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Jasol: 11.09.2012
Acharya Mahashraman said that beside wisdom purity of thinking is necessary. Golden Points of Jeevan Vigyan can control anger if students practice it regularly.
News in Hindi
शिक्षा से ही सर्वांगीण विकास संभव: आचार्य
जसोल(बालोतरा) जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
जैन तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने कहा कि मनुष्य जीवन में शिक्षा का महत्व है। इसका एक प्रमाण है कि विद्या संस्थानों की भरमार सी है। विद्या वह तत्व है, जो मुक्ति कारक होती है। उन्होंने कहा कि वह विद्या, विद्या है जो नशामुक्ति, गुस्सा मुक्ति, मृषा मुक्ति कराने वाली होती है। आचार्य सोमवार को चातुर्मास प्रवास के दौरान धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि बुद्धि के साथ भावशुद्धि का महत्व है। अध्यात्म विद्या का भी विकास होना चाहिए। विद्यार्थी अपने क्रोध पर नियंत्रण कर सके, ऐसी क्षमता का विकास होना चाहिए। जीवन विज्ञान से क्रोध नियंत्रण के प्रयोग करवाए जाते हैं। ध्यान व योग से व्यक्ति अपनी वृत्तियों पर नियंत्रण कर सकता है। उन्होंने कहा कि आदमी को कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए।
झूठ बोलने से समाज की व्यवस्था खराब होती है। व्यक्ति को अज्ञान से ज्ञान की ओर से बढऩा चाहिए। व्यक्ति को अज्ञान, कुमार्ग को छोडऩा चाहिए। मानव जीवन में मानवता का जीवन जीना चाहिए और मन में अनुकंपा की भावना रखनी चाहिए।
मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि जिसके पास ज्ञान है, उसके पास ब्रह्म नेत्र है और वह अपने भविष्य को संभालता है। ज्ञान व्यक्ति के भीतर के नेत्र का काम करता है। ज्ञान व्यक्ति के जीवन के साथ जुडऩा चाहिए। उन्होंने कहा कि व्यक्ति में नियंत्रण भी होना चाहिए। ज्ञान के साथ संयम का योग होना चाहिए। विद्या भारती शिक्षण संस्थान के राष्ट्रीय मंत्री श्रीराम अरावकर ने भाव व्यक्त किए। कार्यक्रम के प्रारंभ में मुनि विजयकुमार ने सबके हित का चिंतन हो, पग-पग मंगल होगा गीत प्रस्तुत किया।
मुनि मदन कुमार ने जीवन विज्ञान पर प्रकाश डाला। प्रेक्षाध्यापक मुनि किशनलाल ने मुद्रा प्रयोग के साथ स्वस्थ शरीर व मन के उपाय बताए। गांधीनगर से समागत संघ की ओर से सभाध्यक्ष जुगराज डागा ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन हिमांशु कुमार ने किया।
पंचरंगी तपस्या आज से: तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य की सन्निधि में पूरे सिवांची-मालाणी क्षेत्र में एक तप की लहर-सी दौड़ रही है।
मुनि जिनेशकुमार ने बताया कि आज से पंचरंगी तप का प्रारंभ होगा।
धर्मसभा में आचार्य महाश्रमण ने बताए अज्ञान मुक्ति के मार्ग