Update
*68 वां अणुव्रत अधिवेशन*
राजरहाट, कोलकत्ता से
👉 *68 वें अणुव्रत अधिवेशन के प्रथम दिवस की झलकियां*
दिनांक: 08/09/2017
प्रस्तुति: 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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*68 वां अणुव्रत अधिवेशन*
राजरहाट कोलकत्ता से
👉 *"स्वर्णिम भारत और अणुव्रत" कार्यशाला*
*~ श्री विक्रम सेठिया (मोटीवेटर)~*
दिनांक: 08/09/2017
प्रस्तुति - *तेरापंथ संघ संवाद*
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09 सितम्बर का संकल्प
*तिथि:- आसोज कृष्णा तृतीया*
स्वच्छ और शुद्ध हो जब खानपान ।
तो सुख-शांति की बजती मधुर तान ।।
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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Video
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दिनांक 08-09-2017 राजरहाट, कोलकत्ता में पूज्य प्रवर के आज के प्रवचन का संक्षिप्त विडियो..
प्रस्तुति - अमृतवाणी
सम्प्रेषण -👇
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
*68 वां अणुव्रत अधिवेशन*
राजरहाट, कोलकत्ता से
👉 *पूज्यवर के सान्निध्य में 68 वें अणुव्रत अधिवेशन के प्रथम दिन अणुव्रत महासमिति द्वारा घोषित पुरस्कार 2016-17..*
दिनांक: 08/09/2017
प्रस्तुति: 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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Update
*68 वां अणुव्रत अधिवेशन*
राजरहाट कोलकत्ता से
👉 *परिचय सत्र*
दिनांक - 08-9-2017
प्रस्तुति - *तेरापंथ संघ संवाद*
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News in Hindi
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 147* 📝
*विलक्षण वाग्मी आचार्य वज्रस्वामी*
*जीवन-वृत्त*
गतांक से आगे...
सुविनीत मुनि वज्र के पास श्रुत का गंभीर अध्ययन था। एक दिन आचार्य सिंहगिरि शौचार्थ बाहर गए। माधुकरी में प्रवृत्त अन्य मुनि भी उस समय उपाश्रय में नहीं थे। बालमुनि वज्र अकेले थे। नीरव वातावरण से उनके मन में कई प्रकार के भाव जागृत हुए। आगम वाचना प्रदान करने की उत्सुकता जगी। वातावरण को अनुकूल पाया। अपने चारों ओर श्रमणों के उपकरणों को रखकर उन्हें ही श्रमणों का प्रतीक मानकर मुनि वज्र ने वाचना प्रदान करने का कार्य प्रारंभ किया। मनोनुकूल कार्य में सहज लीनता आती है। वज्रमुनि वाचना प्रदान कार्य में तल्लीन हो गए। उन्हें समय का भान नहीं रहा। आचार्य सिंहगिरि उपाश्रय के निकट आए। उन्हें मात्रा, बिंदु सहित आगम पद्यों का स्पष्ट उच्चारण सुनाई दे रहा था। मधुर ध्वनि ने आचार्य सिंहगिरि के मन को मुग्ध कर दिया। आगम के प्रत्येक पद्य का अतीव सुंदर सांगोपांग विवेचन सुनकर आचार्य सिंहगिरि शिशु मुनि वज्र की प्रतिभा पर आश्चर्यविभोर थे।
वज्र मुनि के स्वाध्याय कार्य में बाधा न पहुंचे यही सोचकर आचार्य सिंहगिरि आगे बढ़ते-बढ़ते रुक गए। फिर भी मंद-मंद पदचाप की ध्वनि से और वातावरण की सूक्ष्म हलचल से जागरुक बाल मुनि वज्र को आचार्य देव के आगमन का आभास हुआ। उपकरणों को तत्काल यथास्थान रखकर बाल मुनि वज्र उठे। गुरु के सम्मुख गए। चरणों में झुके। अभिवादन के बाद गुरु के पीछे चलते अपने स्थान पर लौट आए। आचार्य सिंहगिरि अपने शिष्य की योग्यता पर अत्यंत प्रमुदित हो रहे थे। मन ही मन चिंतन किया
*अप्रकृटीकृतशक्तिः शक्तोऽपि नरस्तिरस्कृतिं लभते।*
*निवसन्नन्तर्दारूणि लङ्ध्यो वह्रिर्न तु प्रज्वलितः*
