है सुन्दरइन्हें सजा लो अपने अंदर
तन मन जीवन भी महकेंगा
कर्म धूल सारी हर लेगा
क्षमा क्रोध से दूर करेगा
मार्दव मन का मान हरेगा
आर्जव सीधी चाल बनाता
सत्य ज्ञान का रूप दिखाता
शौच लोभ को दूर भगाए
संयम आतम स्वस्थ बनाये
तप से अपना नाता जोड़ो
त्याग से अपना मुख न मोड़ो
आकिंचन का पालन करना
ब्रह्मचर्य को धारण करना
दस धर्मो का करो आचरण
आतम का हो जाये जागरन
आतम का दर्शन करवाये
आतम आनन्द पा हर्षाये
दसलक्षण धर्म की जय जय जय
…सोरभ जैन…