05.04.2018 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 05.04.2018
Updated: 07.04.2018

Update

👉 सादुलपुर-राजगढ: अणुव्रत समिति द्वारा "स्वच्छ रहे - स्वस्थ रहे" पर कार्यशाला का आयोजन
👉 अंम्पापुरम (विजयवाड़ा) आध्यात्मिक मिलन
👉 जलगांव - निर्माण एक नन्हा कदम स्वच्छता की ओर
👉 साउथ हावड़ा - तत्वज्ञान व तेरापंथ दर्शन की कार्यशाला का आयोजन

प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻

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*06/04/2018 आचार्य श्री महाश्रमणजी एवं चारित्रात्माओं के दक्षिण भारत में सम्भावित विहार/ प्रवास सबंधित सूचना*
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🔹 *अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी का अपनी धवल सेना के साथ आंध्रप्रदेश राज्य के विजयनगरम जिले के बोबबिली में स्थित श्री सूर्य विद्यालय में प्रवास होगा। संभावित विहार पथ लगभग 12.6 किलोमीटर का होगा।*
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री धर्मरूचि जी ठाणा 4* का प्रवास
*श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ ट्रस्ट भवन*
*ट्रिप्लीकेन* चैनैई
☎9884200325
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री मुनिसुव्रत कुमार जी ठाणा* 2 का प्रवास
*गोतम कुमार जी सेठीया*
43/1 गोपाल पिल्लैयार कोइल स्ट्रीट
*तिरुवन्नामलाई*
☎9108075692,
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*सुरेशचन्द जी दक*
NO 778 दुसरा मेन केगेरी सेटेलाइट टाउन नीयर ललिता H.P. गैस *उपनगर केगेरी* बैगलौर
☎9448374522,9448383315
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 5* का प्रवास
*श्री करणलाल जी विमल कुमार चिप्पड*
*25, Bal Arunachalam street M C. Road Old washermen peth Chennai 21*
☎8107033307,9840484655
9444133309
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ *मुनि श्री अमृत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*धर्मीचन्द जी बांठिया के निवास स्थान पर*
*पोलुर*
(तिरूवन्नामलाई- वेलूर रोड)
☎9566296874,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री रमेश कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*जितेन्द्र जी छाजेड के निवास स्थान पर*
*विजयवाड़ा*
(विशाखापट्टनम -चेन्नई रोड)
☎8085400108,7000790899
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*इन्द्रचन्द जी बुच्चा*
KALPAVRIKSH
22/23-LIC Colony, Robertson Road,
R.S.Puram, *Coimbatore* -02 ☎9672039432,7200690967
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितीय' ठाणा ५* का प्रवास
*श्री मदनचन्दजी राकेशकुमारजी बाफ़ना*
*185 Strhans road (babu st corner*)
*Pattalam ch* 12
☎8890788494,9444049706
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4* का प्रवास
*Sri Avenve*
1st Floor TADA
(विजयवाड़ा- चेन्नई रोड)
☎9290516171,7044937375
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा 5* का प्रवास
*तेरापंथ सभा भवन*
*गॉधीनगर Bangalore* (कर्नाटक)
☎7624946879,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री राकेश कुमारी जी (बायतु) ठाणा 4* का प्रवास
*जैन मन्दिर*
*अनकापल्ली*
(विशाखापट्टनम- विजयवाड़ा रोड)
☎9959037737
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री विमलप्रज्ञा जी ठाणा 10* का प्रवास
*तेरापंथ भवन गुंटूर से 12 km का विहार करके Shri Ganpati Sacha Tanda Aaram chodavaram padharenge*
☎9051582096,9123032136
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रमिला कुमारी जी ठाणा 5* का प्रवास
*लक्ष्मीपत जी कोठारी*
Kothari nivas Lalithanagar Nager
*Visakhapatnam*
☎:9014491997,8290317048
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*संघ संवाद+ संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*श्री कन्हैया लाल जी नवीन जी बोथरा*
32/5B manonmaniammal street *kilpauk -Chennai*
(opposite to motcham theatreAdjacent road to Aiyssha hospital)
☎8428020772,9840252251
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञा श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*कल्याण मंडप*
*धर्मपुरी*
(सेलम - कृष्णगिरि रोड)
☎8875762662,9443348582
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिस्या साध्वी श्री सुर्दशना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*पारस गार्डन रायचुर*
☎9845123211,8830043723
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*संघ संवाद + संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*टाटिया गेस्ट हाऊस*
*कलहटी*
☎9442251218,9448385582
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मधुस्मिता जी ठाणा 6* का प्रवास
*सुरेश जी भुतेड़िया के निवास स्थान पर*
*UD Hotel ke Samne*
*3RD Block Jaynager*
*Bangalore* (कर्नाटक)
☎7798028703,9448385582
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📲 *जितेन्द्र घोषल*: 9844295823
📲 *मंजु गेलडा*: 9841453611
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*प्रस्तुति:- 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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Sangh Samvad
News, photos, posts, columns, blogs, audio, videos, magazines, bulletins etc.. regarding Jainism and it's reformist fast developing sect. - "Terapanth".

