09.12.2016 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 09.12.2016
Updated: 05.01.2017

Update

*जिज्ञासा समाधान - 9 Dec. 2016*
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१. *हड्डी का स्पर्श मात्र इतना अशुभ होता है कि मुनिराज को भी स्नान करना पड़ता है । फिर बोन चाइना के बर्तनों को भोजन के प्रयोग में लाने वाले लोग ना तो मुनिराज को आहार दे सकते हैं, ना भगवान् को छु सकते हैं यहाँ तक कि वो मंदिर जाने के योग्य भी नहीं हैं ।*

२. उपकार का मतलब है कि " return " यानि कि हम दूसरे के साथ जो भी अच्छा या बुरा करते हैं वैसा ही तुरंत अपने साथ भी होता है ।

३. आजकल हमारा समाज संकुचित और स्वार्थी होता जा रहा है, हर कोई केवल और केवल अपने बारे में ही सोच रहा है । आज मंदिर के साथ हर शहर और गाँव में ऐसे जैन स्कूल खोलने की जरुरत है जहाँ हमारी संस्कृति के अनुरूप अच्छी लौकिक शिक्षा दी जा सके । *आजकल धर्म की रक्षा मंदिर या गुरुओं की सेवा मात्र से नहीं होने वाली, इनसे भी ज्यादा जरुरत है जैन स्कूलों की । एजुकेशन और मेडिसिन शाकाहारी हाथों में होना चाहिए ।*

४. जिस क्रोध में दूसरे का विनाश है वो कषाय है पाप है लेकिन खुद अपने द्वारा किये हुए पापों के पश्चाताप रूपी अपने ऊपर किया हुआ क्रोध अच्छा है ।

५. पुण्य और पाप दोनों में समता भाव रखने से ही नवीन कर्मों का बंध रुकता है । कर्म के विपरीत अपने भावों के बनाना ही क्षयोपशम है ।

६. *मुहूर्त, ज्योतिष आदि सब द्वादशांग के अंग हैं, इनको ना मनना जिनवाणी की अवज्ञा है ।* जब पुण्य गाड़ा है तो भले ही ये सब चीजे कोई मायने ना रखे लेकिन जब पुण्य की हीनता आती है तो *ये सब चीजे ऐसी ही हैं जैसे हवा से बुझते हुए दीपक पर हाथ लगा कर उसको बुझने से बचाना ।*

गोम्मटसार में यह कहा है कि जो व्यक्ति भक्ति / पूजा आदि में तीर्थंकरों में भेद करता है लेकिन २४ तीर्थंकर से बाहर नहीं जा रहा है तो उसको क्षायोपशमिक सम्यक दर्शन कहा है जैसे वृद्ध की लाठी जो हिलती तो है लेकिन उसके हाथों से छूटती नहीं है । इसीलिए यह मिथ्यात्व तो नहीं है लेकिन अनुकरणीय भी नहीं है ।

७. लड़कियों का पुण्य तो इतना होता है कि उनके तो २ घर होते हैं । लेकिन जब बहु अपने घर में फूट डालती है तब ही उस पर पराये होने के आरोप लगते हैं ।

*- प. पू. मुनि श्री १०८ सुधा सागर जी महाराज*

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निर्ग्रंथ अहिंसावादियों का समूह.. मोक्ष राह तकता हुआ.. विचरण करता हुआ.. मोक्ष मंज़िल की ओर बढ़ता हुआ चला जा रहा हैं.. देख तो लो इनको.. निहार तो लो इक वारी इनकी तपस्या.. मुरत.. इनकी सधी हुई चाल.. @ विदिशा Railway Line:))) चलते फिरते सिद्ध.. शेर समान निर्भीक आगे चलते हुए Human Ideal आचार्य श्री विद्यासागर!!!

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