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धन्य धन्य वे लोग यहाँ जो महामस्तक अभिषेक में जा रहे हैं.. क्या आप जा rahe हैं?
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आचार्यश्री विद्यासागरक जी सासंघ डिंगरगढ से भिलाई जा रहे हैं:) Latest Pic of #AcharyaVidyasagar G
फिर जागेगा भाग्य
दरस कर तृप्त होंगे नयन
चल पड़े हैं सतत् यात्रा पर
मुक्ति पथ के राही!!
कंकर कंकर बनेगा पावन
महकेगी हवा गुनगुनायेंगे पंछी
निकलेंगे जँहा जँहा से
मुक्ति पथ के राही!!
✍जैन ब्रजेश सेठ
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The Government advises us not to use mobile phones as infrequently as possible. And to keep them away from the body. #Mobile
News in Hindi
प्रवचन के पूर्व किसी सज्जन ने दान के बारे में अपनी बात रखी।हंसी के तौर पर उनने कहा - बुंदेलखंड के लोग बड़े कंजूस है ये दान नही देते।
यह सुनकर आचार्य गुरुदेव मन ही मन मुस्कुराने लगे और मंद मंद मुस्कान उनके चेहरे पर आ गयी, तो सभी सभा मे बैठे श्रद्धालु गण हँसने लगे।
आचार्य महाराज ने प्रवचन के समय कहा - अभी एक सज्जन कह रहे थे कि ये बुन्देलखण्ड के लोग धन का त्याग नही करते। देखो (मंचासीन सभी मुनिराजों की और अंगुली का इशारा करते हुए कहा) बुंदेलखंड वालो ने हमे चेतन धन दिया है । ये इतनी बड़ी दुकान है । आप कह रहे थे की ये दान नही करते । उन्मुक्त हंसी के साथ बोले - ये बुंदेलखंड के श्रावक जड़ का नही चेतन धन का दान करते है । हमारी यहाँ अच्छी दुकान चलती है, इसलिए तो बुंदेलखंड छोड़ा नही जाता है। खूब भगवान की प्रभावना होती है । फिर थोड़ा रुककर बोले कि - भगवान की क्या प्रभावना? होनहार भगवान को तैयार करना ही भगवान की प्रभावना है
इसलिये तो गुरुजी बुंदेलखंड को अपना केंद्र मानते है।
शिक्षा - आचार्य गुरुदेव जड़ को महत्व नही देते है। चेतन को धन की संज्ञा देते है । आत्म वैभव ही सच्चा वैभव है और जिन्हें वह प्राप्त है, उन्हें अन्य किसी वैभव की जरूरत नही । आत्म वैभव के प्राप्त होते ही दुनियां के वैभव फीके लगने लगते हैं।
(अतिशय क्षेत्र बीना बारहा जी, उत्तम त्याग धर्म 15-09-2005) अनुभूत रास्ता से साभार 🖌 मुनि श्री कुंथुसागर जी
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