Update

♦ *13) आचार्यश्री महाश्रमण के जीवन प्रसंग*

ओड़िशा यात्रा के दौरान एक दिन माध्याह्न में आचार्यश्री महाश्रमणजी कुछ समय के लिए पोढाकर (लेटकर) विश्राम कर रहे थे। कुछ ही क्षण हुए थे कि आचार्यप्रवर के कानों में अस्पष्ट शब्द पड़े--‘मंगलपाठ सुनना है’ आचार्यप्रवर ने सेवा में स्थित मुनिजी से पूछा--‘बाहर कोई खड़ा है क्या? मुनिजी बोले--‘किन्हीं को कटक जाना है तो मंगलपाठ सुनना चाहते हैं, किन्तु अभी पूज्यप्रवर विश्राम करवाएं, वे लोग आधा घंटा बाद में मंगलपाठ सुन लेंगे।’ आचार्यप्रवर ने फरमाया--‘वे लोग इतनी देर कहां रहेंगे। अभी मंगलपाठ सुना देते हैं।’ यह फरमाते हुए आचार्यप्रवर विराजमान हो गए और इच्छुक श्रद्धालुओं को मंगलपाठ सुना दिया। आचार्यप्रवर के इस अनुग्रह में अभिस्नात लोग अहोभाव की अनुभूति कर रहे थे।

🌸 *अभिवन्दना के सुनहरे अवसर* 🌸

*आचार्यश्री महाश्रमण 57वां जन्मदिवस*
24 अप्रेल 2018

*आचार्यश्री महाश्रमण 9वां पदाभिषेक दिवस*
25 अप्रेल 2018

*आचार्यश्री महाश्रमण 45वां दीक्षा दिवस*
29 अप्रेल 2018

*वन्दन* 🙏🏼 *अभिवन्दन* 🙏🏼 *अभिनन्दन*

Update

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙

📝 *श्रंखला -- 297* 📝

*अमेय मेधा के धनी आचार्य हरिभद्र*

*साहित्य*

आचार्य हरिभद्र ने उच्चकोटि का विपुल साहित्य लिखा। उनके ग्रंथ जैन शासन के अनुपम वैभव हैं। आचार्य हरिभद्र की लेखनी विविध विषयों पर चली। आगमिक क्षेत्र में वे सर्वप्रथम टीकाकार थे। योग के क्षेत्र में भी उन्होंने नई दृष्टियां प्रदान कीं। उन्होंने ज्ञानवर्धक प्रकीर्णक ग्रंथों की रचना की।

आचार्य हरिभद्र ने आवश्यक, दशवैकालिक, जीवाभिगम, प्रज्ञापना, नन्दी और अनुयोगद्वार इन आगमों पर टीका रचना का कार्य किया। पिण्डनिर्युक्ति की उनकी अपूर्ण रचना को वीराचार्य ने पूर्ण किया था। विविध विषयों का विवेचन करती हुए उनकी टीकाएं विशेष ज्ञानवर्धक हैं। ये टीकाएं भावी टीकाकारों के लिए आधारभूत बनीं।

