15.02.2013 ►Tapara ►Sadhana is Necessary for Welfare of Soul ►Acharya Mahashraman

Published: 15.02.2013
Updated: 08.09.2015

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Tapara: 15.02.2013 Acharya Mahashraman said that life is combination of soul and body. We can do Sadhana by body. Soul is eternal so one should do Sadhana. Mahapragay Ne Kaha 45 and Vijayi Bano books written by Acharya Mahaprajna and Acharya Mahashraman were released.

News in Hindi

आत्मा के कल्याण के लिए साधना अपेक्षित: आचार्य

15 फरवरी 13 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो

'हमारा जीवन शरीर और आत्मा का योग है। शरीर का अपना और आत्मा का अपना महत्व है। सिद्धांत यह है कि आत्मा स्थायी व शरीर अस्थायी तत्व है। शरीर अध्रुव है और धन संपति भी अशाश्वत है। मृत्यु निकट होती जा रही है।' ये सब वस्तुस्थिति प्रकट करते हुए आचार्य महाश्रमण ने कहा कि व्यक्ति को धर्म का संचय करना चाहिए। शरीर के द्वारा भी धर्म की साधना की जानी है। शरीर धर्म साधना का आदि भूत साधन है। शरीर भी एक दिन छूटने वाला होता है। आत्मा शाश्वत है। उन्होंने कहा कि आत्मा के कल्याण करने के लिए साधना की अपेक्षा होती है। धर्म शिक्षा, साधना, आराधना को नहीं छोडऩा चाहिए। आदमी शरीर छोड दें, पर धर्म की साधना न छोड़ें। तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण गुरुवार को टापरा में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे।आचार्य ने कहा कि धर्मशास्त्र का एक अर्थ धर्मसंघ है। धर्मसंघ को छोटी-छोटी को बातों के लिए न छोड़ें। छोटी-छोटी बातों को लेकर पांव बाहर करना अभाग्य है।

सौभाग्यशाली, ऐसा चिंतन भी नहीं करते। धर्मशासन के प्रति मजबूत निष्ठा रहनी चाहिए। आचार्य ने प्रसंगवश मुनि व्रत स्वामी की संघनिष्ठा का उल्लेख किया। धर्मशासन में रहकर खुद की साधना करें व शासन की गौरव गरिमा को बढ़ाने में योगदान दें। हम विवेकपूर्ण सत्पुरुषार्थ करते जाए।

'महाप्रज्ञ ने कहा' का 45वां भाग लोकार्पित: आचार्य ने श्रीमद्भगवतगीता व उत्तराध्ययन के प्रवचनों पर आधारित पुस्तक 'विजय बनो' के लोकार्पण के अवसर पर इसका संपादन करने वाली साध्वी सुमतिप्रभा के बारे में कहा कि सुमतिप्रभा काम करने वाली साध्वी है। उसमें एक धुन-सी जाग गई है। उसका यह मिशन विजय बन गया है। यह आचार्य महाप्रज्ञ का एक अवशेष कार्य संपन्न हो गया है। मुझे इसका सात्विक गौरव व संतोष है। 'महाप्रज्ञ ने कहा' भाग-45 के लोकार्पण अवसर पर आचार्य ने कहा कि जिन्होंने इस पुस्तक में श्रम किया है। उनको साधुवाद है। आचार्य महाप्रज्ञ एक मनीषी पुरुष थे। जयतिथि पत्रक के लिए कहा कि इसमें मंत्री मुनि का योगदान रहा है।

Sources

ShortNews in English:
Sushil Bafana

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