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लेश्या जीव की मन की प्रवृत्ति होती है।
कृष्ण, नील, कापोत, पीत, पद्म, शुक्ल:-
1 - कृष्ण लेश्या में जीव धर्म से रहित हो सकता है; वह दया या सहानुभूति नहीं रखता है और हर समय ईर्ष्या से जल कर दुश्मनी और द्वेष में डूब जाता है। अगर कोई व्यक्ति इस हालत में मर जाता है, तो ऐसे व्यक्ति को नरक में जाना होगा।
2 - नील लेश्या में व्यक्ति मादक जुनून में डूबा, कायर, अभिमानी, आलसी होता है तथा धोखे बाज तथा पाखंडी होता है।
3 - कापोत लेश्या में जीव उदास, हताश, उत्तेजित होता है; खुद की तारीफ करते हुए उसमे मानसिक संतुलन की कमी रहती है। ऐसा व्यक्ति अगर इस हालत में मर जाता है तो ऐसे व्यक्ति को एक पक्षी या जानवरों के रूप में तिर्यंच में जन्म होगा।
4 - पीत लेश्या में व्यक्ति धार्मिक और उदार तथा संतुलित होता है।
5 - पद्म लेश्या में जीव या व्यक्ति स्वभाव से क्षमा और बलिदान तथा तपस्या में लीन रहता है और सुख और दुख से अप्रभावित रहता है।
6 - शुक्ला लेश्या में जीव घृणा इर्ष्या आदि से से पूरी तरह से मुक्त हो जाता है और आत्म अनुभव और आत्मज्ञान में डूब जाता है।
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20 जुलाई 2016।
#हैदराबाद के काचीगुडा जैन स्थानक में चातुर्मासरत उपाध्याय प्रवर पूज्य श्री रविन्द्र मुनि जी म. की साता (कुषलक्षेम) पूछने पहुंचे डॉ. पुष्पेन्द्र मुनि। उल्लेखनीय है कि उपाध्याय प्रवर का पिछले कुछ दिनों से स्वास्थ्य स्वस्थ नहीं है। मंगल कामना करते है अतिषीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हो।