*।।16।।*
*(उपदेशमाला विशेषवृत्ति, पृष्ठ 212)*
शक्ति गुप्त रहने पर सबल व्यक्ति भी तिरस्कार को प्राप्त होते हैं। अंतर्निहित अग्निक काष्ठ को लांघा जा सकता है, प्रज्वलित काष्ठ को नहीं।
*वैयावृत्यादिषु लघोर्माऽवज्ञाऽस्य भवत्विति।*
*ध्यात्वाऽऽहुर्गुरवः शिष्यान् विहारं कुर्महे वयम्*
*।।118।।*
*(प्रभावक चरित्र, पृष्ठ 6)*
ज्ञान संपन्न मुनि वज्र की योग्यता अज्ञात रहने पर स्थविर मुनियों द्वारा वैयावृत्य आदि कराते समय किसी प्रकार से वज्र मुनि की अवज्ञा न हो इस हेतु मेरा अन्यत्र प्रस्थान उपयुक्त होगा, यह सोचकर दूसरे दिन आचार्य सिंहगिरि ने शिष्य समूह को देशांतर जाने का निर्णय सुनाया। आगे कहा "शिक्षार्थी मुनियों! यात्रा में धर्म प्रचार का कार्य प्रमुख होता है। अध्ययन-अध्यापन के लिए समय कम ही बच पाता है अतः अध्ययनार्थी शिष्यों का यहीं रुकना उचित होगा, जिससे ज्ञानाराधना का क्रम अनवरत रूप से चलता रहे। मेरी इस यात्रा में धर्म-प्रचारक स्थविर मुनि ही सहभागी बन सकेंगे।"
अध्ययनार्थी मुनियों ने निवेदन किया "गुरुदेव! हमें वाचना कौन प्रदान करेंगे?"
आचार्य सिंहगिरि ने लघु मुनि वज्र का नाम वाचना प्रदानार्थ घोषित किया।
अध्यापनार्थ बाल मुनि वज्र का नाम सुनकर वय ज्येष्ठ, पर्याय ज्येष्ठ रत्नाधिक मुनियों को एक बार विस्मय अवश्य हुआ पर दूसरे ही क्षण उन्होंने सोचा *"निर्विचारं गुरोर्वचः"* गुरु के वचन अतर्कणीय होते हैं। विनीत शिष्यों ने 'तथेति' कहकर आचार्य सिंहगिरि के आदेश को स्वीकार किया।
स्थविर मुनियों से परिवृत आचार्य सिंहगिरि का विहार हुआ एवं मुनि वज्र ने समूह को वाचना देनी प्रारंभ की। लघुवय होने पर भी मुनि वज्र का विशद ज्ञान एवं तत्वबोध प्रदान करने की पद्धति सुंदर थी। मंदमति शिष्य भी सुखपूर्वक मुनि वज्र से वाचना को ग्रहण करने लगे।
*आचार्य वज्रस्वामी के जीवन-वृत्त* में आगे और पढ़ेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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आचार्य श्री तुलसी की कृति आचार बोध, संस्कार बोध और व्यवहार बोध की बोधत्रयी
📕सम्बोध📕
📝श्रृंखला -- 147📝
*व्यवहार-बोध*
*शाश्वत बोध*
(मुक्त छन्द)
*92.*
महाप्रज्ञ को सम्मुख रख सम शम श्रम साधें,
श्रद्धा ज्ञान चरित्र त्रयी को ही आराधें।
मन उत्साही मधुर प्रमित वच काय सजग है,
अन्तरंग धर्मानुराग रंजित रग-रग है।।
*61. महाप्रज्ञ को सम्मुख रख...*
व्यवहार-बोध में भगवान् महावीर के बाद जितने आचार्यों को उदाहरण के रुप में उपस्थित किया गया है, वे हमारे गौरवमय अतीत की अमूल्य थाती हैं। वर्तमान में किसी व्यक्ति के बारे में कहने या लिखने में बहुत सावधानी की अपेक्षा है। किंतु कुछ व्यक्ति इसके अपवाद होते हैं। यहां मैं (ग्रंथकार आचार्यश्री तुलसी) आचार्य महाप्रज्ञ को प्रस्तुत कर रहा हूं।
किसी को समता, उपशम भाव और श्रमशीलता की सीख लेनी हो तो वे आचार्य महाप्रज्ञ को सामने रखें। समता उनकी साधना का प्रथम बिंदु है। उपशम भाव के कारण वे प्रशासनिक कार्यों में भी उत्तेजना नहीं करते। श्रम उनके जीवन में बोलता है। दिन भर काम में व्यस्त रहते हैं। श्रद्धा, ज्ञान और चारित्र की आराधना में उनकी जो जागरुकता है, वह सबके लिए जीवंत प्रेरणा है। वे विधायक भावों में जीते हैं, इसलिए कभी निराश नहीं होते, हर काम में उत्साह रखते हैं। मधुर और मित वचन, कायिक सजगता और आंतरिक धर्मानुराग आदि के माध्यम से वे संघ के साधु-साध्वियों को सक्रिय शिक्षण देते हैं।
