ShortNews in English
Tapara: 10.02.2013
Acharya Mahashraman while defining Maryada told that to follow instruction of Acharya is part of Maryada. To stay in discipline of Acharya is great successes of life.
News in Hindi
आचार्य की आज्ञा में रहना बड़ी मर्यादा' आचार्य श्री
जय मर्यादा समवसरण: आज्ञा का पालन आसानी से करना बड़ी बात
टापरा (बालोतरा) 10 फरवरी 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो टापरा
'आणं शरणं गच्छामि अर्थात् मैं आज्ञा की शरण में हूं। यह सूक्त मर्यादा पत्र में आता है जो कि अपने आप में एक महत्वपूर्ण तत्व है। व्यक्ति ने जिसकी आज्ञा में रहना स्वीकार किया है, प्रतिज्ञा ग्रहण की है, इसके अनुशासन को स्वीकार किया है। उस व्यक्तित्व की आज्ञा को शिरोधार्य करना चाहिए। एक जीवन की बड़ी सफलता है कि अपने आज्ञादायी की आज्ञा का हृदय से पालन करना।' यह उद्गार आचार्य महाश्रमण ने शनिवार को तेरापंथ भवन स्थित जय मर्यादा समवसरण में धर्मसभा को संबोधित करते व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि कभी-कभी विवशता के कारण आज्ञा का पालन करना पड़े, ये गौरव की बात नहीं, पर आसानी से किया जाए, ये बड़ी बात होती है। तेरापंथ धर्म शासन में आज्ञा का बड़ा महत्व है और मर्यादा पत्र में भी आज्ञा का विवरण है। आचार्य ने कहा कि आज माघ कृष्ण चतुर्दशी है और परमपूज्य ऋषिराय महाराज का महाप्रयाण दिवस है। आचार्य तुलसी की माता बदनांजी का भी आज महाप्रयाण दिवस है। ऋषिराय महाराज धर्मसंघ के तीसरे आचार्य भिक्षु स्वामी के पास दीक्षित हुए।
उनका आचार्यकाल अच्छा व लंबा था और धर्मशासन का अपने ढंग से काफी विस्तार हुआ। ऋषिराय महाराज को जीतमल स्वामी जैसा योग्य उत्तराधिकारी प्राप्त हुआ। धर्मसंघ में आचार्यों की आज्ञा का बड़ा महत्व है। सर्वोच्च आज्ञा आचार्यों की होती है और आचार्यों की आज्ञा चुनौती लायक नहीं अपितु सिर पर रखने लायक होती है। महासती बदनांजी बड़ी भद्र और सौम्य स्वभाव की थी। बदनांजी आचार्य तुलसी की माता थी और आचार्य तुलसी के हाथों ही दीक्षित हुई थी। उन्होंने बताया कि मर्यादा पत्र का परम घोष सर्व साधु-साध्वियां 5 महाव्रत, 5 समिति और 3 गुप्ती की अखंड आराधना करें। तेरह नियम साधु का जीवन है। हम चलते कैसे हैं, फिरते कैसे हैं, साधनामय जीवन है उसका प्राण तत्व यह तेरह नियम है। हमारे इन तेरह नियमों के प्रति जागरूकता रहें यह वांछनीय है।