ShortNews in English
Jasol: 03.09.2012
Acharya Mahashraman said we all are human being first and then follower of any sect. Amity should stay among all community. We should respect festival of all community. Anuvrata is religion of humanity.
News in Hindi
संप्रदायों में रहे उदारता: आचार्य श्री
जसोल(बालोतरा) ०३ सिप्तम्बर २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने सभी कौमों, संप्रदायों को परस्पर मैत्री व सौहार्द के साथ अमन-चैन से रहने का आह्वान करते हुए कहा कि आदमी सभी प्राणियों के प्रति मैत्री का भाव विकसित करें। व्यक्ति पहले इंसान है फिर हिंदू या मुसलमान है। हम सभी का अमन-चैन से रहने का प्रयास होना चाहिए। किसी के साथ भी वैर-विरोध न हो। मसले को बढ़ा चढ़ाकर दंगा-फसाद करने की बजाय मिल बैठकर उस समस्या का समाधान शांतिपूर्वक तरीके से करना चाहिए। यह उद्बोधन आचार्य ने रविवार को जसोल में चातुर्मास प्रवचन के दौरान सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है, जिसमें विभिन्नताएं है। यहां विभिन्न जातियों, विभिन्न भाषाओं को बोलने वाले, विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। यह भारत की विभिन्नता में एकता है। उन्होंने कहा कि संप्रदायों का अलग-अलग होना दिक्कत वाली बात नहीं है। दिक्कत वहां होती है, जहां एक संप्रदाय दूसरे संप्रदाय से दंगा-फसाद व वैर-विरोध करता है। अलग-अलग संप्रदाय के लोग एक-दूसरे के त्यौहार में सहयोग करें, विघ्र बाधा पैदा न करें। संप्रदायों में उदारता रहनी चाहिए। अहिंसा, सच्चाई, ईमानदारी, संयम की बात सभी संप्रदाय कहते हैंं। आदमी उदारता का विचार करें तो बहुत सौहार्द की भावना विकसित हो सकती है। अणुव्रत का संदेश है कि धार्मिक सहिष्णुता रहे, संप्रदाय सहिष्णुता रहे, सौहार्द व मैत्री का भाव प्राणी मात्र के साथ होना चाहिए। इंसान से प्यार होना चाहिए। व्यक्ति सांप्रदायिक सौहार्द व मैत्री रखें। जिन सिद्धांतों में सहमति नहीं है तो वैर-विरोध न करें और सहमति होने पर सहयोग की भावना रखें। आचार्य तुलसी ने अणुव्रत के द्वारा मानव जाति की सेवा का कार्य किया। उन्होंने जनता को धर्म का संदेश दिया व मानव धर्म की बात बताई। हम पहले इंसान है फिर हिंदू या मुसलमान है। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि आदमी समूह में रहता है। अकेेले का जीवन नहीं होता। समूह में रहने से प्रेरणा, विचारों का आदान-प्रदान भी होता है। संप्रदाय एक दूसरे के पूरक बनकर चले तो धर्म को और बढ़ावा देने वाली होती है। उन्होंने कहा कि एक-दूसरे के विचारों को आदर दिया जाए। हमें एक-दूसरे के संप्रदाय की अच्छी बातों को ग्रहण करने का प्रयास करें। धार्मिक से धार्मिक के मिलने पर सहजता, सौहार्दता बढऩी चाहिए। धर्म के नाम पर लड़ाई-झगड़ा, वैमनस्य होता है, नहीं होना चाहिए। वह देश महान है जिस देश में अनेक धर्म और धर्माचार्य अपनी-अपनी उपासना करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। भारतीय संस्कृति अनेक आध्यात्मिक, धार्मिक संस्कृति या गुलदस्ता है। मुफ्ती शेर मोहम्मद राजस्थान ने कहा कि इंसानियत को समझने वाले ही प्यार मोहब्बत का पैगाम देते हैं। भारत में अनेकों कौम है। पर अच्छे कार्य करने वालों को पूरी दुनिया याद करती है। आचार्य लोगों को नेेक रास्ता व सहारा प्रदान कर रहे हैं। यह काबिले तारीफ है। हिंदूस्तान को दुनिया इज्जत के साथ सलाम करती है। हम सभी भाई-भाई नजर आए, ऐसा होने पर भारत दुनिया का गुरु बन सकता है। कार्यक्रम के प्रारंभ में तारा कोठारी व हिना तातेड़ ने संयममय जीवन हो गीत का संगान किया। ओमप्रकाश बांठिया ने मुफ्ती शेर मोहम्मद का परिचय दिया। कार्यक्रम में अनेकों मुस्लिम बंधू उपस्थित थे।
अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का आगाज, सांप्रदायिक सौहार्द के साथ, सभी संप्रदायों को अमन-चैन से रहने का किया आह्वान