29.05.2011 ►Anger, Lack Of Knowledge Are Reason Of Violence

Published: 29.05.2011
Updated: 21.07.2015

News In English

Location:

Udaipur

Headline:

Anger, Lack Of Knowledge Are Reason Of Violence

News:

Acharya Mahashraman speaking at Sukhadia University discussed points which are responsible for Violence and Non -Violence. Acharya Mahashraman gave some points for Non-violent life style. 1.Fearlessness 2.Tolerance 3. Amity 4. Compassion 5.Morality 6. Addict free life.

News in Hindi:

सुविवि सभागार में आयोजित व्याख्यानमाला में आचार्य महाश्रमण ने दिया अहिंसा पर जोर

अज्ञान, अभाव व आवेश हैं हिंसा के कारक’

 उदयपुर 29 मई 2011 (जैन तेरापंथ समाचार ब्योरो)

तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने कहा कि अहिंसा का भाव उसी व्यक्ति में प्रतिष्ठित हो सकता है जिसके मन में दया, करुणा एवं अनुकंपा की चेतना का विकास हो। अज्ञान, अभाव और आवेश हिंसा के तीन प्रमुख कारक हैं। अधिकाधिक लोग अहिंसक चेतना से जुडें ताकि उनके संपर्क में आकर हिंसक व्यक्ति में भी बदलाव हो सके।

उदयपुर. सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय सभागार में आचार्य महाश्रमण के प्रवचनों का लाभ लेते शहरवासी।

आचार्य महाश्रमण शनिवार को मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय सभागार में आयोजित आचार्यश्री महाप्रज्ञ व्याख्यानमाला के उद्घाटन अवसर पर धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। श्रावक श्राविकाओं से खचाखच सभागार में उन्होंने आचार्य तुलसी द्वारा प्रतिपादित अणुव्रत का जिक्र करते हुए कहा कि जो अणुव्रती होगा वह अहिंसक होगा।

अहिंसक जीवन जीने के लिए आचार्यश्री ने बताए 7 सूत्र

1. अभय
2. सहिष्णुता 
3. मैत्री
4.अनुकंपा 
5. जीवटता 
6. नैतिकता 
7. नशामुक्त जीवन

240 पुस्तकों का सेट विवि को भेंट 

आयोजन संस्था श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष शांतिलाल सिंघवी, मंत्री राजकुमार फत्तावत, युवक परिषद अध्यक्ष विनोद मांडोत ने आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा लिखित 240 पुस्तकों का सेट विश्वविद्यालय पुस्तकालय को भेंट किया। समारोह में केन्द्रीय छात्रसंघ अध्यक्ष दिलीप जोशी ने भी विचार व्यक्त किए। संचालन राजकुमार फत्तावत ने किया। आभार अरुण मांडोत ने ज्ञापित किया।

व्याख्यानमाला विश्वविद्यालय के लिए उपलब्धि

अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आई.वी. त्रिवेदी ने इस व्याख्यानमाला को विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती के शुभारंभ अवसर की ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि इस व्याख्यानमाला के माध्यम से विश्वविद्यालय के छात्र एवं अध्यापक लाभान्वित होंगे तथा वे जीवन को भारतीयता के आदर्श के अनुसार जीएंगे। इस मौके पर विषय प्रवर्तन करते हुए दिनेश मुनि ने कहा कि अहिंसक जीवन शैली अपनाने के लिए मन, वचन और शरीर तीनों को संयमित एवं अनुशासित करना होगा। जैन दर्शन में शरीर और वचन द्वारा ही नहीं मन में लाया गया किसी के प्रति कटु भाव भी हिंसा कहा गया है।

लख नयन, सामर निवास भी पहुंचे: दुर्गानर्सरी रोड स्थित अलख नयन मंदिर आगमन पर डॉ.एच.एस. चुंडावत ने महाश्रमण की अगवानी की। इसके उपरांत आचार्य प्रमोद सामर के निवास पहुंचे, जहां पार्षद और क्षेत्रवासियों ने अगवानी की।

Sources
Jain Terapnth News

News in English: Sushil Bafana
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