Update
👉 जयपुर: श्रीमती निजरी देवी बोथरा द्वारा "तिविहार संथारा" स्वीकार
प्रस्तुति: 🙏🏻 *संघ संवाद* 🙏🏻
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*30/01/18* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ ले
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2 का प्रवास *Shree Jain Swetamber Terapanth sabha*
No 5 Thalayattam Bazzar
Near police station *Gudiyattam* Tamilnadu
☎9003789485,9150179971
9488921371
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*भिकमचन्द जी दक के निवास स्थान पर*
नियर - KEB OFFICE
*पेरियापटना* (कर्नाटक)
मैसुर - मैगलौर रोड (कर्नाटक)
☎9448385582
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* का प्रवास
*महावीर भवन*
*विलिपुरम*
☎8107033307
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ *मुनि श्री अमृत कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*महावीर भवन*
*विलिपुरम*
☎9566296874
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*Jain Bhawan*
TD Road Near Convent in
*ERNAKULAM* (केरला) ☎9672039432,7907269421
92469989090
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री सुधाकर जी एवं मुनि श्री दीप कुमार जी का प्रवास*
*सन्मती फार्म हाऊस MANDA से विहार करके GOTTA GOTI पधारेगे*
पुना - बैगलौर हाईवे
☎7821050720,9558651374
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*KGF* (कर्नाटक)
☎8890788494
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4* का प्रवास
*राजेन्द्र भवन अल्कापल्ली से विहार करके पंचायत भवन VAYAVARAM पधारेगे*
विशाखापट्नम् - चेन्नैइ रोड
☎7297958479,9025434777
7044937375
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा 6* का प्रवास
*मदन जी नाहर* के निवास स्थान पर
नेहरू नगर, बेगलौर
☎7624946879,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*jetmal Ji Lunawat*
Anna Nagar
Chennai
☎9884901680,9092900993
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञाश्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*जैन भवन*
114/48, Big Street (Periya Teru),
*Vadivishwaram,Nagercoil*
(तमिलनाडु)
☎9629840537
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री सुदर्शना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*बल्लारी* (कर्नाटक)
☎7230910977,8830043723
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*तेरापंथ सभा भवन*
*हासन*
☎9601420513,
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 6* का प्रवास
*तेरापंथ सभा भवन गॉधीनगर बैगलौर* (कर्नाटक)
☎7798028703
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प्रस्तुति:- 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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Sangh Samvad
News, photos, posts, columns, blogs, audio, videos, magazines, bulletins etc.. regarding Jainism and it's reformist fast developing sect. - "Terapanth".
*पुज्यवर का प्रेरणा पाथेय*
👉 *कटक की सीमा अतिक्रान्त कर ढेकानल जिले में महातपस्वी का मंगल प्रवेश*
👉 *अहिंसा यात्रा संग शांतिदूत पहुचें शंकरपुर हाइस्कूल, दर्शन को जुटे ग्रामीण*
दिनांक - 29-01-2018
प्रस्तुति - *संघ संवाद*
Source: © Facebook
Update
*श्री विनोद बैद को आचार्यप्रवर ने सुनाया कल्याण परिषद के संयोजक के रूप में मंगलपाठ*
परम श्रद्धेय आचार्यप्रवर ने आज कल्याण परिषद की संगोष्ठी में श्री विनोद बैद को कल्याण परिषद के संयोजक के रूप में मंगलपाठ सुनाया।
दिनांक: 29.01.2018
प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 245* 📝
*दिव्य विभूति आचार्य देवनन्दी (पूज्यपाद)*
*साहित्य*
