Update
👉 *चेन्नई: राजभवन में "चतुर्थ अंतराष्ट्रीय योग दिवस" का आयोजन*
✨ *तमिलनाडु के राज्यपाल महामहिम श्री बनवारीलाल पुरोहित की अगवाई में* आयोजित योग कार्यक्रम में *अणुव्रत जीवन विज्ञान अकादमी का महनीय योगदान..*
✨ *राष्ट्रीय अणुव्रत जीवन विज्ञान अकादमी द्वारा* आयोजित *"पैन इंडिया कम्पीटिशन"* के *नेशनल टॉपर्स को* भी *सम्मानित किया गया..*
✨ *महामहिम ने* की *अणुव्रत, जीवन विज्ञान के कार्यकर्ताओं के श्रम की तारीफ..*
दी: 21/06/2018
प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 सूरत - सीखे स्व प्रबंधन संवारे अपना जीवन कार्यशाला
👉 खानदेश क्षेत्र की प्रथम उपसभा का गठन
👉 सिलीगुड़ी - तेयुप का शपथ ग्रहण समारोह
👉बीकानेर - सभा का शपथ ग्रहण समारोह
👉 हनुमंतनगर (बेंगलुरु): प्रेक्षा एवं योग कार्यशाला का आयोजन
👉 पल्लावरम: चेन्नई - "श्रावक सम्मेलन" का आयोजन
👉 कानपुर - तेरापंथ सभा का शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन
👉 साकरी - विराट योग दिवस का आयोजन
👉 गांधीधाम - एक कदम पर्यावरण संरक्षण की ओर
👉 कोलकाता - "सीखें स्वयं प्रबंधन, संवारें अपना जीवन " विषय पर टॉक शो का आयोजन
👉 हिसार - विश्व योग दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन
👉 सिलीगुडी - विश्व योगा दिवस" के उपलक्ष में कार्यक्रम
👉 काजुपाड़ा, मुम्बई - विश्व योग दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन
👉 जोधपुर - CPS कार्यशाला का भव्य दीक्षांत समारोह संपन्न
👉 विशाखापट्टनम - सेल्फ ग्रूमिंग वर्क शॉप कार्यक्रम आयोजित
प्रस्तुति - *🌻संघ संवाद 🌻*
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👉 प्रेरणा पाथेय:- आचार्य श्री महाश्रमणजी
वीडियो - 21 जून 2018
प्रस्तुति ~ अमृतवाणी
सम्प्रसारक 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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🌼🌼 *अणुव्रत* 🌼🌼
🔹 संपादक 🔹
*श्री अशोक संचेती*
🎈 *जून अंक* 🎈
🏮 पढिये 🏮
*तुलसी काव्यरस*
स्तम्भ के अंतर्गत
अणुव्रत आंदोलन प्रवर्तक
*आचार्य श्री तुलसी*
का
प्रेरणा गीत
🌼
*मानव जीवन*
*की*
*कीमत*
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🔅 *अणुव्रत सोशल मीडिया* 🔅
संप्रसारक
🌻 *संघ संवाद* 🌻
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News in Hindi
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙
📝 *श्रंखला -- 357* 📝
*शिवालय आचार्य शान्ति*
शान्त्याचार्य प्रशस्ति टीकाकार थे। वादियों में वेताल के समान दुर्जेय होने के कारण उनकी प्रसिद्धि वादि-वेताल के नाम से हुई। उन्हें वादि चक्रवर्ती और कवींद्र जैसी उपाधियां भी प्राप्त थीं। वे न्याय विद्या के प्रकांड विद्वान् थे।
*गुरु-परंपरा*
वादि-वेताल शान्त्याचार्य के दीक्षा गुरु विजयसिंहसूरि थे। विजयसिंहसूरी नाम से कई प्रसिद्ध आचार्य हुए हैं। प्रस्तुत विजयसिंहसूरि चान्द्रकुल एवं थारापद्रगच्छ के आचार्य थे। थारापद्रगच्छ का जन्म बटेश्वरसूरि से हुआ। बटेश्वरसूरि का संबंध युगप्रधान आचार्य हारिलसूरि के गच्छ से था। विजयसिंहसूरि चैत्यवासी थे। वे पाटण में थारापद्रगच्छ के उपाश्रय में रहते थे।
थारापद्रगच्छ की उत्पत्ति थारापद्र स्थान में होने के कारण थारापद्रगच्छ नाम से प्रसिद्ध हुआ। वर्तमान में यह स्थान थराद नाम से पहचाना जाता है। गुजरात प्रदेशान्तर्गत डीसा शहर से थराद थोड़ी ही दूर है।
