23.03.2017 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 23.03.2017
Updated: 24.03.2017

Update

Video

Source: © Facebook

आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी द्वारा प्रदत प्रवचन का वीडियो:

👉 विषय - इंद्रियाँ व मन

👉 खुद सुने व अन्यों को सुनायें

- Preksha Foundation
Helpline No. 8233344482

प्रसारक: 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

Video

Source: © Facebook

दिनांक 23 - 03- 2017 के विहार और पूज्य प्रवर के प्रवचन का विडियो
प्रस्तुति - अमृतवाणी
सम्प्रेषण -👇

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

Update

👉 भगवान महावीर की जन्म भूमि विदेह कुण्डपुर, 'वैशाली' में पूज्यप्रवर..
👉 महावीर शासन की 'श्वेताम्बर-दिगम्बर' परंपरा का "आध्यात्मिक मिलन"
👉 स्वागत करते दिगम्बर आचार्य श्री शीतल सागर जी मुनिराज
👉 भगवान महावीर स्मारक समिति, वैशाली
👉 आज के 'मुख्य प्रवचन" के कुछ विशेष दृश्य..
👉 दोनों समूदाय के आचार्य मंगल उद्बोधन प्रदान करते हुए..

दिनांक - 23 - 03 - 2017

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
प्रस्तुति: 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

♻❇♻❇♻❇♻❇♻❇♻

*श्रावक सन्देशिका*

👉 पूज्यवर के इंगितानुसार श्रावक सन्देशिका पुस्तक का सिलसिलेवार प्रसारण
👉 श्रृंखला - 36 - *चारित्र आत्मा*

*चारित्र आत्मा* क्रमशः हमारे अगले पोस्ट में....

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆

जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 11* 📝

*आगम युग के आचार्य*

*श्रमण-भूमिका में प्रवेश*

गतांक से आगे...

संयम साधना स्वीकार करने के बाद इन पंडितों को गणधर-लब्धि की प्राप्ति हुई। वे गणधर कहलाए और भगवान् महावीर द्वारा प्रतिपादित उत्पाद, व्यय, ध्रौव्यमयी त्रिपदी के आधार पर उन्होंने द्वादशांगी की रचना की। प्रथम सात गणधरों के आगम-वाचना पृथक-पृथक थी। आगे के गणधरों में गणधर अचलभ्राता और अकम्पित की वाचना एवं गणधर मेतार्य और प्रभास की वाचना समान थी। अंतिम युग्म वाचना समान होने के कारण ग्यारह गणधरों के नौ गण बने। आगम वाचना के आधार पर निर्मित इन गणों में प्रथम सात गणों का संचालन इंद्रभूति आदि प्रथम साथ गणधरों ने क्रमशः किया। अचलभ्राता और अकम्पित ने 8 वें गण का एवं मेतार्य और प्रभास ने 9 वें गण का संचालन किया।

महावीर का निर्वाण वि. पू. 470 (ई. पू. 527) में हुआ। उस समय गणधर इंद्रभूति गौतम अन्यत्र प्रबोध देने गए थे। निर्वाण की सूचना प्राप्त होते ही छद्मस्थता के कारण गौतम विह्वल हो गए। उनका हृदय अनुताप से भर गया। शनैः-शनैः चिंतन की धारा मुड़ी, दृष्टि अंतर्मुखी हुई। यह चेतना के ऊर्ध्वारोहण की अवस्था थी। जागरण की स्थिति थी। जागृति के इन क्षणों में मोह का दुर्भेद्य आवरण टूटा। तदंतर ज्ञान-दर्शन आवरक कर्माणुओं के क्षीण होते ही अखंड ज्ञान *(केवल ज्ञान)* की लौ उद्दीप्त हुई। ज्येष्ठ गणधर इंद्रभूति सर्वज्ञ बने। सर्वज्ञ कभी परंपरा का वाहक नहीं होता, अतः वीर निर्वाण के बाद संघ के दायित्व को गणधर सुधर्मा ने संभाला। इस समय उनकी अवस्था 80 वर्ष की थी। सर्वज्ञ प्रभु की सुखद सन्निधि में 30 वर्ष रहने के कारण विविध अनुभूतियों का अनमोल वैभव उनके पास था। भगवान् महावीर जैसे सबल आधार के अभाव के कारण एक बार संघ की नौका का डगमगा जाना स्वाभाविक था, पर सुधर्मा जैसे सक्षम आचार्य का सुदृढ़ आलंबन संघ के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुआ।