आचार्य देवनन्दी पूज्यपाद बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे शास्त्रज्ञ, समीक्षक, दार्शनिक, कवि, वैयाकरण तथा ग्रंथ रचनाकार थे। वे अपने प्रतिपाद्य को प्रस्तुत करने में निर्भीक मनोवृत्ति के थे। हरिवंश पुराण एवं आदि पुराण के कर्ता जिनसेनद्वय, जिनेन्द्र प्रक्रिया के रचनाकार गुणनन्दी, ज्ञानार्णव के रचनाकार शुभचन्द्र आदि आचार्यों ने विद्वान् आचार्य देवनन्दी पूज्यपाद के बुद्धिबल की मुक्त कंठ से प्रशंसा की है। श्रवणबेलगोला आदि के शिलालेखों में भी उनकी प्रशस्तियां अंकित हैं।
आचार्य देवनन्दी ने अपनी विकासशील बुद्धि का उपयोग साहित्य रचना की दिशा में भी किया। उन्होंने उत्तम कोटि के ग्रंथ रचे। उनके ग्रंथों का परिचय इस प्रकार है—
*तत्त्वार्थवृत्ति (सर्वार्थसिद्धि)* आचार्य देवनन्दी पूज्यपाद कि यह गद्यात्मक संस्कृत टीका है। तत्त्वार्थ के मूल सूत्रों पर इसकी रचना हुई है। इसके दस अध्याय हैं। यह ग्रंथ दार्शनिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। इस ग्रंथ में जीव, अजीव आदि सात तत्त्वों का विस्तृत विवेचन है। पुण्य और पाप तत्त्व को बंध तत्त्व के अंतर्गत ही मान लिया गया है।
तत्त्वार्थ सूत्र के प्रत्येक पद की विशद व्याख्या होने के कारण वृत्ति के लक्षण इसमें सम्यक्तया घटित हैं। रचनाकार ने स्वयं अपनी इस रचना को वृत्ति कहा है और वृत्ति का नाम सर्वार्थसिद्धि दिया है। ग्रंथांतर्गत प्रत्येक अध्याय के समाप्ति प्रसंग पर वे लिखते हैं
*इति सर्वार्थसिद्धिसंज्ञायां तत्त्वार्थ वृत्तौ*
*प्रथमोऽध्यायः समाप्तः.....*
यह टीका सुखकर एवं परमार्थ सिद्धि का हेतु है। परमार्थ के साथ जीवन के अन्य समस्त अर्थ स्वतः सिद्ध होते हैं, अतः इस टीका का नाम सर्वार्थसिद्धि उपयुक्त है। प्रस्तुत वृत्ति ग्रंथ की रचनाशैली संक्षिप्त, मर्मस्पर्शी एवं अर्थ गरिमा से परिपूर्ण है। ग्रंथ की समुचित शब्द संयोजना और प्रवाहमयी भाषा ग्रंथकार के वैदुष्य को प्रकट करती है।
स्वर्ग और अपवर्ग के अभिलाषी व्यक्ति को मनोयोगपूर्वक अहर्निश इस ग्रंथ का स्वाध्याय करना चाहिए। ऐसा इस वृत्ति की प्रशस्ति में बताया गया है।
आचार्य उमास्वाति के तत्त्वार्थ सूत्र पर दिगंबर संप्रदाय की उपलब्धि टीकाओं में यह टीका सर्वप्रथम है। तत्त्वार्थ सूत्र की अन्य टीकाएं इसी आधार पर रची गई हैं।
*समाधि तन्त्र* यह अध्यात्म विषयक उच्च कोटि का गंभीर ग्रंथ है। ग्रंथ का दूसरा नाम समाधिशतक भी है। ग्रंथ की शैली मनोरम और हृदयस्पर्शी है। ग्रंथगत विषय का प्रतिपादन मनोमुग्धकारी है। ग्रंथकार ने मानो स्थितप्रज्ञ जैसी स्थिति में पहुंचकर इस अध्यात्म के गूढ़ ग्रंथ की रचना की है। अध्यात्म सुधारस से ओतप्रोत यह कृति पाठक के लिए माननीय एवं पठनीय है। इस पर कई संस्कृत टीकाएं हैं।
*इष्टोपदेश* यह ग्रंथकार की लघु रचना है। इसके 51 पद्य हैं। समाधितन्त्र की तरह इस ग्रंथ में भी अध्यात्म का सरस विवेचन है। अध्यात्म साधक के लिए आत्मस्वरूप का बोध ही परम इष्ट होता है, इसका मर्मस्पर्शी उपदेश होने के कारण कृति का इष्टोपदेश नाम सार्थक है। पंडित आशाधरजी कि इस पर संस्कृत टीका है। वर्तमान में टीका सहित यह ग्रंथ प्रकाशित है।
*आचार्य देवनन्दी पूज्यपाद द्वारा रचित जैनेन्द्र व्याकरण* के बारे में जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
📙 *'नींव के पत्थर'* 📙
📝 *श्रंखला -- 69* 📝
*हेमजी बोल्या*
*धर्म परायण*
हेमजी बोल्या लावा सरदारगढ़ के निवासी थे। वे ऋषिराय के शासनकाल के स्थानीय श्रावकों में प्रमुख होने के साथ एक दृढ़धर्मी और निर्भीक व्यक्ति थे। जब भी अवसर मिलता वे साधु-साध्वियों की सेवा में अपना समय लगाते। मुनिजनों के संपर्क में उन्होंने अच्छा धार्मिक ज्ञान अर्जित कर लिया था। त्याग व तपस्या में भी अच्छी रुचि रखा करते थे। प्रतिदिन सामायिक किया करते थे। ध्यान और जप में जब वे बैठते तब उसी में पूरे तल्लीन हो जाया करते थे। योगों की स्थिरता बहुत अच्छी थी। पच्चीस वर्ष की पूर्ण युवावस्था में उन्होंने सपत्नीक ब्रम्हचर्य व्रत स्वीकार कर लिया था। पाप का पूरा-पूरा बचाव किया करते। आजीविका के लिए मुख्यतया ब्याज का कार्य था। अधिकांश रकम किसानों और चरवाहों में दी हुई थी। ब्याज उगाहने में कोमलता का ही व्यवहार किया करते थे। किसी से लड़ना-झगड़ना, अपशब्द बोलना आदि कार्यों से वे बहुत दूर रहा करते थे।
