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पंचतत्व में विलीन हुई साध्वी गणप्रभा की पार्थिव देह
52 दिनों के संथारे के बाद त्यागे थे प्राण, अंत्येष्टि में बड़ी संख्या में शामिल हुए लोग
संथारा तपस्या में मंगलवार को हुआ था देवलोकगमन
लाडनूं सितम्बर जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो समृद्धि नाहर
लगातार 52 दिनों के संथारे के बाद अपने प्राण त्याग कर देवलोक गमन करने वाली साध्वी गणप्रभा की पार्थिव देह की अंत्येष्टि बुधवार सुबह यहां तेली रोड स्थित जोगीदड़ा श्मशान भूमि पर विधि-विधान से की गई।
साध्वी को बैकुंठी में बैठाकर अंतिम यात्रा का जुलूस निकाला गया, जिसमें जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, तेरापंथी महिला मंडल, तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ कन्या मंडल, अणुव्रत समिति, आचार्य महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था समिति आदि के कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया तथा भजनों व धार्मिक उद्घोष करते हुए उन्हें अंतिम विदाई दी। उनकी शवयात्रा में बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हुई तथा श्मशान स्थल पर साथ पहुंची और अंत्येष्टि में हिस्सा लिया। साध्वी गणप्रभा को उनके सांसारिक भतीजे किशनलाल बैद्य ने मुखाग्नि दी। उनकी शवयात्रा में शामिल होने के लिए बीदासर, सुजानगढ़, छोटी खाटू, चाड़वास आदि से भी लोग पहुंचे। साध्वी गणप्रभा 80 साल की थी। वे बीदासर की रहने वाली थी। उन्होंने स्वेच्छा से संथारा ग्रहण किया तथा आचार्य महाश्रमण के लाडनूं आने पर उनके समक्ष चौविहार संथारा लिया तथा जल का भी त्याग कर दिया। इसके बाद आचार्य महाश्रमण ने उन्हें साध्वी दीक्षा देकर गणपति देवी से साध्वी गणप्रभा का नया नाम प्रदान किया। इसके बाद से वे यहां जैन विश्व भारती स्थित अमृतायन भवन में ही विराजित थी। उनके दर्शनों के लिए बीदासर, सुजानगढ़, चाड़वास, छापर आदि से बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे थे। उनके समक्ष श्रद्धालु महिला-पुरुषों द्वारा भजन और चर्चाएं की जाती थी। बाद में अन्य साध्वियों ने उन्हें धर्म -चर्चा के द्वारा पूर्ण आध्यात्मिक वातावरण में रखा। उनका संथारा मंगलवार को रात्रि 8.23 बजे पका और उन्होंने नश्वर देह त्याग दी।
रात भर चला जागरण
संलेखना तप पूर्ण होने के बाद सुधर्मा सभा में रात भर तक जागरण चला। जिसमें बड़ी संख्या में जैन श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया। बुधवार सुबह आचार्य महाश्रमण द्वारा मंगलपाठ के बाद जप संपन्न किया गया।
लाडनूं. साध्वी गणप्रभा की बैकुंठी में सजी पार्थिव देह।
Choubisi Sangaan prog.org by Delhi terapanth Mahila Mandal on 4th sept at Terapanth Bhawan, Mehrauli in sanidhya Muni Shri Mohjit Kumar ji, Muni Shri Bhavya Kumarji.