17.07.2018 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 17.07.2018
Updated: 20.07.2018

Update

आज से 50 Year पहले 22 Year के ब्रम्हचारी विद्याधर ने दिगंबरत्व को आजीवन स्वीकार किया था और हो गए थे मुनि विद्यासागर.. जब विद्याधर के गुरु आचार्य ज्ञानसागर जी से पूछा गया आप इतनी कम उम्र में मुनि क्यों बना रहे हो? तब आचार्य ज्ञानसागर जी ने कहा था मैं विद्याधर को मुनि बना नहीं रहा हूँ, वो मुनि हो रहा हैं! जब पहली बार विद्याधर.. आचार्य ज्ञानसागर जी के दर्शन करने पहुचे और बोले आपकी शरण स्वीकार करके मैं जिनेन्द्र देव के मार्ग पर चलना चाहता हूँ तो आचार्य ज्ञानसागर जी बोलते हैं.. विद्याधर कही ज्ञान सिख कर मुझसे.. उड़ तो नहीं जाओगे! तभी विद्याधर ने आजीवन वाहन का त्याग कर दिया था.. आज आचार्य श्री विद्यासागर जी को दीक्षा लिए 50 वर्ष पुरे हो गए हैं.. आचार्य श्री हमेशा कहते रहते हैं आचरण छुए.. हम भी अपने जीवन को संयमित करे.. आत्मानुशासन की बात करता हैं जैन धर्मं.. अगर हम अपने मन को ही कण्ट्रोल नहीं कर सकते तो हम कुछ नहीं कर सकते! श्रमण सूर्य आचार्य विद्यासागर जी ने हमेशा त्याग तप और ज्ञान का प्रभाव बोलकर नहीं बल्कि करके दिखलाया हैं.. ऐसा हमे भी कुछ प्रेरणा लेकर Reading.. Contemplation.. और उचित त्याग से अपने lifestyle को संयमित करना चाहिए.. खजुराहो में आचार्य श्री के व्यक्तित्व और जिन धर्मं से प्रभावित होकर.. रोज रोज कभी Spain के, London के, तो कभी Japan के लोग मांस का त्याग कर रहे हैं.. और हम तो इसी भारत में रहते हैं.. हमें भी कुछ संयमित जीवन को कर लेना चाहिए.. तभी कुछ सार्थक होगा उनके दर्शन करना..:)

-Nipun Jain

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हरी भरी दिखती रहे धरती चारों ओर... -आचार्य श्री today clip @ khajuraho 🙂🙏🙂

Live pictures.. acharya shri 50th Diksha Mahotsav... LIVE @ paras channel!

आज आचार्य श्री विद्यासागर जी को दीक्षा लिए हुए 50 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं.. तथा आज ही गिरनार संरक्षण में अपना जीवन देने वाले आचार्य श्री निर्मलसागर जी महाराज के भी दीक्षा लिए हुए 50 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं 🙂🙂 #आचार्यविद्यासागर • #आचार्यनिर्मलसागर • #गिरनार • #भगवान_नेमीनाथ

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News in Hindi

यह घटना 1975 की है जब आचार्यश्री के संघ में मात्र 4 क्षुल्लक थे। एक बार खजुराहो के ऐतिहासिक जिनालय में विराजितभगवान शांतिनाथ के दर्शन हेतु खजुराहो पहुचे थे।

उन दिनों मंदिर कमेटी के मैनेजर द्वारा मुनि संघो के विहार हेतु माली और* *कर्मचारियों को चटाई पाटे लेकर भेजा जाता था जो घने बियावान जंगलों में सुरक्षित स्थान पर संघ के विश्राम की व्यवस्था करते थे। लेकिन इसके लिए मुनिसंघो को एकदिन पहले मैनेजर को सूचित करना होता था मैनेजर की सुविधा से ही संघ विहार करते थे। आचार्यश्री तो अनियत विहारी आरम्भ से ही रहे है दोपहर में सामायिक के बाद आचार्यश्री ने विहार कर दिया। जब कुछ देर बाद विहार की जानकारी मैनेजर को मिली तो वह आग बबूला हो गया उसने माली और कर्मचारियों ने स्पस्ट कह दिया कि संघ ने तो विहार के लिए मुझसे अनुमति ली और नही मुझे बताया अतः आप लोगो में से कोई भी विहार में व्यवस्था में नही जाएगा।