उस युग में आजीवक प्रभृति इतर धर्म संघ भी अपना वर्चस्व बढ़ा रहे थे और अपने कठोरचर्या से जनमानस को प्रभावित कर रहे थे। ऐसे समय भगवान् महावीर की सत्य संधित्सु-दृष्टि एवं साम्यवाद्मयी नीति को प्रमुखता प्रदान कर आचार्य सुधर्मा ने जो नेतृत्व श्रमण संघ को दिया वह अद्भुत था, सुखद था।

*समकालीन राजवंशों पर जैन धर्म का क्या प्रभाव था...?* यह विस्तार से जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆

💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢
आचार्य श्री तुलसी की कृति आचार बोध, संस्कार बोध और व्यवहार बोध की बोधत्रयी

📕सम्बोध📕
📝श्रृंखला -- 11📝

*आचार-बोध*

*भावना*

(दोहा)

*29.*
जिस उपाय से हो सके, भावित नित संस्कार।
पुनः-पुनः अभ्यास ही, है भावना उदार।।

*30.*
महाव्रतों की पुष्टि का, सहज सुखद सदुपाय।
पंचबीसविध भावना, है आध्यात्मिक आय।।

*8. भावना*

चित्त को भावित करने वाले प्रयोग का नाम भावना है। साधु जीवन स्वीकार करने वाला पांच महाव्रतों की साधना का संकल्प ग्रहण करता है। उनको आत्मसात् करने के लिए प्रत्येक महाव्रत की पांच-पांच भावनाएं बताई गई हैं। भावना के पचीस प्रकार निम्नलिखित हैं--

*1. अहिंसा महाव्रत की पांच भावनाएं--*

*1. ईर्या समिति--* गमन क्रिया में जागरुकता।
*2. मनोगुप्ति--* अकुशल मन का निरोध।
*3. वचनगुप्ति--* अकुशल वाणी का निरोध।
*4. आलोक-भाजनभोजन--* चौड़े मुंह वाले पात्र में भोजन करना।
*5. आदानभांडामत्रनिक्षेपणासमिति--* वस्त्र, पात्र आदि उपकरणों को लेने-रखने में विधि का ध्यान रखना।

*2. सत्य महाव्रत की पांच भावनाएं--*

*1. अनुवीचि भाषणता--* चिंतनपूर्वक विधिवत् बोलना।
*2. क्रोधविवेक--* क्रोध का परिहार।
*3. लोभविवेक--* लोभ का परिहार।
*4. भयविवेक--* भय का परिहार।
*5. हास्यविवेक--* हास्य का परिहार।

*शेष तीन भावनाएं* जानेंगे-समझेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢⭕💢

💠🅿💠🅿💠🅿💠🅿💠🅿💠

*प्रेक्षाध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ*

अनुक्रम - *भीतर की ओर*

*शरीर के रहस्य*

मनुष्य के शरीर की रचना अद्भूत है, बहुत विलक्षण है । उसके बारे में हमें पर्याप्त जानकारी नहीं है । अवयवों के बारे में एक डॉक्टर को बहुत अच्छी जानकारी हो सकती है । किन्तु मानवीय शरीर अङ्गों का पिण्डमात्र ही नहीं है, उसमें प्राण और चेतना भी है ।
नाडीतन्त्र और अन्तःस्त्रावी ग्रन्थियों ने शरीर को जैसे स्हस्यपूर्ण बनाया है वैसे ही प्राण और चेतना ने भी इसे रहस्यपूर्ण बनाया है । उनकी गहराई में जाना साधक के लिए अनिवार्य है ।

23 मार्च 2000

प्रसारक - *प्रेक्षा फ़ाउंडेशन*

प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

💠🅿💠🅿💠🅿💠🅿💠🅿💠

News in Hindi

👉 भगवान महावीर की जन्म भूमि *वैशाली* में पूज्य प्रवर का मंगल प्रवेश

दिनांक - 23 - 03 - 2017

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

👉 राजलदेसर: मुनि वृन्द का "मंगल विहार"
प्रस्तुति: 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

Source: © Facebook

23 मार्च का संकल्प

तिथि:- चैत्र कृष्णा दशमी

मैं सही हूँ यह निशानी है आत्मविश्वास की।
'दूजे नहीं गलत' कुंँजी ये शांत सहवास की।।


📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

Share this page on:
Page glossary
Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
  1. Preksha
  2. Preksha Foundation
  3. अमृतवाणी
  4. आचार्य
  5. आचार्य श्री महाप्रज्ञ
  6. ज्ञान
  7. महावीर
  8. श्रमण
  9. सागर
Page statistics
This page has been viewed 521 times.
© 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
Home
About
Contact us
Disclaimer
Social Networking

HN4U Deutsche Version
Today's Counter: