ShortNews in English
Tapara: 05.02.2013
Acharya Mahashraman said non-violence is able to do welfare for all creature. Following non-violence also lead us towards Moksha. We are living in world and some works are done for soul and some for world. All those works which are good for soul led us to Moksha.
News in Hindi
लोकोत्तर उपकार मोक्ष का माध्यम' -महाश्रमण
जय समवसरण: तेरापंथ तत्व दर्शन विषय पर दिया व्याख्यान
टापरा 05 फरवरी 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
जैन तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने तेरापंथ तत्व दर्शन विषय पर बताते हुए कहा कि अहिंसा सभी प्राणियों के लिए क्षेमकर व कल्याणकारिणी होती है और अहिंसा से जुड़ा हुआ तत्व परोपकार है। तेरापंथ दर्शन के अनेक पहलू है, उनमें एक अहिंसा से जुड़ा हुआ है और अहिंसा के साथ उपकार से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि उपकार के दो माध्यम होते हैं, एक दान से उपकार और एक दया से उपकार। ये उपकार के पुरुष और माध्यम है। आचार्य ने कहा कि उपकार दो प्रकार का होता है एक लौकिक उपकार व एक लोकोत्तर उपकार। लौकिक उपकार नितांत देह संबंधी और लोकोत्तर उपकार नितांत आत्मा संबंधी होता है। जो देह संबंधी उपकार है उसे भौतिक उपकार और आत्मा संबंधी उपकार को आध्यात्मिक उपकार कहा जा सकता है। एक उपकार का संबंध सामने वाले की आत्मा से जुड़ा हुआ है दूसरे प्रकार के उपकार का संबंध सामने वाली की भौतिक उपलब्धि या दुख वियुक्ति से जुड़ा हुआ है। देह संबंधी उपकार वह है जिससे देह को साता मिले, जैसे किसी भूखे को भोजन करा दिया, निराश्रित को आश्रय दे दिया। ये सारे उपकार देह से संबंधित है। देह इनसे उपकृत होना ही इस उपकार से आत्मा को उपकार का सीधा संबंध नहीं है। इस उपकार का भी महत्व है। दूसरा उपकार आत्मा से सम्बन्धित है, किसी आदमी को संयम की बात बताई, मुक्ति की बात बताई। व्यक्ति मोक्ष के उपकार से जुड़ जाता है और मोक्ष की दिशा में आगे बढ़ जाता है। वैराग्य की बात बताई और सामने वाला साधु बनने को तैयार हो गया। यह बड़ा उपकार है। किसी को चोरी नहीं करने का, झूठ नहीं बोलने का, असंयम नहीं रखने का त्याग कला, अणुव्रती बनाना, महाव्रती बनाने से आदमी मोक्ष की और आगे बढ़ता है। आचार्य ने कहा कि देह संबंधी उपकार से आत्मा संबंधी उपकार का कोई संबंध नहीं है। देह संबंधी उपकार का मोक्ष के साथ कोई संबंध नहीं है। आत्मा संबंधी उपकार का मोक्ष से सीधा संबंध है जिस उपकार से धर्म संबंधी पोषण होता है, वह आध्यात्मिक उपकार ही ज्ञान दर्शन चारित्र तप की निष्पति होने वाला उपकार आध्यात्मिक उपकार है। संयम की निष्पति होना आत्मोपकार होता है। मंत्री मुनि सुमेरमल स्वामी ने भी अपनी बात रखी। प्रवचन के अंत में विषय से संबंधित जिज्ञासा-समाधान कार्यक्रम चला।
आज की शाम जय के नाम भजन संध्या हुई
'प्रभु वासुपूज्य भजले प्राणी, स्वामीजी भावो देखल्यो, मर्दानी सिरियारी ये अमर कहानी है' आदि भक्ति रसों से सराबोर कर देने वाली भजन संध्या 'आज की शाम जय के नाम में अपने सुरों का रंग' हेमलता सोनल पीपाड़ा (बेंगलुरू) ने जय समवसरण में आचार्य महाश्रमणजी के सानिध्य में बरसाया। प्रस्तुतियों से श्रोतागण भक्तिरस से झूमने लगे। कार्यक्रम का शुभारंभ महामंत्र नवकार से हुआ तथा अंत में लोगस्स पाठ के साथ समापन हुआ।