18.07.2013 ►Ladnun ►Non-Violence should be Part of Conduct ◄ Acharya Mahashraman

Published: 20.07.2013
Updated: 08.09.2015

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Ladnun: 18.07.2013

Acharya Mahashraman entered for Chaturmas at Jain Vishva Bharati, Ladnun. He addressed people and told that Non-violence should be followed in life. Non-violence is not only talked but it should be part of life. Religion is auspicious. Non-violence, Austerity and Sanyam are part of religion.

News in Hindi

अहिंसा की सिर्फ बातें न करें, आचरण में उतारें'

चातुर्मासिक प्रवेश

तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण का करीब एक सौ साधु साध्वियों के साथ लाडनूं में मंगल प्रवेश, जगह-जगह भावभीना स्वागत

लाडनूं 13 जुलाई 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो समृद्ध नाहर लाडनू

तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने अहिंसा को पूरी तरह अपने आचरण में उतारने की आवश्यकता बताते हुए कहा कि सबको अहिंसा के लिए प्रयास करने चाहिए। साधु के अलावा गृहस्थी के लिए भी यह आवश्यक है। सिर्फ बातें नहीं करें, अहिंसा को जीवन में, आचरण में उतारने की आवश्यकता है। सभी प्राणियों को समान समझना चाहिए। हम स्वयं कोई कष्ट नहीं चाहते तो फिर दूसरों को कष्ट क्यों दें। किसी के भी साथ गलत व्यवहार नहीं करें। अहिंसा एक साधना है। अहिंसा का प्रयोग करते हुए आदमी इस स्थिति तक पहुंच सकता है कि वह ईंट का जवाब पत्थर से देकर भी अहिंसा की सार्थकता सिद्ध करे। आचार्यश्री बुधवार को यहां जैन विश्व भारती स्थित सुधर्मा सभा में आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। वे गुजरात से अहिंसा यात्रा के रूप में विहार करते हुए तेरापंथ की राजधानी लाडनूं में चातुर्मास प्रवास के लिए पहुंचे थे। वे अगले चार माह तक यहां धर्म प्रभावना का संदेश देंगे। उनके साथ करीब सौ साधु साध्वियों ने भी लाडनूं में प्रवेश किया है। इस चातुर्मास के लिए न केवल राजस्थान बल्कि देश के विभिन्न इलाकों से लोग लाडनूं आए हैं।

आचार्यश्री ने संयम और तपस्या को धर्म बताया तथा कहा कि व्यवहार, आचार व विचार में अहिंसा का आना आवश्यक है। उन्होंने आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर कहा कि वे लाडनूं में जन्मे। तेरापंथ धर्म के एक आचार्य का जन्म लाडनूं में हुआ था तो एक आचार्य डालगणी का महाप्रयाण लाडनूं में ही हुआ। आज यहां जैन विश्व भारती आचार्य तुलसी की कल्पना के अनुरूप तैयार है। उनके सपनों को साकार कर रही है।

आचार्य महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष सुरेन्द्र घोषल ने लाडनूं में चातुर्मास को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह आचार्य तुलसी की जन्मस्थली के साथ सर्व धर्म संप्रदायों के सौहार्द का स्थल भी है। जैन विश्व भारती के अध्यक्ष ताराचंद रामपुरिया, लाभचंद नाहटा, दूलीचंद दूगड़ आदि ने भी विचार व्यक्त किए। तेरापंथ महिला मंडल की महिलाओं व तेरापंथ युवक परिषद के कार्यकर्ताओं ने सामूहिक गीत पेश किए। इस अवसर पर नेपाल, कोलकाता, बिहार, असम आदि से चातुर्मास पर आई साध्वियों का परिचय व उनके प्रवास के बारे में विवरण भी महाश्रमण ने प्राप्त किया।

Sources

ShortNews in English:
Sushil Bafana

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