13.06.2016 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 13.06.2016
Updated: 09.01.2018

Update

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14 जून का संकल्प

धन जिसके बिन मुश्किल जीवन संचालन ।
वो अमूल्य निधि होते हैं प्राकृतिक संसाधन ।।

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻"तेरापंथ संघ संवाद"🌻

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👉 साध्वी श्री विनयश्री जी 'बोरावड़' का संथारा पूर्वक देवलोकगमन
★रात्रि 8:01 पर चौविहार संथारा प्रत्याख्यान
★रात्रि 8:27 पर देवलोकगमन
★ अंतिम बैंकुठी यात्रा कल दिनांक 14-6-16 को प्रात: 9 बजे सांघी हाउस पावटा से निकलेगी।

दिनांक - 13 -06-16

प्रसारक - 🙏🏻तेरापंथ संघ संवाद🙏🏻

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👉 जलगांव - "जागृति" कार्यशाला का आयोजन
★ विदर्भ, मराठवाडा, खानदेश स्तरीय व्यक्तित्व विकास कार्यशाला का आयोजन
प्रस्तुति - 🌻तेरापंथ संघ संवाद 🌻

Update

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आचार्य तुलसी की कृति....."श्रावक संबोध"

गतांक से आगे......

📝 श्रृंखला-37 📝

अन्यतीर्थिक इस उत्तर से संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने निराशा की भाषा में कहा - 'मद्दुक! तुम कैसे श्रमणोपाशक हो, जो इतनी सी बात भी नहीं जानते।'
अन्यतीर्थिकों के इस कथन से मद्दुक हताश नहीं हुआ। उसने अनेक युक्तियां प्रस्तुत कर उनको समाहित कर दिया। इस संदर्भ में उनके बीच जो संवाद हुआ वो इस प्रकार है -
मद्दुक - आयुष्मन्! क्या हवा चल रही है?
अन्यतीर्थिक - हाँ, चल रही है।
मद्दुक - क्या आप चलती हुई हवा को देख पा रहे हैं?
अन्यतीर्थिक - हवा को देखना सम्भव नहीं है।
मद्दुक - आयुष्मन्! क्या आप सुगंध का अनुभव कर रहें है?
अन्यतीर्थिक - हाँ, कर रहे हैं।
मद्दुक - क्या आप उन सुगंधित पुद्गलों को देख रहे हैं?
अन्यतीर्थिक - सुगन्धित पुद्गलों के रूप को देख पाना संभव नहीं है।
मद्दुक - आयुष्मन्! क्या अरणि की लकड़ी में अग्निकाय है?
अन्यतीर्थिक - हाँ, अरणि की लकड़ी में अग्निकाय है।
मद्दुक - क्या आप अरणि में अवस्थित अग्निकाय को देख रहे हैं?
अन्यतीर्थिक - अरणि में स्थित अग्नि को देखना सम्भव नहीं है।
मद्दुक - आयुष्मन्! क्या समुद्र के पार भी रूप हैं?
अन्यतीर्थिक - हाँ, समुद्र के पार भी रूप हैं।
मद्दुक - क्या आप समुद्र के पार रूप देख पा रहें हैं?
अन्यतीर्थिक - उन रूपों को देखना सम्भव नहीं।
मद्दुक - आयुष्मन्! क्या देवलोक में रूप हैं?
अन्यतीर्थिक - हाँ, देवलोक में रूप हैं।
मद्दुक - क्या आप उन रूपों को देख पा रहे हैं?
अन्यतीर्थिक - उन रूपों को देखना सम्भव नहीं है।
मद्दुक - आयुष्मन्! आप, हम और अन्य अनेक लोग छ्द्मस्थ हैं। हमारे पास अतिंद्रिय ज्ञान नहीं है। इसलिए हम बहुत वस्तुओं को ना जानते हैं और ना देखते हैं। हमारे न जानने और देखने से उन वस्तुओं का अस्तित्व ही नहीं हो तो यह बहुत बड़ा लोक होगा ही नहीं। हम जानें या ना नहीं, देखें या नहीं, भगवान महावीर द्वारा प्ररूपित पंचास्तिकाय निश्चित रूप से है।

अन्यतीर्थिकों के साथ धर्मचर्चा संपन्न कर मद्दुक भगवान महावीर के समवसरण में पहुँचा। महावीर ने मद्दुक की प्रशंसा करते हुए कहा - 'मद्दुक! तुमने अन्यतीर्थिकों से जो कुछ कहा, बहुत ठीक कहा। किसी भी अदृष्ट, अश्रुत और अविज्ञात तत्त्व के बारे में कोई व्यक्ति अर्थ, हेतु, प्रश्न या व्याकरण का प्रज्ञापन-प्ररूपण करता है, वह अर्हतों और उनके द्वारा प्रज्ञप्त धर्म की आशातना करता है। तुमने ऐसा नहीं करके बहुत अच्छा किया।' भगवान के इन वचनों से प्रसन्न होकर मद्दुक उनके चरणों में श्रद्धा से प्रणत हो गया।

क्रमशः....... कल

प्रस्तुति - 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
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सैंथिया: तीन दिवसीय समर कैम्प का आयोजन
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻

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13 जून का संकल्प

आसान नहीं है इंद्रियों पर लगाना अंकुश ।
हर जंग होती आसां जब मन पर हो वश ।।

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  1. आचार्य
  2. आचार्य तुलसी
  3. ज्ञान
  4. महावीर
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