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इस चातुर्मास में
"काश ऐसी बारिश आये जिसमें
*अहम* डूब जाए
*मतभेद* के किले ढह जाएं
*घमंड* चूर चूर हो जाए
*गुस्से* के पहाड़ पिघल जाए
*नफरत* हमेशा के लिए दफ़न हो जाये
और हम सब
*"मैं"* से *"हम"* हो जाएं......
हर रोज़ करें
नित्य अपने पास वाले जैन धर्म स्थान पर जाना,
गुरुओं की वाणी सुनना,
प्रवचन में सुनाई गई बातों को अपने जीवन में उतारना,
औरों को भी धर्म की बातें सिखाना! post shared by aman jain!
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विश्व हिन्दू परिषद के अंतराष्ट्रीय संगठन महामंत्री श्री दिनेश चंद जी ने परम पूज्य मुनि श्री 108 प्रमाण सागर जी महाराज का अजमेर मे आशीर्वाद लिया और गौ रक्षा सम्बंधी चर्चा की.... 🐂 #SaveCow #RSS #VHP #Jainism #Pramansagar #Vidyasagar #Bharat
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शंका समाधान - 4 Sept.' 2016
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१. निमित्त अच्छे रखिये क्योंकि वो हमारे भावों पर प्रभाव डालते हैं!
२. विकृत मानसिकता वाला व्यक्ति भी अलग अच्छे समागम को पा ले तो अच्छा बन सकता है! जैसे गन्दा पानी (एक limit तक) गंगा में मिल जाये तो वो गंगा का ही पानी कहलाता है!
३. पंचम काल के अंत तक भाव लिंगी मुनिराज होंगे ऐसा भगवान् का उपदेश है! उनकी संख्या हीनाधिक हो सकती है!
४. परिस्थिति बदलने से सुख शांति नहीं मिलती अपनी मनःस्तिथि बदलने से शांति मिलती है! कौआ अगर दूसरे देश में जाकर भी गाना गाये तो भी वो कोयल की तरह नहीं गा सकता!
५. शिविरों में आने वाले लोग व्यवस्था में ना उलझकर अपनी अवस्था पर ध्यान दीजियेगा!
६. धार्मिक क्रियाएं, विचार शुद्धि का आधार हैं! इसीलिए ऐसे लोग जो विचार शुद्धि को ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं उन लोगों को विचार शुद्धि, शब्दों तक सीमित नहीं रखना चाहिए बल्कि उनको इसको व्यवहार में भी अपनाइये! और जो लोग धार्मिक क्रियाएं को ही ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं उन लोगों को भी अपने विचार दूसरों पर थोपने नहीं चाहिए!
७. नरकादिक (अशुभ) आयु का बंध होने के बाद नियम / संयम लेने के भाव नहीं होते! इसीलिए जब तक आपके नियम / संयम लेने के भाव बन रहे हैं तो तुरंत ले लीजिये और तब तक आप safe हैं!
८. अकाल मृत्यु के बाद अगर मृत शरीर नहीं मिलता तो सूतक की अवधि समझने के लिए गुरुओं के पास जाकर मार्गदर्शन लेना चाहिए! एक बार गुरुदेव ने इस प्रश्न के उत्तर में बताया था की ऐसे में ६ महीने का सूतक मानना चाहिए!
- प. पू. मुनि श्री १०८ प्रमाण सागर जी महाराज
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US PRESIDENT OBAMA’S MESSAGE On Paryushana / Das Lakshana @ JAINA [ Federation of Jain Asscociations of North America ] -ओबामा ने दी पर्युषण पर्व की बधाई:) #Obama #Bharat #Paryushan #Duslakshan #BarakObama #India #JAINA
I extend my warm regards to all those observing Paryushan across the United States and throughout the world. Paryushan is a time for reflection, humility, and repentance. Embodying the enduring, universal truth that, in our short time on earth, each moment we have represents a chance to take care of one another and shape a better tomorrow, this sacred festival reflects the hope and compassion that bind us in our common humanity.
On this occasion, we are also reminded that the richness of our world comes from the vibrant multitudes of experiences, voices, and origins that define us - and from the ability to be true to who we are and what we believe securely, free from harm, and while knowing the fullest measure of dignity and respect.
Throughout these eight days, you have my best wishes for continued blessings and harmony.