*मृत्यु का स्पर्श*
एक बार पश्चिम रात्रि के समय वे सामायिक कर रहे थे। स्थिरासन होकर जब वे ध्यानमग्न हुए तभी उनके शरीर पर कहीं से एक सर्प चढ़ आया। उन्होंने उसके लिजलिजे शरीर का स्पर्श होते ही जान लिया कि शरीर पर कोई सांप रेंग रहा है, फिर भी वे साहसपूर्वक ज्यों के त्यों फिर बैठे रहे। उस समय जरा सा हिलना भी मृत्यु को आह्वान करना होता, परंतु ऐसे समय में स्थिरता रखना भी तो कोई साधारण काम नहीं था। सांप ऊपर चढ़ा सिर तक पहुंचने पर जब आगे चढ़ने के लिए कोई आलंबन नहीं मिला तब गले में आंटी लगाई और अपने सिर को आगे बढ़ाते हुए इधर-उधर टटोलकर आगे का मार्ग खोजने लगा। इस क्रिया में उसने उनके मुख को भी अनेक बार अपने मुख से स्पर्श करके देखा। आखिर आगे मार्ग के अभाव में वह नीचे उतरा और अन्यत्र चला गया। श्रावक हेमजी ने ध्यान के उन क्षणों में एक प्रकार से साक्षात् मृत्यु का ही स्पर्श किया था। वह स्पर्श कोमल होते हुए भी कितना भयंकर होता है, उसे हेमजी की तरह कोई प्रत्यक्षानुभूति करके ही जान सकता है।
*अविचल वृत्ति*
एक बार श्रावक हेमजी ने बाजार में अपनी दुकान पर सामायिक कर रखी थी उसी समय किसी ने आकर सूचना दी कि तुम्हारे घर पर आग लग गई है। घर में काफी कपास रखा हुआ था। ऐसी स्थिति में आग लगने के समाचार किसी भी व्यक्ति के मन में उथल-पुथल मचा देने को पर्याप्त होते हैं, परंतु हेमजी उससे विचलित नहीं हुए। सामायिक को बीच में छोड़ने का तो प्रश्न ही नहीं उठता। सामायिक पूर्ण करके वे घर पहुंचे तब तक आग बुझाई जा चुकी थी। कोई विशेष हानि नहीं हुई, यह तो एक संयोग की बात थी, वह हो भी सकती थी, फिर भी उनकी अविचल वृत्ति तो कसौटी पर खरी उतर ही चुकी थी।
*श्रावक हेमजी बोल्या के प्रेरणादायी जीवन-वृत्त में व्यापार में भी उदारता की वृत्ति* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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🎴अणुव्रत महासमिति के उपाध्यक्ष *श्री कैलाश जी सिंघी* की उल्लेखनीय श्रमशीलता की अनुमोदना।
📍आपके प्रयासों से पहले *उत्तरप्रदेश के अनपरा* और अब *मध्यप्रदेश के बैढन* में अणुव्रत समिति का गठन ।
📍 परम पूज्य अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण जी के अणुव्रत आन्दोलन के चंहुमुखी विस्तार के स्वप्न को साकार करने की ओर एक सार्थक कदम बढ़ाने हेतु टीम अणुव्रत को बधाई।
📍सत्र 2017-19 में विगत 4 माह में 11 समितियों का गठन ।
📍गठित समितियों की सूची ~
1. हरियाणा ~ बरवाला
2. असम ~ बड़पेटारोड
3. असम ~ बँगाईगांव
4. असम ~ धुबड़ी
5. असम ~ कोकड़ाझाड़
6. राजस्थान ~ आडसर
7. गुजरात ~ चलथान
8. उत्तरप्रदेश ~ अनपरा
9. राजस्थान ~ चाड़वास
10. मध्यप्रदेश ~ बैढन
11. राजस्थान ~ उदासर
अशोक संचेती
अध्यक्ष
*अणुव्रत महासमिति*
प्रस्तुति: 🌿 *अणुव्रत सोशल मीडिया* 🌿
प्रसारक: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
News in Hindi
🎖परमाराध्य आचार्यप्रवर द्वारा आज घोषित संबोधन सूची ~
29.01.2018
🌻 *संघ संवाद* 🌻
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*आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत प्रवचन का विडियो:
👉 *खुद सुने व अन्यों को सुनायें*
*- Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482
संप्रेषक: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 *"अहिंसा यात्रा"* के बढ़ते कदम
👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "शंकरपुर" पधारेंगे
👉 आज का प्रवास - शंकरपुर हाइस्कूल, शंकरपुर, जिला - कटक (ओड़िशा)
प्रस्तुति - *संघ संवाद*
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