10.09.2013 ►Jain Terapanth News 03

Published: 10.09.2013
Updated: 08.09.2015

News in Hindi

आत्म चिंतन का पर्व है संवत्सरी -
आचार्यश्री महाश्रमण जी की शिष्या साध्वी मधुबाला जी

भीलवाड़ा 09:09:2013 JTN जैतस ब्योरो के लिए
तेरापंथ भवन में संवत्सरी पर्व आचार्यश्री महाश्रमण जी की शिष्या साध्वी मधुबाला जी के सानिध्य में त्याग, तपस्या एवं धर्मोपासना के साथ मनाया गया। भगवान महावीर के 27 भवों पर विस्तृत प्रवचन हुए। साध्वीश्री ने श्रावक-श्राविकाओं को आत्मचिंतन का आह्वान किया। सभा मंत्री अमरचंद रांका ने बताया कि मंगलवार सुबह साढ़े छह बजे सामूहिक क्षमायाचना कार्यक्रम तेरापंथ भवन में साध्वीश्री के सानिध्य में होगा।आचार्य महाश्रमण के शिष्य मुनि जंबुकुमार के सानिध्य में
पर्यूषण महापर्व में रात्रिकालीन प्रतियोगिता आयोजित

जसोल 09:09:2013 JTN जैतस ब्योरो के लिएआसाडा से स्वरूप दाती
स्थानीय ओसवाल भवन जसोल में आचार्य महाश्रमण के शिष्य मुनि जंबुकुमार के सानिध्य में रविवार रात्रिकालीन ९ बजे प्रतियोगिता आयोजित हुई। तेयुप मंत्री जितेन्द्र मोडोतर ने बताया कि रविवार को भाषण प्रतियोगिता का आयोजन हुआ, जिसका विषय धर्मसंघ को आचार्य तुलसी का योगदान रखा गया।

इस प्रतियोगिता में संभागियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया, जिसमें प्रथम स्थान श्रीमती नितू सालेचा, द्वितीय श्रीमती दीपिका चौपड़ा एवं तृतीय स्थान संयुक्त रूप से डूंगरचन्द सोलचा, प्रवीण भंसाली, सुश्री हेपी सालेचा ने प्राप्त किया। इन सभी विजेता सम्भागियों को तेयुप जसोल द्वारा सम्मानित किया।

तेरापंथ युवक परिषद् जसोल की ओर से प्रायोजक माणकचन्द पृथ्वीराज संकलेचा नगरवाला परिवार का सम्मान किया गया। निर्णाक की भूमिका पूर्व सरपंच भंवर भंसाली व शांतिलाल भंसाली ने निभाई। कार्यक्रम का संचालन सुश्री अभयमती भंसाली व सुश्री पूजा मालू ने किया।भारतीय संस्कृति एक प्राणवान संस्कृति: साध्वी श्री कमलश्री
बालोतरा 09:09:2013 JTN जैतस ब्योरो के लिएआसाडा से स्वरूप दाती

भारतीय संस्कृति एक प्राणवान संस्कृति है। यह त्यागमय भावना से अनुप्राणित है। इस उज्ज्वल संस्कृति में जैन धर्म का एक विशिष्ट स्थान है। यह व्यक्ति विशेष नहीं अपितु व्यक्तिश: साधना पर आधारित है। व्यक्तिश: साधना का आधार है वितरागता। उसके बाधक तत्व है राग-द्वेष और साधक तत्व है संवर-निर्जरा। यह विचार स्थानीय न्यू तेरापंथ भवन के अमृत सभागार में साध्वी कमलश्री ने संवत्सरी महापर्व पर साधनारत साधकों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

साध्वी ने कहा कि संसारी प्राणी अन्नत जन्मों से संसार में भव-भ्रमण करता है। जैन धर्म किसी जाति या सं्रदाय की सीमा में नहीं बंध कर समस्त मानव जाति के उद्धार के द्वार उद्घाटित करता है। साध्वी जिनरेखा ने कहा कि यह महापर्व बाहर से भीतर की ओर, राग-द्वेष को छोड़ समता, सहिष्णुता, सहनशीलता, सदाचार, क्षमा के मार्ग को अपनाने की प्रेरणा देता है। यह त्याग, वैराग्य, संयम की चेतना को जागृत कर वितरागता की ओर प्रस्थान कराता हैं। साध्वी मधुरयशा ने कहा कि संवत्सरी का दिन मानवीय मूल्यों की स्थापना का दिन है, अहिंसा की प्रतिष्ठा का प्रथम दिन है। मैत्री की पावन गंगा के अवतरण का पुण्य प्रभात है। साध्वी धवल प्रभा ने कहा कि इस अवसर्पिणी काल में भगवान महावीर ने अध्यात्म साधना के द्वारा सामुदायिक समस्या के समाधान के लिए संतोष का रास्ता बताया। साध्वी श्वेत प्रभा ने कहा कि यह अतीत का अवलोकन, अनागत का अभिनदंन और वर्तमान के मूल्याकंन का महापर्व है। साध्वी मार्दवयशा ने अपने सुमधुर कंठों से सुमधुर संगान के साथ सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। तेयुप अध्यक्ष सुरेश गोठी ने बताया कि आज के इस त्यागमय पर्व पर अधिकतर भाई-बहिन उपवास की साधना में रत है। आज सुबह 8.30 बजे से 4.30 बजे तक नियमित चले प्रवचन में सभी ने अध्यात्म रूपी गंगा में स्नान किया। सैकड़ों भाई-बहनों के अष्ट्र प्रहरी, चार प्रहरी पौषध किया। सांयकालीन संवत्सरी प्रतिक्रमण कर चौरासी लाख जीव-योनी से क्षमा याचना कर बारह महिनों के लिए प्रत्याख्यान किया।अध्यात्म का महापर्व है संवत्सरी: मुनि श्री मदन कुमार जी
आसाडा जैतस ब्योरो के लिएआसाडा से स्वरूप दाती

