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जन्माष्ठमी पर अणुव्रत समिति जयपुर द्वारा वृक्षा रोपण कार्यक्रम
त्रिदिवसीय युवा अहिंसा प्रशिक्षण शिविर का समापन
अहिंसा प्रशिक्षण से शांति सभव
लाडनू 31 अगस्त 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो के लिए समृद्ध नाहर
जैन विश्वभारती संस्थान के अहिंसा एवं शांति विभाग एवं कैरियर काउन्सलिंग सैल के संयुकत तत्वावधान में आयोजित त्रिदिवसीय युवा अहिंसा प्रशिक्षण शिविर का समापन समारोह संस्थान के सेमीनार हॉल में शनिवार को हुआ। समारोह को संबोधित करते हुए संस्थान के प्रो जेपीएन मिश्रा ने कहा कि अहिंसा प्रशिक्षण वर्तमान युग की जरूरत है, अहिंसा एवं शांति के प्रशिक्षण से ही मानवता को त्राण मिल सकता है। उन्होंने अहिंसा के लिए वाणी संयम को जरूरी बताया। इस अवसर पर उन्होनें अहिंसा प्रशिक्षण को शांति का आधार बताते हुए जीवन में अहिंसात्मक शक्ति के विकास की कामना की।
अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अनिलधर ने त्रिदिवसीय शिविर की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। उन्होनें युवाओं को अहिंसात्मक शक्ति के साथ उठ खडे होने का आह्वान किया। प्रो बच्छराज दुगड ने हद्धय परिवर्तन, जीवन शैली परिवर्तन की मीमांसा करते हुए मैत्री भाव का विकास करने का आह्वान किया। उन्होनें व्यवहारिक प्रयोगों को जीवन में कैसे उतारा जाये को विस्तार से समझाया। इस अवसर पर विशेष रूप से पहुंची केलिपोर्निया विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग की प्रो तारा सेठिया ने युवाओं से बात कर उनके सवालों के जबाब दिये।
कार्यक्रम में पूर्व जिला शिक्षाधिकारी डॉ तुकाराम मिर्धा ने कैरियर काउन्सलिंग करते हुए प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कैसे करें बताया। कार्यक्रम में शंकरलाल जाखड ने व्यक्तित्व विकास के बारे मे जानकारी दी। इस अवसर पर शिविरार्थियों ने जैन विश्व भारती में विराजित आचार्य महाश्रमण के दर्शन किये। आचार्य महाश्रमण ने युवाओं को क्रोध पर नियन्त्रण रखने का संदेश दिया। उन्होनें कहा कि विन्रमता, शालिनता युवाओं के जीवन का श्रृंगार बनना चाहिए।
इस अवसर पर प्राकृतिक आपदाओं में हमारा उत्तरदायित्व विषयक भाषण प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। प्रतियोगिता के निर्णायक नेपालपवन गंग व डॉ गिरीराज भोजक थे।
कार्यक्रम का संयोजन डॉ वंदना कुण्डलिया ने व आभार डॉ जुगल किशोर दाधीच ने व्यक्त किया। इस अवसर पर डॉ प्रद्युम्रसिंह शेखावत, रविन्द्र राठौड आदि ने प्रशिक्षण दिया। व्यवस्थाओं में विकास शर्मा, लक्ष्मी सिंधी व भारती कंवर आदि का सराहनीय सहयोग रहा।
तप दो अक्षर का नाम, पर करने वाला महान्
सुनाम 01 सितम्बर 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो नवीन जैन
ये शब्द मुनि श्री भरत कुमार जी ने तेरापंथ जैन भवन इंद्रा बस्ती में भाई गीतेश, हिमंत और अंकित की आठ की तपस्या के उपलक्ष्य में कहे।
इसके पश्चात मुनि श्री अर्हत् कुमार जी ने कहा की तपस्या तो आत्म कल्याण का एक मार्ग है। वीर व्यक्ति ही इसको अपना सकता है। कायर व्यक्तियों के तो तप के नाम से ही पाँव कांपने लग जाते हैं।
मुनि श्री जी ने फ़रमाया
तप का ले लो इंजेक्शन
नही है कोई इसका रिएक्शन
तप का हुआ एग्जामिनेशन
भाई गीतेश, हिमंत और अंकित की हुई इसमें सिलेक्शन। '
अंत में पुष्पा जैन (धूलिया - महाराष्ट्र), राम लाल, प्रेम जैन, केवल क्रषण, गोरा लाल,किरण जैन, सुमित जैन, अंकित जैन, प्रज्ञा जैन और हितेश जैन ने तप करने वाले भाईयों की अनुमोदना की।
मुनि श्री जी की प्रेरणा श्रोत से सुनाम में अब तक 15, अठाई एवं नो की तपस्या हो चुकी हैं।