08.01.2013 ►Baytu ►Lord Parshvanath was Divine Force ◄ Acharya Mahashraman

Published: 09.01.2013
Updated: 08.09.2015

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Baytu: 08.01.2013

Acharya Mahashraman while speaking on Parshvanath Jayanti told all Teerathankar are Veetaraga. Chanting mantra of Lord Parshvanath is good for soul.

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पाश्र्व मंत्रों का जप करने से आत्मोत्थान: महाश्रमण

बायतु 07जनवरी 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो


भगवान पाश्र्वनाथ के जन्म जयंती के अवसर पर तेरापंथ भवन में आयोजित धर्म सभा में प्रवचन देते हुए आचार्य महाश्रमण ने कहा कि चौबीस तीर्थंकर समान दर्शन, ज्ञान, शांति व आनंद वाले थे। तीर्थंकरों में ही नहीं सभी केवली ज्ञानियों में भी एक समान होती है। आचार्य ने कहा कि उपासना-साधना के लिए द्रव्य पूजा कोई जरूरी नहीं, प्रभु के साथ तादात्मय स्थापित कर भाव पूजा भी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि भगवान पाश्र्व के मंत्रों का लोग जाप करते हैं। आदमी आधि, व्याधि व उपाधि से भी मुक्त होने की कामना करता है। इन तीनों से मुक्ति होने पर समाधि तैयार है। प्रभु पाश्र्व वीत राग व सिद्ध अवस्था हैं। सिद्ध आत्मा के साथ कुछ दिव्य शक्तियां जुड़ी रहती हैं जो मदद करती हैं। आचार्य ने कहा कि आत्मकल्याण के लिए व्यक्ति को जप-तप करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शरीर नश्वर है तथा आत्मा स्थाई है। आत्मा के उत्थान के लिए पराक्रम करना विशेष बात है। आत्मा के शुद्ध रहने पर आगे भी अच्छी गति प्राप्त हो सकती है। भगवान पाश्र्व जैसी वीत राग आत्मा का ध्यान, जप-आत्मा के लिए करें। पवित्र मंत्रों का जप मोक्ष की कामना व स्वार्थ से परे रहकर किया जाता है तो विशेष लाभ होता है। आचार्य ने गुरुदेव तुलसी द्वारा रचित प्रभु पाश्र्व देव के चरणों में शत-शत प्रणाम हो... गीत का संज्ञान कर उपस्थित श्रद्धालुओं को भक्ति से सरोबार कर दिया। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि भगवान पाश्र्व को हर दर्शन के लोग सम्मान देते थे। जैन मंत्रों में भगवान पाश्र्व के मंत्री, बीज मंत्र ज्यादा है। उन्होंने कहा कि भगवान पाŸव के बीज मंत्रों का उच्चारण जल्द ही प्रभावी हो जाता है। मुनि राजकुमार ने म्यारो मन पारस प्रभु रे चरणां में लाग्यो गीत की प्रस्तुति दी। विद्यार्थी सम्मेलन में आचार्य महाश्रमण ने कहा कि आलस्य सबसे बड़ा शत्रु है। विद्यार्थी के मन में संकल्प शक्ति होनी चाहिए तथा इंद्रियों पर नियंत्रण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अपने चरित्र को सुरक्षित रखें तथा कभी क्रोध नहीं करें। आचार्य ने विद्यार्थियों से कहा कि बीता हुआ क्षण वापस नहीं आता इसलिए समय का हमेशा ध्यान रखें। प्रवचन के दौरान आचार्य ने विद्यार्थियों को नशा न करने का संकल्प दिलाया। उन्होंने शिक्षकों से कहा कि बच्चों को संस्कारवान शिक्षा दें। तेरापंथ सभा बायतु अध्यक्ष नेमीचंद छाजेड़ ने कहा कि आचार्य के उपदेश से जनता में अच्छा संदेश जा रहा है।

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Sushil Bafana

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