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Jasol: 26.02.2013
Muni Prithviraj while speaking in function of School told that rituals are not religion. Religion without morality is not possible. He told to stay pure in action.
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विवेक जागरण जीवन की सफलता: मुनि पृथ्वीराजजसोल 25 फरवरी 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
ज्ञान भीतर से प्रकट होता है। उसके लिए आध्यात्मिक साधना चाहिए। विवेक और अंतदृष्टि का जागरण ही जीवन की सफलता है। ये उद्गार मुनि पृथ्वीराज ने स्थानीय आदर्श विद्या मंदिर उमावि माजीवाला में आयोजित अध्यात्म चेतना संगोष्ठी में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आज समाज में नैतिकताविहीन धर्म चल रहा है। जीवन में नैतिकता न होने पर भी धार्मिक कहलाना पसंद है, यह विडंबना है।
संयम-विकास पर बल देते हुए मुनि पृथ्वीराज ने कहा कि नैतिकता शून्य धर्म विस्मय का विषय है। जीवन शुद्ध रहे और आजीविका के साधन भी पवित्र रहे, तभी जीवन में धर्म का अवतरण किया जा सकता है। धन कुबेर बनने की कामना पर प्रहार करते हुए मुनि पृथ्वीराज ने कहा कि जीवन में आवश्यकता का अल्पीकरण और व्यक्तिगत स्वामित्व की सीमा पर सुख का अनुभव किया जा सकता है। धन के अंबार में हिंसा, डकैती, चोरी आदि आदि का भय बना रहता है। अति संग्रह की इच्छा मनुष्य को अशांत और क्रूर बनाती है। उन्होंने कहा कि धर्म को समझने के लिए नैतिक मूल्यों को जानना जरूरी है और उसके लिए अणुव्रत अभियान की प्रांसगिकता निर्विवाद है। कार्यक्रम में मुनि शांतिप्रिय ने छात्रों को संस्कारी और विनयशील बनने के लिए आह्वान किया तथा अभातेयुप के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य कांतिलाल ढेलडिय़ा और सोहनराज संकलेचा ने अणुव्रत गीत का संगान किया। प्राचार्य धीरजकुमार शर्मा ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन कांतिलाल ढेलडिय़ा ने किया।