*93.*
साम्य योग में सम्मुख रखें महाश्रमणी को,
श्रम सेवा स्वाध्याय प्रेरणा मिले सभी को।
संघ संघपति से ही अपना नाता जोड़ा,
एक पलक में सहोदरी से तांता तोड़ा।।
*62. साम्य योग में सम्मुख...*
भगवान् महावीर ने अपने धर्मशासन में स्त्री-पुरुष को लेकर कोई भेदरेखा नहीं खींची। आचार्य भिक्षु में भी सभी साधु-साध्वियों के लिए मौलिक संविधान एक ही बनाया। उनके उत्तरवर्ती आचार्यों ने भी समय-समय पर साधुओं की तरह साध्वियों का मूल्यांकन किया। मैं (ग्रंथकार आचार्यश्री तुलसी) भी उनके पदचिन्हों का अनुसरण करता हुआ इस श्रृंखला में महाश्रमणी साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा को प्रस्तुत करता हूं।
साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा के जीवन में समभाव का अच्छा विकास है। इतने बड़े साध्वी समुदाय को वह जिस सहजता से संभाल रही है, उसमें उसके समभाव का पूरा हाथ है। वह श्रमशील है। अपनी सेवाभावना से उसने वृद्ध, ग्लान आदि सबका मन जीता है। स्वाध्याय उसकी रुचि का विषय है। संघ और संघपति के प्रति उसकी नैसर्गिक निष्ठा और सहज समर्पण है। इसी कारण उसने अपनी सहोदरी साध्वी मंजुलाजी से अपना संबंध तोड़ लिया।
साध्वी मंजुलाजी संघ में दीक्षित थीं। उनके संघ से अलग होने का प्रसंग सामने आया तो साध्वीप्रमुखा ने कहा— 'आप संघ में रहें, आपको कोई कठिनाई नहीं होगी। मैं आपके साथ रहकर आपकी सेवा करूंगी। इसके लिए मैं साध्वीप्रमुखा के दायित्व को भी छोड़ दूंगी। संभव है आचार्यवर इसके लिए मुझे स्वीकृति न दें पर मैं जैसे-तैसे उनको मना लूंगी। बात एक ही है कि आप संघ में रहें।' यह तेरापंथ के इतिहास का ऐसा आलेख है, जो सबको प्रेरणा देता रहेगा।
*व्यवहार-बोध की रचना के प्रसंग में ग्रंथकार आचार्यश्री तुलसी की भावनाएं* पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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*68 वां अणुव्रत अधिवेशन*
राजरहाट कोलकत्ता से
👉 *अणुव्रत गौरव अलंकरण*
👉 *वर्ष 2016 के लिए डॉ. सोहनलाल गांधी व वर्ष 2017 के लिये डॉ. महेंद्र कर्णावट को पुरस्कार प्रदान किये गए*
दिनांक - 08-9-2017
प्रस्तुति - *तेरापंथ संघ संवाद*
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*68 वां अणुव्रत अधिवेशन*
राजरहाट कोलकत्ता से
👉 *उद्घाटन सत्र*
दिनांक - 08-9-2017
प्रस्तुति - *तेरापंथ संघ संवाद*
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*68 वां अणुव्रत अधिवेशन*
राजरहाट कोलकत्ता से
👉 *उद्घाटन सत्र*
दिनांक - 08-9-2017
प्रस्तुति - *तेरापंथ संघ संवाद*
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*68 वां अणुव्रत अधिवेशन*
राजरहाट कोलकत्ता से
👉 अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण के सान्निध्य में आयोजित अणुव्रत महासमिति अधिवेशन में पश्चिम बंगाल के महामहिम राज्यपाल श्री केशरीनाथ त्रिपाठी
दिनांक - 08-9-2017
प्रस्तुति - *तेरापंथ संघ संवाद*
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👉 अणुव्रत महासमिति के 68 वें अणुव्रत अधिवेशन का ध्वजारोहण के साथ भव्य शुभारम्भ
दिनांक - 08-09-2017
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
*प्रस्तुति - 🌻 तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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