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❖ मूक माटी अब मध्य-प्रदेश में भी पढाई जायेगी (मुनि श्री अभय सागर जी महाराज का प्रयास हुआ सफल) आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की पुस्तक मूक माटी को 'अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल' ने अपने पाठ्यक्रम में शामिल किया है। विश्वविद्यालय में यह पुस्तक स्नातकोत्तर के चौथे सेमेस्टर में पढ़ाई जाएगी। ❖
अब हिंदी स्नातकोत्तर उपाधि के चौथे सेमेस्टर के छात्र तृतीय प्रश्नपत्र में वैकल्पिक विषय "कोई एक साहित्यकार' में आचार्य श्री विद्यासागरजी की रचना का चयन कर सकते हैं। ❖
म.प्र. मुख्यमंत्री श्री शिवराज जी ने भोपाल में आयोजित क्षमा वाणी कार्यक्रम के दौरान घोषणा की थी कि आचार्यश्री की पुस्तक को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इसी के बाद विश्वविद्यालय ने विषय-विशेषज्ञों के अनुमोदन के बाद इस कृति को पाठ्यक्रम में शामिल करने का फैसला किया। ☀मूकमाटी: कुछ तथ्य ☀
आचार्य श्री की इस पुस्तक का पहला संस्करण, भारतीय ज्ञानपीठ ने सितंबर 1988 में प्रकाशित किया। इस वर्ष 2016 में इसका तेरहवां संस्करण प्रकाशित हुआ है। कन्नड, मराठी, अंग्रेजी, बंगला व गुजराती अनुवाद भी ज्ञानपीठ ने ही प्रकाशित किए हैं।
धर्म-दर्शन एवं अध्यात्म के सार को आज की भाषा एवं मुक्त छंद की मनोरम काव्य-शैली में निबद्ध कर कविता-रचना को नया आयाम देने वाली एक अनुपम कृति है मूक माटी।
आचार्यश्री की काव्य प्रतिभा का यह चमत्कार है कि उन्होंने माटी (soil) जैसी निरीह, पद-दलित एवं व्यथित वस्तु को महाकाव्य का विषय बनाकर उसकी मूक वेदना और मुक्ति की आकांक्षा को वाणी दी। अलंकारों की छटा, कथा-कहानी की रोचकता, निर्जीव माने जाने वाले पात्रों के सजीव एवं चुटीले वार्तालापों की नाटकीयता तथा अध्यात्म के अर्थ की प्रतिष्ठापना, यह सहज ही समा गया है इस कृति में।
आचार्य विद्यासागर महाराज की कृति मूक माटी की मीमांसा देश-विदेश के 300 से ज्यादा विद्वानों ने की है। इसे भी एक ग्रंथ (तीन भाग) के रूप में भारतीय ज्ञानपीठ ने प्रकाशित किया।
मूक माटी की मीमांसा का विचार आचार्य श्री के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री अभय सागर जी महाराज को आया था।। इसके बाद देश-विदेश के करीब 400 विद्घानों, विषय-विशेषज्ञों, प्रोफेसरों व गणमान्यजनों को पत्र भेजकर उनकी प्रतिक्रिया निष्पक्षता के साथ पुस्तक की अच्छाई व बुराई के बारे में जानी गई । फिर इसे लिपिबद्ध किया गया ।
महामहिम राष्ट्रपति ने किया था अंग्रेजी संस्करण (THE SILENT EARTH) का विमोचन मूकमाटी महाकाव्य के अंग्रेज़ी संस्करण का विमोचन 2010 में राष्ट्रपति भवन में तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पटील द्वारा किया गया था
वर्तमान में कई विश्व विद्यालयों के पाठ्यक्रम में है मूक माटी शामिल:
प. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय (रायपुर, छत्तीसगढ़)
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बनारस, उ.प्र.)
राष्ट्रसंत तुकड़ोजी नागपुर विद्यापीठ (नागपुर, महा.)
सौराष्ट्र विश्विद्यालय (राजकोट, गुजरात) सहित विभिन्न लौकिक पाठ्यक्रमों में इस कृति को शामिल किया गया है ||
जैन सिद्धांतों पर आधारित इस कृति का पाठ्यक्रम में शामिल होना, सम्पूर्ण जैन समाज के लिए गौरव एवं हर्ष का विषय है ||
मुख्य प्रयास: आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री अभय सागर जी महाराज के अथक प्रयास से यह कार्य संभव हुआ.. मुनि श्री वर्तमान में महावीर जिनालय, शिवपुरी में विराजमान हैं..
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