*जन्म एवं परिवार*
शांतिसूरि का जन्म वैश्य वंश श्रीमाल गोत्र में हुआ। गुजरात प्रदेशान्तर्गत 'उन्नतायु' नामक ग्राम उनकी जन्मस्थली थी। यह ग्राम उस समय पाटण के पश्चिम में था। वर्तमान में यह स्थान राधनपुर के पार्श्ववर्ती उण ग्राम है। उण नाम उन्नतायु का रूपांतर प्रतीत होता है। शांत्याचार्य के पिता का नाम धनदेव और माता का नाम धनश्री था। धनश्री साक्षात् लक्ष्मी रूपा थी। शांत्याचार्य का नाम गृहस्थावस्था में भीम था। उस समय गुजरात प्रदेश के नरेश का नाम भी भीम था। अणहिल्लपुर (पाटण) गुजरात की राजधानी थी।
*शिवालय आचार्य शान्ति के जीवन-वृत* के बारे में पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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अध्यात्म के प्रकाश के संरक्षण एवं संवर्धन में योगभूत तेरापंथ धर्मसंघ के जागरूक श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
🛡 *'प्रकाश के प्रहरी'* 🛡
📜 *श्रंखला -- 11* 📜
*बहादुरमलजी भण्डारी*
*निपुण गृहस्थ*
भंडारीजी राज्य कार्यों तथा धर्म कार्यों में जितने सजग और निपुण थे उतने ही निपुण गृहस्थ धर्म के संचालन में भी थे। सुव्यवस्था उनके स्वभाव में रमी हुई थी। अव्यवस्था को उन्होंने कभी पसंद नहीं किया। प्रतिदिन भोजन करने के लिए जब वे घर के अंदर जाते तब वहां की सारी व्यवस्था को ध्यान पूर्वक देख लिया करते। वहां की स्वच्छता के विषय में वे विशेष सावधानी रखने के पक्षपाती थे। उन्होंने अपने परिवार में हर वस्तु को एक सुरक्षित स्थान पर रखने का स्वभाव डाला था। चारों पुत्र-वधुओं को भंडार का काम बारी-बारी से सौंपा हुआ था, अतः सब अपने-अपने उत्तरदायित्व को एक दूसरे से अच्छा निभाने की चेष्टा करतीं। भंडारीजी जब किसी कार्य में स्खलना देखते तो प्रेम भरे शब्दों में उसे जता दिया करते। उत्तेजित होकर कहने से बहुधा कार्य बिगड़ते हैं, अतः वे उस स्थिति से बचते थे।
*सादा जीवन, उच्च विचार*
भंडारीजी के जीवन व्यवहार में सादगी का अच्छा स्थान था। वेशभूषा में ही नहीं, किंतु रहन-सहन में भी वे सादापन ही पसंद करते थे। वे प्रतिदिन प्रातः काल नरेश को मुजरा करने जब राजमहल में जाते तब घोड़ा साथ में रखते, परंतु जाते पैदल ही। वापस आते समय उसकी सवारी करते थे। उसमें उनका ध्येय रहता था कि पैदल चलने की आदत बनी रहे तथा स्वास्थ्य ठीक रहे।
उनके घर में बैलियां तथा रथ रहा करते थे, परंतु वे अपनी पुत्रवधुओं को कहा करते कि अन्य सभी स्थानों में इनका प्रयोग यथेच्छया किया जा सकता है, परंतु जब किसी की मृत्यु के अवसर पर संवेदना प्रकट करने जाना हो तथा अपने पीहर जाना हो तब इनका प्रयोग न करें। अपने वैभव से यदि किसी के मन में ईर्ष्या भाव जागे तो फिर वैसे वैभव का भोग निरर्थक है। यह उनके विचारों की उच्चता का उदाहरण कहा जा सकता है।
*बहादुरमलजी भंडारी की पारिवारिक व्यवस्था और धार्मिक संस्कारों* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
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🌻 *संघ संवाद* 🌻
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*आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत प्रवचन का विडियो:
*मंत्र एक समाधान: वीडियो श्रंखला १*
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संप्रेषक: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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