07.05.2025: Acharya Shiv Muni

Published: 08.05.2025

Posted on 08.05.2025 08:20

सभी प्राणियों में अपने समान जीव को देखें: आचार्य सम्राट डॉ. श्री शिवमुनि जी म.सा.
7 मई 2025, भटार, सूरत
महावीर भवन के गुरु पुष्कर प्रवचन हॉल में उपस्थित धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्य सम्राट डॉ. श्री शिवमुनि जी म.सा. ने फरमाया कि हम भाग्यशाली हैं कि हमें जैन धर्म मिला, जैन कुल मिला। क्या कभी आपको विचार नहीं आता कि यह जीव चार गति चौरासी लाख जीवायोनि में अभी तक भ्रमण क्यों कर रहा है। हम सभी अनेकों बार नरकों में गए, किंतु मुक्त नहीं हुए। सब प्राणियों में अपने समान जीव को देखो। शरीर में आत्म प्रदेश है तभी यह शरीर क्रिया करता है। जब शरीर से जीव निकल जाता है तो बेटा, पत्नी कोई भी बचा नहीं सकता। धन, पद, प्रतिष्ठा भी आपको बचा नहीं सकती। जीव अर्थात् आत्मा जो हमेशा शाश्वत है, सत्य है, किंतु पुद्गल परिवर्तनशील है जो हमेशा बदलता रहता है, स्थिर नहीं है, इसलिए आत्मा को महत्त्व देना चाहिए।
उन्होंने आगे फरमाया कि यह शरीर किराये के घर के समान है। भगवान् की वाणी सुनकर कल्याण के मार्ग को प्राप्त कर सकते हैं, भगवान की वाणी सहज सरल है जो केवल आत्मा की बात कहती है, भगवान कहते हैं जैसे आपकी आत्मा को सुख हो वैसा करें। हमारी मूल साधना भेदविज्ञान की है जैसे कीचड़ में कमल खिलता है वैसे ही आत्मा और शरीर को समझें इस पुद्गल भरे संसार में अपने आपको निर्लेप रखें तभी आत्मा का कल्याण होगा।
इससे पूर्व युवाचार्य श्री महेन्द्र ऋषि जी म.सा. ने अपने उद्बोधन में पशु-पक्षी और मानव में अंतर समझाते हुए फरमाया कि पशु-पक्षी एक ही तरह की आवाज निकालते हैं और मनुष्य अनेक तरह से बोलने की प्रवृत्ति मिली हुई है। मनुष्य के पैर में कांटा चुभ जाता है तो वह कुछ देर के लिए दर्द देता है किंतु वाणी से कटु बोला हुआ वैर का अनुबंध करता है। बहुत पुण्यवान से वाणी मिली है तो इस वाणी को साक्षात् सरस्वती का रूप मानते हुए वाणी का सद्उपयोग करें, मधुर बालें, झूठ और कटु वचन बोलने से बचना चाहिए।
इससे पूर्व प्रवर्तक श्री प्रकाश मुनि जी म.सा. ने कम खाना, गम खाना और नम जाना की चर्चा में फरमाया कि कम खाने से शरीर स्वस्थ रहता है, गम खाने से परिवार में शांति बनी रहती है और नम जाने से पर जीवन में सरलता आती है।
सहमंत्री श्री शुभम मुनि जी म.सा. ने ‘‘मुझे जाना है भगवन् के द्वार, मैं जाऊंगा भगवान के द्वार’’ सुमधुर भजन की प्रस्तुति दी।
इससे पूर्व महासाध्वी श्री अर्चना जी म.सा. ने ‘‘गुरु मात-पिता, गुरु बंधू सखा, तेरे चरणों में स्वामी कोटी प्रणाम’’ भजन की प्रस्तुति देते हुए’’ आगम का की वाणी बताने वाले सद्गुरु होते हैं, जो हमें जीवों के प्रति दया, करुणा, मैत्री का संदेश देते हैं।
विशेष - आचार्य सम्राट डॉ. श्री शिवमुनि जी म.सा. आदि ठाणा-17, प्रातः ध्यान के पश्चात् 7.15 बजे महावीर भवन से विहार कर शांति भवन पधारेंगे।
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