Updated on 22.04.2025 14:47
जैन धर्म की शुरूआत जड़ जीव के भेद ज्ञान से है: आचार्य सम्राट डॉ. शिव मुनि जी म.सा.22 अप्रैल 2025, अक्षर टाऊन, सूरत
आचार्य सम्राट डॉ. शिवमुनि जी म.सा., युवाचार्य श्री महेन्द्र ऋषि जी म.सा, प्रवर्तक श्री प्रकाश मुनि जी म.सा., प्रमुख मंत्री श्री शिरीष मुनि जी म.सा. आदि ठाणा-14 वर्धमान जैन स्थानक गोड़ादरा से प्रातः 5.50 बजे विहार कर अक्षर टाऊन में शोभायात्रा के साथ पधारे।
आचार्य सम्राट डॉ. शिवमुनि जी म.सा. ने अपने उद्बोधन में फरमाया कि हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें जैन धर्म मिला है। एक प्रश्न है कि जैन धर्म की शुरूआत कहां से होती है? जैन धर्म का प्रवेश द्वार कौनसा है? प्रश्न का समाधान बताते हुए फरमाया कि जैन धर्म की शुरूआत जीव को जानने से होती है, जड़ और जीव के भेद ज्ञान से होती है यानि शरीर अलग है आत्मा अलग है। जब शरीर में आत्मा नहीं होती है तो शरीर का कोई मूल्य नहीं रहता।
उन्होंने ध्यान साधना पर बल देते हुए फरमाया कि भगवान महावीर की साधना ध्यान की साधना थी। स्वयं को समय देने के लिए श्रावक-श्राविकाओं को 24 घंटे में कम से कम 2 घंटे का ध्यान अवश्य करना चाहिए, बच्चों को कम से कम पांच मिनट या दस मिनट तक ध्यान का अभ्यास कराना चाहिए, ध्यान की आज पूरे विश्व को जरूरत है।
युवाचार्य श्री महेन्द्र ऋषि ने अपने उद्बोधन में फरमाया आस्था, भक्ति, उत्साह का महत्त्वपूर्ण स्थान है अक्षर टाऊन। आप हमारे समक्ष हम आपके समक्ष क्यों हैं? साधु-साध्वीवृंद आएं हैं तो आप हम सभी में इस उत्साह का क्या कारण है? तो इसका एक ही उत्तर होगा कि हमें बचपन से ही धर्म के संस्कार मिले हैं, धर्म सभी के लिए कल्याणकारी ही होता है।
महासाध्वी श्री सुमनप्रभाजी म.सा. ने अपने उद्बोधन में फरमाया कि मानव जीवन का कल्याण गुरुचरणों से ही संभव हो सकता है। गुरुवाणी के स्नान से ही जीवन आनन्दकारी व परोपकारी हो सकता है।
महिला मण्डल अक्षर टाऊन द्वारा ‘‘आज भगवान हमारे आए हैं आंगन’’ भजन के माध्यम से अपनी भावनाएं व्यक्त की।
मुमुक्षु शिवांश जैन ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि हमें भगवान महावीर का शासन मिला है, जो हमें सब जीवों के प्रति दया भाव रखना सिखाता है। हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें अनेक आत्म ध्यान शिविरों में भाग लेने का सुअवसर प्राप्त हुआ।
आगामी कार्यक्रमों की जानकारी फाउण्डेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री अशोक मेहता ने दी।
कार्यक्रम का संचालन श्री शमितमुनि जी म.सा. व स्थानीय श्रीसंघ के अध्यक्ष द्वारा किया गया।
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Posted on 22.04.2025 05:55
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