*आचार्यश्री अपने हाथों में पीछी कमण्डल लिये पन्ना के घने बियावान भयंकर घने जंगल की पहाडियो से बढ़ते जा रहे थे। सन्ध्याकाल में आचार्यश्री एक पेड़ के नीचे शिला पर *विराजित हो गये आचार्य भक्ति के बाद आचार्यश्री ने संघ को कहा कि इस बियावान जंगल में शेर चीता भालू जंगली जानवर है वे हमारे शरीर की गंध सूंघ कर आ सकते है अतः हम सब अभी यही समाधि ले लेवे और कोई भी रात में आँखे बंद न करे कभी भी कुछ भी हो सकता है यदि कल जीवन बचा तो ही कुछ ग्रहण करेंगे अन्यथा सब त्याग कर सिर्फ समाधि।

*कुछ वर्षी बाद दूसरी बार जब आचार्यश्री अपने बड़े संघ सहित खजुराहो पहुचे तब वह मैनेजर आचार्यश्री के चरणों से लिपट कर फफक फफक कर रो रहा था उसने बार बार क्षमा मांगी* *आचार्यश्री ने मुस्कुरा कर उसे भरपूर आशीर्वाद दिया। जब आचार्यश्री इसी जंगल से दूसरी बार विहार कर रहे थे तब पूज्य मुनिपुंगव भी संघ में थे पूज्यश्री ने वह शिला देखी जहा संघ ने रात बिताई थी।* बियाबान भयानक जंगल की वह शिला देखने के बाद पूज्यश्री मुनिपुंगव ने आचार्यश्री से कहा आचार्यश्री उस दिन शेर चीता भालू ने आपका शिकार नही किया आप बच गए यह आपका पूण्य नही था आचार्यश्री मुस्कुराते रहे मुनिपुंगव ने आगे कहा गुरुदेव यह तो हमारा पूण्य था जो आपको कुछ नही हुआ क्योकि हमारा पूण्य नही होता तो हम आपसे दीक्षा कैसे ले पाते आचार्यश्री ने स्मित मुस्कान से कहा अपने मुह से मिया मिठ्ठू बन रहे हो।लेकिन मुझे लगा और शायद आप सभी समूह के पाठकों को भी यही लगा होगा कि यह पंक्ति किसी कवि ने उसदिन उस भीषण जंगल में आचार्यश्री के विराजित होने की कल्पना के बाद यह लिखा हो

-मुनि सुधासागर जी

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आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज का प्रभाव.. खजुराहो में विदेशी पर्यटक दर्शन करने के बाद मांस का त्याग कर रहे हैं #AcharyaVidyasagar • #Khajuraho

जापानी पर्यटकों ने आज खजुराहो में आचार्यश्री का दर्शन किया। सभी पर्यटकों ने गुरूदेव के समक्ष सप्ताह में एक दिन मांस भक्षण न करने का संकल्प लिया, प्रतिदिन विदेशी पर्यटक ऐसे नियम ले रहे हैं और मांस त्याग करके हो रही है धर्म प्रभावना

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जापानी पर्यटकों ने आज खजुराहो में आचार्यश्री का दर्शन किया। सभी पर्यटकों ने गुरूदेव के समक्ष सप्ताह में एक दिन मांस भक्षण न करने का संकल्प लिया, प्रतिदिन विदेशी पर्यटक ऐसे नियम ले रहे हैं और मांस त्याग करके हो रही है धर्म प्रभावना

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