निकटवर्ती तेरापंथ भवन असाडा मे संवत्सरी महापर्व कार्यक्रम में आचार्य महाश्रमण के शिष्य मुनि मदनकुमार ने कहा कि संवत्सरी महापर्व अध्यात्म का पर्व है, आत्म शोधन का पर्व है और ग्रंथि भेदन का पर्व है। सम्यक्त्व रत्न की सुरक्षा के लिए इस दिन अवश्य कटुता और वैर भाव को मिटाकर खमत-खामणा करने चाहिए। उन्होंने बताया कि इस महापर्व पर भी जो शल्य मुक्त नहीं बनता उसका जीवन मानसिक ग्रंथियों का पिटारा बन जाता है। वर्तमान जीवन के आधार पर ही भावी जीवन का निर्धारण होता है, जो सुख, संपदा और सुगति का इच्छुक है उसे इस महापर्व और जीवन का सम्यक मूल्यांकन करना चाहिए। महामना आचार्य श्री तुलसी के शब्दों में भूल भूलने के लिए होती है। क्षमा का आदान प्रदान करने वाला मानसिक आहलाद से भर जाता है और मनोकायिक बीमारियों से मुक्ति पा लेता है। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर महान् तितिक्षु, ध्यानी और तपस्वी थे। उनका अप्रमत जीवन विलक्षण था। अलौकिक धर्म की व्याख्या करते हुए मूनि श्री ने कहा कि कषाय अग्नि है और उसे शान्त कर ही आत्मिक शांति का अनुभव किया जा सकता है। कार्यक्रम में मुनि पुनीतकुमार ने अपने उद्गार व्यक्त किए।पर्युषण में करें आत्मा का अवलोकन: साध्वी श्री सम्यक प्रभा
देवगढ़ जैतस ब्योरो 09:09:2013 JTN

साध्वी सम्यक प्रभा के सानिध्य में भगवान महावीर का जीवन चरित्र का वाचन किया गया। साध्वी ने कहा पर्युषण पर्व आत्मा को पहचानने का पर्व है। इस पर्व पर हर व्यक्ति को अपने आप को देखना चाहिए। राग, द्वेष से मुक्त होने का प्रयास करना चाहिए। साध्वी सौरभ यश प्रभा, मलय प्रभा, वर्धमान यशा ने भी विचार व्यक्त किए।जीवन में तपस्या जरूरी -साध्वी सम्यक प्रभा

देवगढ़ जैतस ब्योरो 09:09:2013 JTN
तपस्या से आंतरिक सौंदर्य बढ़ता हैं आत्मा पवित्र होती है। जिसका मनोबल मजबूत होता हैं वहीं व्यक्ति तपस्या कर सकता है। यह विचार साध्वी सम्यक प्रभा ने तेरापंथ भवन में आयोजित तप अभिनंदन समारोह में व्यक्त किए। 8 दिन की तपस्या करने वाले सम्पत लाल पोखरना, रेखा पोखरना, प्रेम देवी भटेवरा, किरण देवी वोहरा, निशा कोठारी, सम्पत डागा का तेरापंथी सभा सम्मान किया गया।क्षमा हमारे जीवन का आभूषण - साध्वी लावण्य प्रभा
सुजानगढ़ जैतस ब्योरो 09:09:2013 JTN

संवत्सरी महापर्व पर प्रवचन में साध्वी निर्वाणश्री ने कहा कि जैन परंपरा में वर्ष के प्रमुख दिन के रूप में आज की तिथि को तप त्याग के साथ मनाया जाता है। यह क्षमा के आदान-प्रदान का व्यावहारिक पर्व है। साध्वी लावण्य प्रभा, साध्वी कुंदन यशा व साध्वी मुदित प्रभा ने जैन शासन की आचार्य परंपरा के बारे में बताया। सभा के सहमंत्री अजय चौरडिय़ा ने सभा परिवार की ओर से संवत्सरी की शुभकामनाएं दी। महिला मंडल की सदस्यों ने प्रासंगिक गीत प्रस्तुत किया।राजलदेसर. जैतस ब्योरो 09:09:2013 JTN
जैन धर्मावलंबियों ने रविवार को संवत्सरी पर्व मनाया। उपवास, पौषद आदि किए। वृद्ध साध्वी सेवा केंद्र पर व्याख्यान हुआ।मुनि रमेश कुमार के सानिध्य में संवत्सरी पर्व मनाया गया

