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ये है दुनिया की सबसे ऊंची ऋषभदेव की मूर्ति, कहलाएगी स्टैचू ऑफ अहिंसा
मांगीतुंगी (महाराष्ट्र). नासिक के मांगीतुंगी में भगवान ऋषभदेव की 108 फीट ऊंची मूर्ति आकार ले रही है। इसे विश्व की सर्वाधिक ऊंची मूर्ति माना जा रहा है। बेसमेंट से लेकर शिखर कलश तक डिजाइन के काम के साथ इसकी ऊंचाई 121 फीट हो जाएगी। इसका लोकार्पण 11 से 17 फरवरी के बीच में होगा। संयोजकों के मुताबिक इसके लोकार्पण पर विश्वभर से करीब 20 लाख लोग आएंगे। जैन धर्म के पवित्र सिद्ध क्षेत्र कर्नाटक में श्रवणबेलगोला में सर्वाधिक ऊंची मूर्ति 57 फीट की है। मांगीतुंगी को जैन धर्मावलंबियों का सिद्ध क्षेत्र माना जाता है। यहां हर साल लाखों पर्यटक आते हैं।
इस मूर्ति को बनाने की प्रेरणा जैनों की मार्गदर्शक पूजनीय ज्ञानमतीमाता की संकल्पना से मिली। माताजी हस्तिनापुर से पैदल मांगीतुंगी तक चातुर्मास के लिए आती हैं। मोक्ष प्राप्ति के लिए इस स्थान का जैन ग्रंथों में महत्व है, अत: यहीं मूर्ति बनने लगी।
स्टेच्यू ऑफ अहिंसा के नाम से पहचानी जाएगी
फरवरी 2016 में राजनेताओं की उपस्थिति में आयोजन होगा। इसके लिए 110 एकड़ जमीन किराए पर ली गई है। इस जमीन का समतलीकरण कर डेढ़ लाख स्क्वेयर फीट का भव्य पंडाल बनाया जाएगा। प्रतिदिन पांच हजार लोग पूजा में बैठेंगे, करीब एक लाख लोग पंडाल में मौजूद रहेंगे। करीब दो महीने कार्यक्रम होगा। इस तरह 25 लाख से अधिक जैन अन्य श्रद्धालु यहां आएंगे।
ऐसी है मूर्ति की रचना
>पीठाधीश रवींद्रकीर्तिस्वामी ने बताया कि दुनिया में इस मूर्ति की पहचान स्टेच्यु ऑफ अहिंसा के नाम से होगी।
>1996 से योजना पर काम शुरू हुआ। 2001 से मूर्ति बनाने का काम शुरू हुआ।
>राजस्थान, मप्र और झारखंड से 250 से अधिक कारीगर लगे हैं।
>शासन ने इसके लिए 52 करोड़ रुपए मंजूर किए थे।
>50 से अधिक इंजीनियर्स ने भी यहां सेवाएं दीं। आधुनिक तकनीक मशीनों का इस्तेमाल।
>समुद्रतल से 2500 फीट ऊंचाई पर स्थित चार पहाड़ियों के बीच मूर्ति बनाते समय प्रदूषण हो, इसकी सावधानी बरती गई।
>मूर्ति के 14 फीट के कान हैं। सिर पर 5 फीट के बाल बनाए गए हैं।
> 2.5 बाय 25 फीट के कमल बनाए गए हैं।
>मूर्ति तक पहुंचने के लिए जमीन से करीब डेढ़ किमी रास्ता बनाया गया है। इसके बाद 300 सीढ़ियां भी चढ़ना होंगी।
>बुजुर्गों के लिए 60 फीट तक लिफ्ट की सुविधा दी जाएगी। इसके लिए छह लिफ्ट बनाई गई हैं।
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