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Tankla: 06.07.2013
Acharya Mahashraman while preaching at village told importance of Guru. He told it is duty of disciple that he always give respect to Guru and obey his orders.
News in Hindi
विचार के साथ गुरु की आज्ञा का सम्मान करो -आचार्य श्री महाश्रमणजी
जुलाई 05 जैन 2013 तेरापंथ न्यूज ब्योरो
टांकला (खींवसर). टांकला में महाप्रज्ञ के जन्म दिवस के मौके
आचार्य श्री महाश्रमणजी ने गुरु व शिष्य के संबंधों को परिभाषित करते हुए कहा कि शिष्य को गुरु के सामने नतमस्तक रहना चाहिए। गुरु के सामने शिष्य हमेशा विनम्र रहे, इससे शिष्य के ज्ञान की बढ़ोतरी होती है। महान शिष्य की निशानी होती है कि वह गुरु की आज्ञा पर विचार भले ही करे, लेकिन उसका सम्मान अवश्य करें। शिष्य गुरु के सौंपे गए काम को सौभाग्य समझ करे। आचार्य तुलसी को भी उत्तराधिकारी के रूप में आचार्य महाप्रज्ञ मिले।
लक्ष्य को जीवन से बड़ा मानें, सफलता मिलेगी - साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभाजी
साध्वी प्रमुखा श्री कनकप्रभाजी ने विद्यार्थी के लिए कहा कि साधारण काम को असाधारण जोश के साथ पूरा करें तो एक दिन महापुरुष बन सकते हैं। अपने लक्ष्य को जीवन से बड़ा मानकर चलने वाले मनुष्य महान बनते हैं। आचार्य तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञ ने जो किया उससे तेरापंथ धर्म संघ प्रख्यात हो रहा है। साध्वी सौम्ययशा ने भी गुरुवाणी और गुरु दर्शन कर सर्वोपरि माना। मुनि राजकुमार ने गीत के माध्यम से आचार्य महाप्रज्ञ के जन्मदिवस के बारे में बताया। डालमचंद चौरडिय़ा ने भी गीत सुनाया।
साधारण कार्य असाधारण तरीके से करें - मंत्री मुनि श्री सुमेरमलजी
इस अवसर पर मंत्री मुनि श्री सुमेरमलजी ने कहा कि जन्म संसार की अनिवार्य प्रक्रिया है लेकिन जो मनुष्य पुरुषार्थ के बल पर चलेगा वह इतिहास पुरुष बन जन्म सार्थक कर जाएगा। इतिहास बनाने वाले बहुत कम हैं। जो मनुष्य साधारण कार्यों को असाधारण तरीकों से पूरा करता है वही महान बनता है। आचार्य महाप्रज्ञ गुरुकृपा के माध्यम से साधारण से विशेष बन गए। मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुत विभाजी ने भारतीय परंपरा में गुरु और शिष्य की परंपरा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शिष्य गुरु के चित्र से ही भाव विभोर हो जाते हैं। साध्वी ने आचार्य तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञ के जीवनी के कुछ अंश सुनाते हुए कहा कि उनके व्यक्तित्व व कृतित्व को हमने देखा। हम भाग्यशाली हैं।