ShortNews in English
Bhiwani: 18.07.2013
Chaturmas Entry of Sadhvi Sanghmitra.
News in Hindi
अहिंसा, संयम और तप का संदेश है चार्तुमास
धर्म कर्म
आचार्य महाश्रमण की शिष्या साध्वी संघ मित्रा अपनी सहयोगी साध्वियों के साथ बुधवार भिवानी पहुंचीं
भिवानी 17 जुलाई 2013 जैन तेरापंथ न्यूज
आचार्य महाश्रमण की शिष्या साध्वी संघ मित्रा ने अपनी सहयोगिनी साध्वियों के बुधवार को तेरापंथ भवन में प्रवेश किया। बजरंग बली कॉलोनी से श्रद्धालुओं का काफिला अणुव्रत के उद्घोष करता हुआ लोहड़ बाजार पहुंचा। साध्वी श्री ने चातुर्मास काल की महता बताते हुए कहा कि यह समय वासना से उपासना, राग से बिराग तथा सत से असत् की और ले जाने का है।
भजन सुनाए
उन्होंने कहा कि संतों के सान्निध्य में जीवन के चित्र में सद्गुणों की तूलिका से रंग भरे जा सकते हैं। इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ कन्या मंडल के मंगलाचरण से हुआ तथा संचालन अणुव्रत समिति के मंत्री रमेश बंसल ने किया। बतौर विशिष्ट अतिथि डॉ. मदन मानव ने अणुव्रत का महत्व बताते हुए कहा कि अणुव्रत एक सर्व स्वीकार्य जीवन पद्धति है जिससे बड़े- से बड़ा बदलाव हो सकता हैं। साध्वी समाधि प्रभा, सूरज यशा और शीलप्रभा ने चातुर्मास काल की भावी योजनाओं तथा उद्देश्यों बारे जानकारी दी तथा गीतिकाएं प्रस्तुत की। वयोवृद्ध कवि ठाकुर गजे सिंह ने भजन Þ मन गाए मल्हार, दर्श पाकर संतन के' सुनाया। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष धर्मपाल जैन एवं मंत्री विकास जैन ने अतिथियों का अणुव्रत पट्टिका तथा साहित्य द्वारा सम्मान किया। अभिनंदन कार्यक्रम की अध्यक्षता जादूगर सूरज ने की। साध्वी श्री ने उन्हें एक विशेष दिन लाडनूं में आचार्य के समक्ष अपनी जादुई कला को दिखाने का अनुरोध किया।
इस अवसर पर सुरेन्द्र जैन एडवोकेट, आरडी शास्त्री, महंत जगन्नाथ, लक्ष्मण अग्रवाल, गीगराज जैन, माणिक चन्द नाहटा, मैना सेठिया, मंजू जैन, बेला नाहटा, सुनीता, सारिका जैन, पवन कुमार जैन, हरिराम खिच्चुका, महेन्द्र जैन, रविन्द्र जैन, राजेन्द्र सुरेका, रमेश जैन, केके वर्मा, प्राची जैन और सौरभ जैन सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।
चार्तुमास में ये कार्यक्रम होंगे
इस चातुर्मास में आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी वर्ष के अंतर्गत अनेक विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इनमें अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के तहत अणुव्रत दिवस, नशा मुक्ति दिवस, पर्यावरण दिवस, संयम दिवस, अनुशासन दिवस, अहिंसा दिवस व सांप्रदायिक सौहार्द दिवस मनाया जाएगा। इसके अतिरिक्त पर्युषण पर्व के दिन शहर के सभी जैन श्रद्धालु उपवास रखेंगे व उससे अगले दिन क्षमा याचना दिवस मनाया जाएगा। इसी कड़ी में शरावत सम्मेलन, तप अभिनंदन, विकास महोत्सव, महिला सम्मेलन, व्यसन मुक्ति सम्मेलन, प्रेक्षा ध्यान शिविर, अणुव्रत संकल्प दिवस, धम्म जागरण तथा अणुव्रत गीत गायन प्रतियोगिता जैसे विशेष कार्यक्रम भी होंगे।
जैन धर्म में है इसका बड़ा महत्व
जैन परंपरा में चातुर्मास का सर्वाधिक महत्व माना जाता है। साल के आठ माह जैन साधु व साध्वियां पदयात्राओं के माध्यम से धार्मिक संदेश देते हुए चलायमान रहते हैं। वर्षा काल के चार माह में एक ही स्थान पर रहकर आत्मकल्याण करने तथा उस स्थान के निवासियों को भी त्याग, तपस्या और संयम के रास्ते पर चलने का उपदेश देते हैं। 13 पंथ के वर्तमान आचार्य श्री महाश्रमण ने भी आज ही 13 पंथ की राजधानी लाडनूं में चातुर्मासिक प्रवेश किया है। इसी कड़ी में आज भिवानी में भी उनकी चार शिष्याओं के समूह ने लोहड़ बाजार स्थित 13 पंथ भवन में चातुर्मास का शुभारंभ किया। चातुर्मास काल का समापन पूरे देश में एक साथ ही नवंबर माह में संपन्न होगा। भगवान महाबीर के समय से ही यह परंपरा चली आ रही है।