ShortNews in English
Chhitar ka Par: 25.12.2012
Acharya Mahashraman said that all Jeeva got result of what they do during any life cycle so it is better to avoid pap karma. Mantri Muni Sumermal told darshan of Sadhu is possible when good luck arise.
News in Hindi
पापभीरुता से बनें निर्मल'
छितर का पार 25 दिसम्बर 2012 जैन ब्योरो
आचार्य महाश्रमण ने जनमानस को सद्कर्म करने की प्रेरणा देते हुए कहा कि प्राणी जैसा कर्म करता है वैसा की फल उसे मिलता है। कर्म कर्ता का अनुगमन करता है। किया हुआ कर्म अपना फल देता है। उन्होंने कहा कि कर्मों के उदय में आने पर संबंधीजन भी कर्म का विभाजन नहीं कर सकते। इसलिए मनुष्य को जागरुक बनना चाहिए। वह प्रमाद आदि से बचे। ये उद्गार तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने सोमवार को छितर का पार में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति पापभीरु बनें। व्यक्ति में पापभीरुता का गुण होने पर वह निर्मल रह सकता है। आदमी पापों को समझकर उनसे निवृत्त रहने का प्रयास करें। क्योंकि पापकर्म भोगते वक्त वह परबस हो जाता है। पारिवारिकजन व्यक्ति के बीमार होने पर उनका उपचार करवा सकते हैं। कष्ट में सहयोग देने का प्रयास कर सकते हैं। पर दुख मुक्त कर देना उनके ही हाथ की बात नहीं है। वेदनीय कर्म के आगे सब पस्त हो जाते हैं। साधना, तपस्या के द्वारा ही कर्मों को कुछ हल्का व काटा जा सकता है। इसलिए आदमी संसार की स्थिति को समझकर अपने आप को परम की ओर बढ़ाने का प्रयास करेंं और पापभीरु बनकर पापों से मुक्ति का प्रयास करें। कार्यक्रम में मंत्री सुमेरमल ने कहा कि संतों के दर्शन भाग्य से होते हंै। संतों के दर्शन होने से जीवन में जागरण का समय आता है, आगे बढऩे का समय आता है, क्योंकि संत मार्गदर्शन देते हैं और उनका मार्गदर्शन निस्वार्थ होता है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में छाजेड़ परिवार की बहुओं की ओर से स्वागत गीत की प्रस्तुति दी गई। चंद्रशेखर छाजेड़, शशिकला छाजेड़, खुशबू भंसाली, हर्षा भंसाली, अंकित छाजेड़ चंपालाल छाजेड़, नेमीचंद छाजेड़, ऋषभ छाजेड़, नारायणीदेवी छाजेड़, कैलाश चौधरी, मंगलाराम भाटी ने अपने स्वागत वक्तव्यों की प्रस्तुतियां दी। आचार्य ने साध्वी अमितरेखा, साध्वी संवरयशा व समणी मानसप्रज्ञा को उनके संसारपक्षीय पैतृक जनों की कर्म भूमि पर याद करते हुए खूब अच्छे विकास, साधना व धर्म की प्रभावना की शुभाशीष दी। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेशकुमार ने किया।