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अगर सही विश्वास हो तो मंजिल आसानी से मिलेगी: आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज
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today exclusive picture and update: 500 से अधिक RSS के स्वयंसेवकों व् पदाधिकारियों की उपस्थिति ने आज की सभा को अविस्मरणीय व् अभूतपूर्व बना दिया । अद्भुत आयोजन! मुनि श्री प्रमाणसागर जी की प्रवचन सभा में सैकड़ों जैन व् अन्य भक्तों के साथ आज के समागम में निष्ठा व् अनुशासन के साथ समाज, संस्कृति व् राष्ट्र की सेवा का प्रेरणादायी सन्देश अत्यंत प्रभावी तौर पर निकल कर आया । #SaveCow #RSS #Jainism #Pramansagar #Vidyasagar #Bharat
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मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज कंपिला जी से बिहार करते हुए आचार्य श्री के दर्शनों को कुंडलपुर जा रहे थे साथ में कुछ युवक बालक भी विहार कर रहे थे कुंडलपुर में आचार्य भगवंत के दर्शन हुए और संघ सहित कटनी की ओर विहार हुआ जैसे ही संघ रास्ते में आगे बढ़ा दूरी अधिक और अचानक अंधेरा होने से रास्ते में ही रुकना पड़ा सारा संघ खेत के किनारे किनारे पाटे लगाकर विश्राम कर रहा था तभी उनमें से कुछ बच्चों ने गाय के शुद्ध घी से आचार्य श्री एवं कुछ साधुओं की वैयाबृत्ति की तत्पश्चात संघ आराम करने लगा,थोड़ी देर बाद देखा कि कुछ महाराज उठ कर बैठ गए हैं पास में जाकर देखने पर पता चला कि घी की सुगंध से सारे शरीर के आसपास चीटियां आ रही थी जब आचार्य श्री के पास जाकर देखा तो उनके भी शरीर से सटकर चारों और चिटीयों का झुंड जमा था और आचार्य श्री अपने शरीर को बिना हिलाय डुलाय ऐसे लेटे थे जैसे कोई पुतला पाटे पर रख दिया गया हो चीटियों के काटने का सारा दर्द इसलिए सहन कर रहे थे कि जरा सा भी हिलने डुलने पर शरीर के बोझ से चीटियों को नुकसान हो सकता था तुरंत सभी भाइयों ने महीन कपड़े से चीटियों को अलग किया कपूर का छिड़काव किया जिससे चीटियां दूर चली गई तब आचार्य श्री उठे और मुस्कुराते हुए सभी को आशीर्वाद दिया।
Painting by Mr. Ravi Soni
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Lovely scene Parshvanath tonk:) सम्मेद शिखर जी कल सुबह का द्रश्य:)
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पश्चिम बंगाल के किसी शहर की घटना है -मुनि श्री १०८ क्षमा सागर जी महाराज ने प्रवचन में सुनाई थी ये घटना #Kshamasagar #Vidyasagar #Digambara #Jainism #Jaindharma #Tirthankara #Jainsadhu
आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज* अपने संघ के साथ विहार करते हुये एक बंगाल के छोटे से शहर में आये आचार्य श्री का नगर प्रवेश होने वाला था तो समाज के कुछ लोग उनकी अगवानी करने आ गए, सुबह का समय था जैसे ही आचार्य श्री शहर की सीमा में आये कुछ अजैन लोग गुरुदेव और उनके संघ को बुरा भला बोलने लगे और उनके पीछा करने लगे, परन्तु आचार्य श्री के साथ समाज के कुछ लोग चल रहे थे इसलिये ज्यादा कुछ नही कहा
आचार्य श्री वहाँ एक धर्मशाला में रुके और वही पास में मन्दिर के दर्शन करके धर्मशाला में ही आचार्य संघ की आहार चर्या सम्पन्न हुई, जब तक बाहर कुछ और असामाजिक लोग इकट्ठे होने लगे और जैन समाज के लोगों से भी झगड़ा करने लगे, आहार के बाद आचार्य श्री संघ ने सामायिक किया, सामायिक के बाद आचार्य श्री ने विहार करने के लिये समाज के लोगों से कहा, लेकिन वहाँ उपस्थित लोगों ने गुरुदेव से आग्रह किया की आज मत जाइए बाहर बहुत लोग खड़े हैं और आपके बारे में बुरा भला बोल रहे हैं
परन्तु आचार्य भगवन को इन सब बातों की क्या चिंता थी, उन्होंने कहा समाज का कोई व्यक्ति हमारे साथ नही चलेगा ना आगे ना पीछे, परन्तु संघस्थ मुनिराजों को थोड़ी घवराहट हो रही थी(ऐसा भी मुनि श्री ने बताया) लेकिन गुरु आज्ञा कैसे टालते, आचार्य श्री ने कहा कोई ऊपर नही देखगा सब लोग नीचे निगाहें करके मेरे पीछे चलेंगे, आचार्य श्री अपने संघ सहित धर्मशाला के मुख्य द्धार पर आये और नीची निगाहों हल्का सा देखा तो दूर दूर तक हुड़दंगी पुरुषों की भीड़ दिखी, कोई चिल्ला रहा कोई कुछ बोल रहा, आचार्य श्री आगे बड़े..
और जैसे ही आचार्य भगवन भीड़ के बीच पहुंचे तो पूरे माहोल में एकदम सन्नाटा हो गया... अभी कुछ क्षण पहले लोग चिल्ला रहे थे, लेकिन अब ये क्या हुआ एकदम इतना सन्नाटा.... आचार्य भगवन आगे बढ़ते गए और भीड़ तो जैसे दो हिस्सों में बंटती चली गयी, सभी मुनिराज गुरुदेव के चरणों के निशान पर चरण रखकर आगे बढ़ते चले गए, और ऐसी ही भीड़ लगभग 2 किलो मीटर तक रही, उसके बाद कम होती गई, जब शहर के बाहर आ गए तो समाज के लोग भी वहाँ पहुंच चुके थे, सभी लोग आचार्य भगवन के चरणों गिर गए और नेत्रों से तेज अश्रुधारा बहने लगी,वहाँ से विहार करके आचार्य श्री संघ अन्य किसी स्थान पर रात्री विश्राम को रुके और सब ठीक हो गया!
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संत शिरोमणि आचार्य 108 श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य समाधिस्थ 108 मुनिश्री क्षमासागर महाराज के मार्मिक प्रवचनों की श्रृंखला का प्रसारण
समय: दोपहर ०२:०० बजे - जिनवाणी चैनल
विषय: विचारों कि शक्ति
प्रस्तुति: मैत्री समूह
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Mobile - 94254 24254, 76940 05092
Whatsapp - 99994 53770
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