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Pali: 09.04.2012
Acharya Mahashraman inspired people to make qualitative development in life. Politeness and Love for all are basic qualities. Mantri Muni Sumermal told to have strong faith beside good knowledge.
News in Hindi
जीवन में गुणात्मक विकास जरूरी: महाश्रमण
Monday, 09 Apr 2012 11:47:21 hrs IST
पाली। ०९ अप्रेल २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
आचार्य महाश्रमण ने कहा कि व्यक्ति के जीवन में गुणात्मक विकास होना चाहिए। सद्गुणों से युक्त व्यक्ति महापुरूष कहलाने का हकदार है। धर्म की चेतना के साथ साधन का विकास होता रहना चाहिए। वे रविवार सुबह वीडी नगर में प्रवचन कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि जीवन में राग व द्वेष बन्धन है। शिष्य को गुरू की कठोर डांट को सहन कर लेना चाहिए। जो डांट व उलाहने सहन कर लेता है वह महानता को प्राप्त कर लेता है। उलाहना परिशोधन के लिए होता है। गुरू अगर उलाहना दे रहा है तो मानो वह अमृत का प्याला पिला रहा है। गुरू के प्रतिकूल निर्णय को भी सिर झुकाकर स्वीकार करना चाहिए।
गुरू के आदेश को समता व विनय भाव से शिरोधार्य करना चाहिए। लोगों से आपस में प्रेमभाव से रहने की सीख देते हुए आचार्य ने कहा कि व्यक्ति को परस्पर हेत का भाव रखना चाहिए। दूसरों के विकास को देखकर प्रसन्न होना चाहिए। लोगों को दुख देना पाप है। व्यक्ति को प्राण देकर भी सत्य की सुरक्षा करनी चाहिए। संघर्षो के तूफानों से व्यक्ति को घबराना नहीं चाहिए। उसका धैर्य के साथ सामना करना चाहिए। अनुकम्पा नर जीवन का शृंगार है। प्रवचन में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।
ज्ञान के साथ जुडे आस्था
मुनि सुमेरमल ने कहा कि ज्ञान के साथ आस्था जुड़ना जरूरी है। व्यक्ति को ज्ञान व श्रद्धा के साथ साधना करनी चाहिए। व्यक्ति को जीवन पर्यन्त धर्म की उपासना करनी चाहिए। श्रावक में उपासना की अलख निरंतर जलती रहनी चाहिए। जिसके घर पर रोजाना उपासना होती है, उसके घर देवता जन्म लेते हैं।