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ओह.. जगत के शांतिदाता, शांति जिनेश्वर जय हो तेरी.. किसको मैं अपना कहु, कोई समझ आता नहीं, इस जहाँ में आप बिन कोई भी मन भाता नहीं.. तुम ही हो त्रिभुवन विधाता.. शांति जिनेश्वर जय हो तेरी..
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#नारेली में पहुचते ही जगत पूज्य की कल्पनाओं को तो जैसे पंख मिल गए और उनके भक्त भी ऐसे जो उसे साकार करने में दिलो जान से जुट जाते है क्योंकि उन्हें पता है यही कार्य वो जो आज कर रहे है अगले बहुत वर्षो तक उनके भविष्य को सफल बनाने में सहयोगी होगा
31 दिसंबर 17 को छोड़ दिया जाए तो 1 दिसम्बर 18 में नारेली के इतिहास में जो हुआ वही बात उसे विश्व के महान अतिशयकारी क्षेत्रो में से एक बनाने के लिये बहुत है बल्कि यू कहे प्रथम भी लिखा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी
दर्शनार्थियों से भरा हुआ पांडाल,अभिषेकार्थीओ से भरे हुए रास्ते, सजे हुए मन्दिरो की कतारें और मंच पर विराजित मुनि संघ की तश्वीरे तो जैसे ह्रदय के अन्तस् पटल पर अंकित सी हो गयी है उन दानियों के तो जैसे चरण छूने का मन करता है जिनके दान करने के भाव मात्र से ही तीर्थ ने आज इतिहास- भूगोल में अपनी अलग स्थिति बनाई है
_जगत पूज्य ने भावना भाई कि चौबीस समवशरण का निर्माण हो प्रत्येक में विराजने वाले उनके दातारो और मध्य में बैठी भीड़ के बीच एक ऐसा भव्य विधान हो जिसे देखते ही ऐसा लगे जैसे साक्षात समवशरण में विराजमान हो गए हो और भक्ति का आंनद भी इतना अधिक हो कि हम जीवन भर याद रखे_ ।
*गुरुदेव के मुँह से बात निकली और पूर्णता की ओर भी है कल शायद पूर्णता की घोषणा भी हो जाये - जिसका द्रव्य लग गया वह निश्चित कुबेर की भांति एक भव अवतारी ही होगा क्योंकि इस पंचम काल मे भोगों पर खर्च करने वालो के बीच कोई ऐसा विरला ही होता है जो अपनी राशि धर्म के कार्यो में न्योछावर करता है*
_ये तो बात हुए गुरु की भावना की जिसे भक्तों ने पूरा करने की कोशिश की और सफल भी होंगे अब बैठे बैठे हम भक्तों की भी छोटी बुद्धि में एक भाव आया और हमने भी भगवान से प्रार्थना कर ली_
*गुरुदेव जिस प्रकार आज भव्यातिव्य समवशरण के निर्माण का प्रस्ताव लाये है एक दिन ऐसे ही भव्यातिव्य समवसरण में हमे भी बैठने का सौभाग्य मिले और जिनकी वाणी सुनने का सौभाग्य हमे प्राप्त हो वह और कोई नही तीर्थंकर रूप में स्वयं साक्षात जगत पूज्य हो*
_तीर्थंकर समान धर्म का उपदेश देकर सुधर्म का प्रवर्तन करने वाले संत जिनकी हित मित प्रिय वाणी को सुनने के लिये नर नारी सदैव आतुर रहते है भला ऐसे संत के समवशरण में कौन बैठना नही चाहेगा_
*जगतपूज्य मुनि पुंगव सुधा सागर जी महाराज सदा जयवंत हो*
*श्रीश जैन ललितपुर*
🔔🚩 *पुण्योदय विद्यासंघ*🚩🔔
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Yesterday clip @ #ShikharJi —नए साल का स्वागत श्री सम्मेद शिखरजी में हुआ सेलिब्रेशन कल हमने वन्दना करके बनाया हैप्पी न्यू ईयर करीब एक लाख से jada लोग ने वन्दना की साथ में भिलाई के रजत जैन भी थे जो लगातर 10 साल से नया साल से शिखरजी वन्दना करके बना रहे -रजत जैन भिलाई