Jhini Charcha was written by Acharya Jeetmal. It contains macro things of metaphysics. Jain Terms like Leshya, Bhav, Gunsthan, Yog, Upyog have been discussed on basis of different Agam. He composed it in the form of poetry in an easy Rajasthani language.
Noted Singer Babita Gunecha has presented it in a melodious voice.
Jhini Charcha book contains 22 Dhal (Collection of 22 Poems) .
Dhal 9 Stanza 33 to 44
ढाल 9 पद्य 33 से 44
३३. पर नी मारी कवण मरे छे? उत्तर तास विचारो जी।
आठूं न मरे पर नीं मारी, अदल न्याव अवधारो जी।।
दूसरे के द्वारा मारने पर कौन-सी आत्मा मरती है? इसके उत्तर पर विचार करो। आठों आत्माएं दूसरे के द्वारा मारने पर नहीं मरतीं। इस अटल न्याय का अवधारण करो।
आत्मा, किन भावों में
३४. कुण-कुण भावे वरते आत्मा? द्रव्य परिणामिक भावे जी।
कषाय आत्मा दोय भाव वरते, उदै परिणामिक आवे जी।।
आत्मा किस-किस भाव में बरतती है? द्रव्य आत्मा पारिणामिक भाव में बरतती है। कषाय आत्मा औदयिक और पारिणामिक -इन दो भावों में बरतती है।
३५. जोग आत्मा चिहं भावे बरते, उपशम वरजी नामी जी।
उपयोग आत्मा त्रिहुं भावे वरते, खायक खयोपशम परिणामी जी।।
योग आत्मा औपशमिक भाव को छोड़कर शेष चार भावों में बरतती है। उपयोग आत्मा क्षायिक, क्षायोपशमिक और पारिणामिक -इन तीन भावों में बरतती है।
३६. ज्ञान आत्मा त्रिहं भावे वरते, खायक खयोपशम परिणामी जी।
दर्शण आत्मा पांच भाव में, वरते सही सुधामी जी।।
ज्ञान आत्मा क्षायिक, क्षायोपशमिक और पारिणामिक -इन तीन भावों में बरतती है। दर्शन आत्मा पांचों भावों में बरतती है।
३७. उदै वर्जी ने च्यार भाव में, चारित्र आत्मा वरते जी।
खायक ने खयोपशम भाव में, वीर्य शक्ति प्रवरते जी।।
चारित्र आत्मा औदयिक भाव को छोड़कर शेष चार भावों में बरतती है। वीर्य आत्मा क्षायिक और क्षायोपशमिक -इन दो भावों में बरतती है।
आत्मा और भाव
३८. उदै भाव छै किती आतमा? दर्शण जोग कषायो जी।
बाकी पांच आतमा छे ते, उदै भाव नहिं थायो जी।।
कितनी आत्माएं औदयिक भाव होती हैं? दर्शन, योग और कषाय - ये तीन आत्माएं औदयिक भाव होती हें। शेष पांच आत्माएं औदयिक भाव नहीं होती हैं।
३९. उपशम भाव छे किती आतमा? दुर्शण चारित्र दोयो जी।
अपर अनेरी षट् आत्मा ते, उपशम भाव न होयो जी।।
कितनी आत्माएं औपशमिक भाव होती हैं? दर्शन ओर चारित्र-ये दो आत्माएं औपशमिक भाव होती हैं। अन्य छह आत्माएं औपशमिक भाव नहीं होती हैं।
४०. खायक भाव छे किती आतमा? आत्मा षट् पहिछाणो जी।
द्रव्य आत्मा ने कषाय आत्मा, खायक भाव म जाणो जी।।
कितनी आत्माएं क्षायिक भाव होती हैं? छह आत्माएं क्षायिक भाव होती हैं। द्रव्य और कषाय आत्मा क्षायिक भाव नहीं होती हैं।
४१. खयोपशम भाव छे किती आतमा? आत्मा षट् पहिछाणो जी।
द्रव्य आत्मा ने कषाय आत्मा, क्षयोपशम भाव म जाणो जी।।
कितनी आत्माएं क्षायोपशमिक भाव होती हें? छह आत्माएं क्षायोपशमिक भाव होती हैं। द्रव्य और कषाय आत्मा क्षायोपशमिक भाव नहीं होती हैं।
४२. परिणामिक भाव छे किती आतमा? आठूई अवधारो जी।
परिणामीक बिना नहि कोई, जीव अजीव प्रकारो जी।।
कितनी आत्माएं पारिणामिक भाव होती हैं? आठों आत्माएं पारिणामिक भाव होती हैं। क्योंकि जीव और अजीव का कोई भी प्रकार पारिणामिक भाव से शून्य नहीं होता।
४३. उदे-भाव पावे छे तिण में, आत्मा केती पावे जी?
आठ आतमा श्री जिन भाखरी, जुवा-जुवा गुण भावे जी।।
जिस व्यक्ति में औदयिक भाव प्राप्त होता है, उसमें कितनी आत्माएं होती हैं? औदयिक भाव वाले व्यक्ति में आठों आत्माएं होती हैं। यह जिनवाणी है। वे पृथक्-पृथक् गुणों के आधार पर होती हैं।
४४. उपशम-भाव वाला में आठूं, इमहिज खायक-भावो जी।
खयोपशम ने परिणामिक में, इमहिज आठ सुन्यावो जी।।
इसी प्रकार औपशमिक, क्षायिक, क्षायोपशमिक और पारिणामिक भाव वाले व्यक्ति में आठों आत्माएं होती हैं।