पडि़हारा. जैतस ब्योरो 09:09:2013 JTN

पर्युषण पर्व के तहत सोमवार को मुनि रमेश कुमार के सानिध्य में संवत्सरी पर्व मनाया गया। कार्यक्रम में मुनि ने कहा कि संवत्सरी पर्व ही नहीं महापर्व है। शरीर का मेल धोने के लिए साबुन की जरूरत होती है, वैसे ही आत्मा पर जमे मेल को धोने के लिए आत्मशुद्धि की आवश्यकता होती है। उपवास व तप से मन के सभी प्रकार के विकार दूर होते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर ने कष्ट सहते हुए तप और साधना के मार्ग को अपनाया तथा तीर्थंकर बने। कार्यक्रम में तोला मल बैद, कमल सुराणा, वल्लभ राज सुराणा, रतन जैन सहित महिला व कन्या मंडल की सदस्य उपस्थित थे।तप व स्वाध्याय से मन की शुद्धि - साध्वी लब्धीश्री
बीदासर जैतस ब्योरो के लिए समृधि नाहर
09:09:2013 JTN

समाधि केंद्र में सोमवार को सेवा केंद्र व्यवस्थापिका साध्वी लब्धीश्री व साध्वी सोजयशा के सानिध्य में पयूर्षण महापर्व मनाया गया। इस दौरान सेवा केंद्र व्यवस्थापिका ने पयूर्षण पर्व की महता के बारे में बताते हुए कहा कि तप व स्वाध्याय से मन की शुद्धि होती है। अत: श्रावक समाज को चाहिए कि वे खाद्य संयम, सामायिक, स्वाध्याय, जप, तप, ध्यान, वाणी संयम व अणुव्रत चेतना से अपने जीवन को शुद्ध बनाए। साध्वी मदनश्री, शासनश्री साध्वी नानू कुमारी, शशिप्रज्ञा, अमित प्रज्ञा, श्रद्धाश्री, इंदूमति, वसुमति, पानकुमारी व साध्वी रायकुमारी ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में भगवान महावीर के २७ भवों का भी बखान किया गया।अणुव्रत नशामुक्ति अभियान
प्रामाणिकता अणुव्रत आंदोलन का ध्येय-डॉ मंगल
लाडनू 10 सितम्बर 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो समृधि नाहर

राष्ट्रसंत आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी समारोह के प्रसंग पर लाडनूं तहसील नशामुक्ति अभियान के अन्तर्गत अणुव्रत समिति के कार्यकताओं ने स्थानीय मौलाना उच्च माध्यमिक विद्यालय एवं मदनलाल भंवरीदेवी आर्य माध्यमिक विद्यालय के प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम में हजारों बच्चों को नशा मुक्ति का संकल्प ग्रहण करवाया।
कार्यक्रम में साहित्यकार डॉ वीरेन्द्र भाटी मंगल ने विद्यार्थियों को नशे से होने वाले दुष्परिणामों की जानकारी देते हुए जीवन सुधार की बात कही। उन्होनें कहा कि नशा मानव जीवन के लिए अभिशाप है। नशे से बचकर ही अपने जीवन का सुधार किया जा सकता है। डॉ वीरेन्द्र भाटी मंगल ने अणुव्रत का आशय समझाते हुए कहा कि अणुव्रत इंसानियत का आंदोलन है, प्रामाणिकता इस आंदोलन का ध्येय सूत्र है।
साहित्यकार डॉ आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने विद्यार्थियों को अणुव्रत की जानकारी देते हुए कहा कि नशा शरीर, मन व धन का नाश करने वाला है। नशे से होने वाले रोगों को घातक बताते हुए डॉ त्रिपाठी ने विद्यार्थियों का नशामुक्ति का संकल्प दिलाया। समिति के अध्यक्ष अलीअकबर रिजवी ने स्वागत भाषण दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समिति के संरक्षक विजय सिंह बरमेचा ने जीवन सुधार के लिए अणुव्रत आंदोलन को सक्षम माध्यम बताया। इस अवसर पर विद्यालय परिवार द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया। कार्यक्रम में करीब एक हजार बच्चों को नशामुक्ति का संकल्प ग्रहण करवाया गया। कार्यक्रम में बहादुर सिंह, ईमरान खा, श्रीमती कंचनलता, वेदप्रकाश आर्य, दिवाकर द्विवेदी सहित अनेक शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित थी। कार्यक्रम का संयोजन शिवशंकर बोहरा ने किया
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