News in English:
Location: | At.ma |
Headline: | Protect Soul And Misery Will Finish◄ Acharya Mahashraman |
News: | Acharya Mahashraman paying homage to Acharya Tulsi told that Acharya Tulsi always protected his soul. Muni Tulsi become Acharya in young age of 22 year. He served for long time as Acharya of Sangh. Mantri Muni Magan Lal ji told that time Acharya Tulsi is not 22 year old but 82 year old as he is getting experience of Acharya Kalugani who was 60 that time. Sadhvi Pramukha Kanakprabha also throw light on personality of Acharya Tulsi. |
News in Hindi:
‘आत्मा की सुरक्षा से दु:ख से मुक्ति संभव’- आचार्य महाश्रमण
आचार्य तुलसी की पुण्यतिथि पर शनिवार को गीतिका प्रस्तुत करती साध्वियां
आत्मा, गजपुर19 जून 2011 [जैन तेरापंथ समाचार ]
आचार्य महाश्रमण ने कहा कि कहा कि आत्मा की रक्षा करें। जो आत्मा सुरक्षित होती है वह शरीर के सभी दु:खों से मुक्त होती है। आदमी शरीर पर ध्यान देता है, लेकिन अपनी आत्मा की सुरक्षा पर ध्यान नहीं देता है। आत्मा को पाप कर्मों, झूठ, चोरी आदि से बचाना चाहिए। आचार्य श्री शनिवार को में आचार्य तुलसी के महाप्रयाण दिवस पर प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि गुरुदेव तुलसी ने आत्मरक्षा का जीवन जीया, वह धर्म का जीवन जीने की साधना करते थे। तुलसी 22 वर्ष की अवस्था में युवाचार्य से आचार्य बन गए थे। छोटी उम्र में आचार्य बने, उनका भाग्य प्रबल था। इतने लंबे समय तक आचार्य रहना बड़े भाग्य की बात है। मंत्री मुनि ने आचार्य कालूगणी को कहा कि छोटी उम्र की चिंता मत करो, इनका काम में संभाल लूंगा। किसी ने मगन मुनि से पूछा कि आचार्य की 22 वर्ष की ही उम्र है, तो मगन मुनि ने कहा कि 22 नहीं 81 वर्ष के है।
आत्मा की सुरक्षा..
आचार्य कालूगणी 60 वर्ष के एवं आचार्य तुलसी 22 वर्ष के है, यह पहले आचार्य थे, जो इतनी छोटी उम्र में आचार्य बने। कार्यक्रम में साध्वी प्रमुखा ने कहा कि आचार्य तुलसी ने जो सौंदर्य प्राप्त किया, वैसी ही उनके शरीर की कोमलता थी। आचार्य तुलसी का दीक्षा लेने का कोई विचार नहीं था। आचार्य कालूगणी से उनका संपर्क हुआ एवं प्रतिदिन आचार्य कालूगणी को देखते रहते थे, जिससे उनको दीक्षा की भावना जागी एवं उनकी माताजी से बात की, तो मां ने कहा तुम्हारी देखभाल कौन करेगा। कालूगणी रास्ते में विहार कर रहे थे, तो उन्हें कालू नाग का सुकून मिला। उनको ध्यान में आया कि कुछ शुभ होने वाला है। कुछ दिनों में आचार्य कालूगणी का स्वास्थ्य बिगड़ गया। आचार्य ने मेवाड़ में विहार किया, लेकिन स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ। तभी मंत्री मुनि मगनलाल से बात की, कि मेरा स्वास्थ्य सुधार नहीं हो रहा है। आगे क्या सोचना है तथा किसे यह भार सौंपा जाए। उनके मुंह से तुलसी का नाम आया, लेकिन छोटा है। यह कहते ही मगन मुनि ने कहा चिंता न करें, काम मैं संभाल लूंगा। कालूगणी ने युवाचार्य की नियुक्ति तुलसी के नाम लिखित में कर दी। इस अवसर पर अर्जुनलाल सिंघवी, तेरापंथ सभा अध्यक्ष रोशनलाल मादरेचा सहित कई श्रावक मौजूद थे। इससे पूर्व आचार्य तुलसी की पुण्यतिथि की पूर्व संध्या पर कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें महाराष्ट्र के नरेंद्र वनजारे, मनोज गुर्जर, संपत सुरीला आदि ने काव्य पाठ किया।
अतिथियों का सम्मान:
आत्मा में तुलसी परायण दिवस पर मुंबई से आए राष्ट्रवादी प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह, एकनाथ आत्माराम पाटील, समाजसेवी लादूलाल श्रीमाल, सुरेंद्र सुराणा आदि का सम्मान किया गया।