ShortNews in English
Tapara: 02.02.2013
Acharya Mahashraman reached Tapara today. 149th Maryada Mahotsav will be celebrated here. Grand welcome was given to him. He told in his speech that i came here to complete commitment of Acharya Mahaprajna. Originally Acharya Mahaprajna desired to do Maryada Mahotsav at Tapara in 2010 but he could not do due to health reason.
News in Hindi
धर्ममय हुआ टापरा
बालोतरा. तेरापंथ जैन धर्मसंघ के १४९वें मर्यादा महोत्सव को लेकर शुक्रवार को तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अधिष्ठाता आचार्य महाश्रमण टापरा गांव पहुंचे। नगर प्रवेश के बाद अनुशासन रैली के साथ आचार्य की धवल सेना कार्यक्रम स्थल पहुंची।
मैं वचन का निर्वाह करने संघ के साथ आया हूं'
आचार्य महाश्रमण का 149वें मर्यादा महोत्सव के लिए टापरा गांव में मंगल प्रवेश, स्वागत में उमड़ पड़ा पूरा गांव
टापरा 02 फरवरी 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
'आज में टापरा आया हूं। सिवांची मालाणी की यात्रा में मेरे लिए टापरा भी महत्वपूर्ण क्षेत्र है। क्योंकि मेरे परमपूज्य गुरूदेव महाप्रज्ञ ने इस क्षेत्र को मर्यादा महोत्सव के लिए चयनित किया था।' यह मंगल वक्तव्य आचार्य महाश्रमण ने टापरा गांव में जय मर्यादा समवसरण में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए दिया। उन्होंने कहा कि काश में आचार्य महाप्रज्ञ के साथ पास-पास चलते, हाथ को सहारा देते हुए युवाचार्य के रूप में आता, परंतु नियति को यह मंजूर नहीं था। मैं तो गुरूदेव के वचन के अनुसार गुरू के वचन को पूरा करने और उऋण होने के लिए टापरा आया हूं। मैं वचन का निर्वाह करने संघ के साथ टापरा आया हूं। भैक्षव शासन, तेरापंथ शासन का 149 वां मर्यादा महोत्सव मनाने के उद्देश्य से टापरा आया हूं।
आचार्य ने कहा कि मर्यादा महोत्सव में साध्वी प्रमुखा का बड़ा योगदान रहता है। मुख्य नियोजिका भी आई है। मंत्री मुनि भी हमारे साथ आए हैं। इतनी साध्वियां, समणियां और संत भी साथ आए हैं। टापरा का हमारे धर्मसंघ में अच्छा योगदान है। उन्होंने कहा कि आदमी में मर्यादा निष्ठा होनी चाहिए। भैक्षव शासन में मर्यादा का मूल्य है। यह हमारा भाग्य है कि हमें भैक्षव शासन मिला है। आचार्य ने 'हमारे भाग्य बड़े बलवान मिला यह तेरापंथ महान' गीत का संगान किया। उन्होंने कहा कि जयाचार्य जैसे ज्ञानी आचार्य इसी संघ में हुए, जिन्होंने तेरापंथ के मार्ग को और ज्यादा व्यवस्थित करने का प्रयास किया। मर्यादा महोत्सव भी इन्हीं की देन है।