जैन साहित्य में उनके 75 ग्रंथों के नाम उपलब्ध होते हैं। उनके प्रमुख ग्रंथों का परिचय संक्षेप में इस प्रकार है–

*आवश्यक टीका* आवश्यक निर्युक्ति गाथाओं पर इस टीका की रचना हुई। निर्युक्ति गाथाओं की व्याख्या में आवश्यक चूर्णि का पदानुसरण नहीं है। इसमें सामायिक आदि सभी पदों पर बहुत विस्तार से विवेचन है तथा विस्तृत रुचि रखने वाले पाठकों के लिए अत्यंत उपयोगी है। टीका की परिसमाप्ति में जिनभट्ट, जिनदत्त, याकिनी महत्तराजी आदि का उल्लेख करते हुए अपने को अल्पमति कहकर परिचय दिया है। यह टीका बाईस हजार श्लोक परिमाण है।

*दशवैकालिक टीका* इस टीका की रचना दशवैकालिक निर्युक्ति गाथाओं के आधार पर हुई है। इसका नाम शिष्यबोधिनी वृत्ति है। इसे वृहद्वृत्ति भी कहते हैं। इस वृत्ति रचना का उद्देश्य स्पष्ट करने के बाद हरिभद्र ने दशवैकालिक के निर्यूहण कर्ता आचार्य शय्यंभव का पूर्ण परिचय दिया है।

निर्जरा के बारह भेदों का सांगोपांग विवेचन, दर्शनाचार, ज्ञानाचार, चरित्राचार, तपाचार और वीर्याचार की व्याख्या, अठारह सहस्र-शिलांग का प्रतिपादन, श्रमण धर्म की दुर्लभता, भाषा-विवेक, व्रतषट्क, कायषट्क आदि अठारह स्थान, आचार प्रणिधि, समाधि के चारों प्रकार, भिक्षु स्वरूप, चूलिका में आए हुए रतिजनक तथा अरतिजनक कारण और साधु-जीवन की विविध चर्या का स्पष्टीकरण इस वृत्ति के विवेच्य-स्थल हैं।

टीका के अंत में टीकाकार ने अपना परिचय महत्तरा धर्मपुत्र के नाम से दिया है।

*जीवाभिगम टीका* यह टीका जीवाभिगम सूत्र पर है। इसमें जैन तत्त्व दर्शन का विवेचन है। तत्त्वज्ञान पिपासु पाठकों के लिए यह टीका विशेष उपयोगी है। जीवाभिगम सूत्र पर लघुवृत्ति है।

*प्रज्ञापना प्रदेश व्याख्या* यह टीका प्रज्ञापना सूत्र के पदों पर है। यह संक्षिप्त और सरल टीका है। इसके प्रारंभ में जिन प्रवचन की महिमा है। भव्य और अभव्य के प्रसंग में एतद् विषयक वादीमुख्य के श्लोक भी उद्धृत किए गए हैं और प्रज्ञापना सूत्र के विभिन्न विषयों का विवेचन साधारण जनता के लिए जीव और अजीव से संबंधित है। सैद्धांतिक विषयों को भी सरलतापूर्वक समझाया गया है। अष्टम पद की व्याख्या में संज्ञा स्वरूप का विवेचन मनोवैज्ञानिक दृष्टि से अत्यंत महत्तवपूर्ण है।

प्रज्ञापना के ग्यारहवें पद के आधार पर इसमें काम-शास्त्र-संबंधी सामग्री है और स्त्री, पुरुष तथा नपुंसक के स्वभावगत लक्षणों का भी सुंदर विवेचन है।

*आचार्य हरिभद्र द्वारा रचित अन्य और भी साहित्य सम्पदा* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

