News in English:
Location: | Molela |
Headline: | Religion Cannot Be Changed By Force◄ Acharya Mahashraman |
News: | Acharya Mahashraman reached Molela and will proceed towards Koshiwara. He addressed people that change of heart is necessary. By using force religion cannot be changed. Small part of fire destroy everything so we should be careful to control Kashay when it is very small. Molela village is famous for art of idols. |
News in Hindi:
आचार्य महाश्रमण मोलेला पहुंचे, आज कोशीवाड़ा जाएंगे
आचार्य महाश्रमण मोलेला पहुंचे, आज कोशीवाड़ा जाएंगे
बल प्रयोग से धर्म परिवर्तन संभव नहीं: महाश्रमण
धर्मसभा
खमनोर
आचार्य महाश्रमण ने कहा कि बल प्रयोग से धर्म परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। इसके लिए हृदय परिवर्तन जरूरी है। विवशता से किया गया परिवर्तन पूर्ण परिवर्तन नहीं हो सकता है।
आचार्य शनिवार को मोलेला गांव में धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। आचार्य ने आमजन से अपने मन में अहिंसा की चेतना जगाने का आह्वान करते हुए कहा कि धर्म की साधना करने के लिए मोह को त्यागना जरूरी होता है। मोह हिंसा का कारण बनता है, इसलिए मनुष्य को ममता से समता में आना चाहिए। आचार्य ने ऋण,ही वर्ण, अग्नि एवं कषाय को कभी छोटा नहीं मानने की नसीहत देते हुए कहा कि प्रारंभिक अवस्था में रोग का उन्मूलन कर देने से समस्या खत्म हो जाती है, बेपरवाह होने पर अग्नि की एक छोटी सी चिंगारी भी दावानल का रूप ले सकती है।
साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा ने कहा कि आचार्य श्रीमहाश्रमण के जीवन का अध्ययन करने वाले जानते हैं कि श्रम जीवन का अभिन्न अंग है। उन्होंने बताया कि आचार्य महाप्रज्ञ ने महाश्रमण को महाश्रमी एवं महा तपस्वी दोनों विशेषण से सुशोभित किया था।
साध्वी प्रमुखा ने आचार्य प्रवर का मूर्ति कला के लिए प्रसिद्ध मोलेला गांव में पदार्पण को मानव में देवत्व गुणों को जगाने वाली महायात्रा बताया। पर्यावरण के विषय पर साध्वी प्रमुखा ने कहा कि मेवाड़ में आज गर्मी बढ़ रही है, इसका कारण पहाड़ों का उत्खनन एवं वृक्षों की अंधाधुंध कटाई है। प्रकृति से खिलवाड़ किया जाएगा तो प्रकृति भी अपना स्वभाव, अपना रूख बदलेगी। साध्वी विश्रुतविभा ने आचार्य महाश्रमण को जन- जन में पुरुषार्थ की लौ प्रज्ज्वलित करने वाले महान संत की संज्ञा दी। इससे पूर्व आचार्य के मोलेला गांव पधारने पर जैन श्वेतांबर तेरापंथ सभा अध्यक्ष बाबूलाल बोहरा, गणेशलाल बोहरा, डालचंद बोहरा, गमेरलाल बोहरा, जीवनलाल बोहरा, प्रकाशचंद्र बोहरा, राजेंद्र कुमार बोहरा, सोहनलाल बोहरा, मांगीलाल बोहरा, सुखलाल बोहरा, हीरालाल बोहरा, शंकरलाल चौरडिय़ा, मांगीलाल चौरडिय़ा, बिहारीलाल चौरडिय़ा सहित कई श्रावकों ने उनकी अगवानी की। गांव की सीमा से यात्रा की शुरुआत हुई। सैकंडों महिलाएं सिर पर कलश धरकर मंगलगान गाते हुए चल रही थीं।
आचार्य सुबह रक्त तलाई पहुंचे
आचार्य महाश्रमण ने शुक्रवार रात्रि प्रवास खमनोर में किया। इसके पश्चात उन्होंने धवल सेना के साथ शनिवार सुबह साढ़े छह बजे मोलेला के लिए विहार किया। विहार के दौरान उन्होंने खमनोर कस्बे में स्थित ऐतिहासिक युद्ध की विश्व प्रसिद्ध रणभूमि रक्त तलाई भी देखी। युद्ध व इस स्थान के संबंधों के बारे में आचार्य को संक्षिप्त में जानकारी दी गई।
आज कोशी वाड़ा पधारेंगे आचार्य
आचार्य रविवार को मोलेला से विहार कोशी वाड़ा गांव में प्रवेश करेंगे, वे यहां दो दिन का प्रवास करेंगे। श्रावकों ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी है।
आचार्य ने मोलेला की मृणशिल्प कला को सराहा
आचार्य महाश्रमण ने मोलेला की मृणशिल्प कला को देखा। उन्होंने यहां राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी कला का प्रदर्शन कर पुरस्कृत हो चुके मृण शिल्प कलाकारों की कृतियां देखी। कलाकृतियों में छुपी यहां की परंपराओं और संस्कृति को भी अनुभव किया।