24.08.2013 ►Jain Terapanth News 02

Published: 24.08.2013
Updated: 08.09.2015

News in Hindi

सद्गति के लिए करें सत्कर्म: आचार्य श्री महाश्रमण


अणुव्रत ग्रामीण सम्मेलन
अणुव्रत समिति की स्थानीय इकाई के तत्वावधान में गुरुवार को जैन विश्वभारती में अणुव्रत ग्रामीण सम्मेलन हुआ।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में उपप्रधान नाथाराम मेघवाल ने कहा कि आचार्य तुलसी ने संपूर्ण विश्व को अणुव्रत के रूप में एक ऐसा अवदान दिया है जिससे हमारा जीवन उत्कृष्ट बनता ही है। वहीं विश्व की वर्तमान समस्याओं का निराकरण भी संभव है।
लाडनूं आस्तिक विचारधारा में पूर्वजन्म व पुनर्जन्म को स्वीकार किया गया है। जैन धर्म में इसकी सूक्ष्मतम व्याख्या भी की गई है। ये विचार आचार्य महाश्रमण ने गुरुवार को जैन विश्वभारती स्थित सुधर्मा सभा में सद्गति के साधक व बाधक तत्व विषयक प्रवचन सभा में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हमें हमारे पूर्वजन्म के बारे में कोई ज्ञान नहीं रहता है और आगे कहां जन्म होगा यह भी हम ज्ञात नहीं कर सकते। इसलिए दोनों ही विषय कठिन है। पुनर्जन्म का विषय विवादास्पद भी रहा है। लेकिन व्यक्ति को जीवन में हमेशा अच्छे कर्म करना चाहिए।

यदि पुनर्जन्म होगा तो उसे अपने पुण्य कर्मों का अच्छा फल मिलेगा और यदि पुनर्जन्म नहीं भी होता है तो उसे इस जीवन में उसके सुकर्मों के लिए हमेशा याद किया जाएगा। आचार्य प्रवर ने कहा कि जैनधर्म के अनुसार मृत्यु के बाद व्यक्ति को अपने कर्मों के आधार पर सद्गति अथवा दुर्गति मिलती है। इसी तरह जो वीतराग को पा लेता है वह इस जन्म-मरण से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति के जीवन में तप होना चाहिए। तप से कर्म निर्जरा होती है। जीवन सादगी पूर्ण होना चाहिए। व्यसन मुक्त जीवन जीते हुए झूठ, छल-कपट से बचे। मंत्री मुनि सुमेरमल ने व्यसन मुक्त जीवन जीने की सीख देते हुए कहा कि ऐसा कोई उपक्रम न करो कि जिससे स्वयं का ही नाश हो। इससे पूर्व मुनि स्वस्तिक कुमार ने चातुर्मास के दौरान लोगों को अधिकाधिक तप करने की बात कही। उन्होंने श्रावकों से सामूहिक पचरंगी तप करने का आह्वान किया।तप अभिनंदन कार्यक्रम

सुजानगढ़

दस्साणी भवन में साध्वी निर्वाणश्री के सानिध्य में तपस्या का कार्यक्रम हुआ। इस अवसर पर हर्षा चोरडिय़ा ने साध्वी के दर्शन किए। चोरडिय़ा ने आठ दिन की तपस्या की थी। जैन श्वेतांबर तेरापंथ महिला मंडल की सदस्यों ने तप गीतिका प्रस्तुत की। साध्वी निर्वाणश्री ने कहा कि तपस्या कर्म निर्जरा का उत्तम साधन है व मोक्ष का मार्ग है। उन्होंने कहा कि तप व ज्योति हमारे तन मन को शुद्ध व भावों को परिष्कृत करती है। इस अवसर पर सुनीता भूतोडिय़ा ने विचार व्यक्त किए। साध्वी वृंद ने तप घुंघरु गीतिका प्रस्तुत की। समाज की विमला लोढ़ा ने साहित्य भेंट कर तपस्विनी का अभिनंदन किया। संचालन कनक चौरडिय़ा ने किया।
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