📙 *'नींव के पत्थर'* 📙

📝 *श्रंखला -- 121* 📝

*माईदासजी गाधिया*

*मृत्यु और जनागमन*

लगभग सतहत्तर वर्षों का आयुष्य प्राप्त कर वे सम्वत् 1954 में आषाढ़ में दिवंगत हुए। लोगों ने उसे समाज की एक अपूरणीय क्षति माना। शवयात्रा के समय स्थानीय तथा बाहर के इतने लोग आए कि उससे पहले वहां इतनी जनता कभी एकत्रित नहीं हुई थी। मृत्यु के कुछ दिन पश्चात् स्थानीय परंपरा के अनुसार संवेदना प्रकट करने के लिए बाहर से आने वाले लोगों का तांता लग गया। वे प्रभावशाली व्यक्ति थे, जान-पहचान का क्षेत्र बहुत विस्तृत था, मिलनसार और परोपकारी होने के कारण सभी के लिए श्रद्धा-पात्र थे, अतः बहुत बड़ी संख्या में और बहुत दूर-दूर तक के व्यक्ति वहां आते रहे। कभी कम तो कभी अधिक लगभग चार महीनों तक आने वालों का क्रम चालू रहा। उसे उनकी जनप्रियता का ही एक उदाहरण कहा जा सकता है।

*चातुर्मास बंद*

उस वर्ष गुढ़ा में दो मुनियों का चातुर्मास था। चातुर्मास प्रारंभ होने को ही था कि माईदासजी की मृत्यु हो जाने के कारण धार्मिक प्रेरणा वाले एक मुख्य और बड़े परिवार के व्यक्तियों का व्याख्यान आदि में आगमन रुक गया। अन्य कुछ व्यक्ति वहां संवेदना प्रकट करने के लिए आने वालों की व्यवस्था में तो कुछ अपने खेती आदि कार्यों से बाहर चले जाते। प्रातःकाल दर्शन कर लेने के पश्चात् व्याख्यान के समय वहां प्रायः कोई नहीं आ पाता। जनागमन के अभाव में उस समग्र चातुर्मास में एक भी व्यवस्थित व्याख्यान नहीं हो पाया। केवल संवत्सरी तथा चातुर्मास समाप्ति के दिन विहार के अवसर पर व्याख्यान हुआ।

दोनों मुनि वहां से विहार कर लाडनूं आ गए। उस चातुर्मास में अचानक माणकगणी का देहावसान हो गया। वे अपने उत्तराधिकारी की नियुक्ति भी नहीं कर पाए। इसलिए सारा संघ लाडनूं में एकत्रित हुआ और उसने आचार्य पद पर मुनि डालचंदजी को निर्वाचित किया। उन्होंने माघ कृष्णा 2 को पदभार संभाला और संघ की सारणा-वारणा में लग गए। उसी क्रम में जब उन्होंने गुढ़ा से आए संतों से वहां की धार्मिक गतिविधियों का विवरण मांगा तो उन्होंने यथावत् स्थिति उनके सामने रख दी। डालगणी को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि चातुर्मास में वहां प्रायः व्याख्यान नहीं हुआ। उन्हें इस बार का खेद भी हुआ कि माईदासजी जैसे विवेकशील श्रावक के चले जाने के पश्चात् उनके पीछे धार्मिक क्षेत्र की चिंता करने वाला वहां कोई भी नहीं रहा। डालगणी ने श्रावकों के ऐसे शैथिल्य पर बड़ा कठोर रुख अपनाया। उन्होंने आगे के लिए वहां चातुर्मास करवाने बंद कर दिए।

*क्या गुढ़ा के श्रावकों में जागरूकता आई और वहां फिर से चातुर्मास प्रारंभ हुए...?* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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News in Hindi

👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ

प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए

🌻 *संघ संवाद* 🌻

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👉 *"अहिंसा यात्रा"* के बढ़ते कदम

👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "सीथापुरम्" पधारेंगे

👉 आज का प्रवास - Z.P.H. स्कूल,सीथापुरम् जिला - विजयनगरम (आंध्रप्रदेश)

प्रस्तुति - *संघ संवाद*

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Sources

Sangh Samvad
SS
Sangh Samvad

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Page glossary
Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
  1. Chennai
  2. Jainism
  3. Sangh
  4. Sangh Samvad
  5. Tada
  6. Terapanth
  7. आचार्य
  8. आचार्य महाप्रज्ञ
  9. दर्शन
  10. निर्जरा
  11. भाव
  12. श्रमण
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