09.07.2015 ►Saurabh Sagar Ji Maharaj ►News

Published: 10.07.2015
Updated: 18.11.2015

Source: © Facebook Muni Saurabh Sagar Ji Maharaj


News in Hindi:

जैन मुनि सौरभ सागर महाराज ने कहा कि सत्संग डिटरजेंट पाउडर जैसा नहीं है कि पहले इस्तेमाल करो फिर विश्वास करो। यह तो जीवन बीमा जैसा है। जो जिंदगी के साथ भी जिंदगी के बाद भी रहता है।

जहां भक्ति भाव जागृत होता है, वहां श्रद्धा भाव स्वयं उत्पन्न होने लगता है। भक्ति भाव सत्संग के प्रभाव से जागता है। सत्संग में जाने से, भक्ति भाव जागने से जरूरी नहीं कि सभी संत बने, परंतु श्रद्धा भाव अवश्य जागने लगता है। सत्संग इत्र की दुकान की तरह है। इत्र लो या ना लो परंतु नाक तक इसकी सुगंध तो अवश्य आती है। अगर धर्म, श्रद्धा व आचरण की गंध एक बार किसी भी मानव को लग गई तो उसका कल्याण होना निश्चित है।


07.07.2015

मुनिश्री सौरभ सागर महाराज ने प्रवचन में कहा कि सुख-शांति के लिए भगवान श्री शांतिनाथ की पूजा-अर्चना की जाती है, जो कि 16वें तीर्थंकर थे। यह विधान सभी का कल्याण व सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है। जगत के सभी जीवों को शांति और सबका मंगल करने वाला है

लश्कर गंज स्थित सभागार में सोमवार सुबह मुनिश्री सौरभ सागर महाराज के सानिध्य में श्री शांति विधान का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।श्रीजी का अभिषेक, शांति धारा नित्य नियम पूजन तत्पश्चात श्री शांति विधान प्रारंभ हुआ, जिसमें सौधर्म इंद्र विनोद जैन, धन कुबेर अरविंद जैन रहे।
दीप प्रज्जवलन कौशल्या परिवार ने किया। श्रीजी शांति धारा का लाभ अवनीश कुमार व यश कुमार के परिवार को मिला। विधान में चार पूजा व 120 अघ्र्य अर्पित किए गए।

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