03.04.2016 ►TMC ►Terapanth Center News

Published: 03.04.2016
Updated: 09.01.2018

Update

🌎 आज की प्रेरणा 🌏
प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण
प्रस्तुति - अमृतवाणी 📺
संप्रसारण - संस्कार चैनल के माध्यम से --
कुछ-कुछ गृहस्थ कुछ-कुछ साधुओं से भी अधिक संयम व साधना करने वाले हो सकते हैं | हालांकि साधुओं में छठां गुणस्थान व गृहस्थों में पांचवें गुणस्थान तक पाया जाता है | साधू वेश में पहले गुणस्थान तक भी पहुंचा जा सकता है व गृहस्थ वेश में केवल ज्ञान की भी प्राप्ति हो सकती है | जैसे माता मोरां देवी को हाथी के होदे पर बैठे-बैठे ही केवल ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी | गृहस्थ जीवन के तीन मनोरथ होते है | पहला - परिग्रह का अल्पीकरण हो | मेरे मालिकाना में, स्वामित्व में जगह, जमीन, आभूषण, व नकद राशि अधिक न रहे | पदार्थों, दुकान, प्रतिष्ठान के प्रति आसक्ति कम हो | निवृति की साधना का महत्व समझ में आये और उस दिशा में अग्रसर भी बनूं | पद व सत्ता का भी त्याग करूं | कुर्सी को छोड़ना भी साधना का ही एक रूप है | गृहस्थी का दूसरा मनोरथ - कब मैं गृहस्थ जीवन से साधू जीवन की ओर अग्रसर बन पाऊँगा? इस जन्म में नहीं तो अगले जन्म में सही पर इस जीवन को प्राप्त करने के आकांक्षा रखता रहूँ | तीसरा मनोरथ - मुझे अंत में संथारा आ जाये व बिना संथारे के मेरा अंतिम प्रयाण ना हो | संथारे में मोह व राग से दूर रहकर सिर्फ आत्मस्तता की साधना हो | आत्मा और शरीर की भिन्नता का अनुभव हो | तो गृहस्थ अपने इन तीनों मनोरथों के प्रति सदैव जागरूक रहे, यह काम्य है |

दिनांक - ३ अप्रेल २०१६, रविवार

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Source: © Facebook

🔯 गुरुवर के अमृत वचन 🔯
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