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Asadha: 30.01.2013
Acharya Mahashraman said when you want to get knowledge logic can be presented and question can be put for further knowledge. Deep faith is also necessary for dedication towards Guru. Both words seems contradictory but there area is different so I do not see any contradiction in both words.
News in Hindi
ज्ञान में तर्क व श्रद्धा में सतर्क रहें: आचार्य
'कहां हो श्रद्धा और तर्क' विषय पर आचार्य महाश्रमण ने दिया व्याख्यान
असाडा(बालोतरा) 30 Jan 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने 'कहां हो श्रद्धा और तर्क' विषय पर कहा कि श्रद्धा का अपना स्थान है और तर्क का अपना। तत्व को समझने के लिए तार्किकता का भी उपयोग करना चाहिए। तर्क शक्ति जीवन की ए क उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि जहां हेतुवाद का प्रसंग है वहां तार्किक बन जाना चाहिए। क्योंकि हम सीमित ज्ञान वाले हैं, केवल ज्ञानी नहीं है।
इसलिए छद्मस्थों के लिए श्रद्धा की बात प्रासंगिक है। तर्क से जो बातें गम्य नहीं है, उन्हें श्रद्धा से मान लेते हैं। आचार्य ने कहा कि बौद्धिकता का एक लक्षण है तार्किकता का होना। तार्किकता से ज्ञान बढ़ता है। विद्यार्थी में तार्किकता होनी चाहिए। विद्यार्थी में तार्किकता से ज्ञान निर्मल बन जाता है। तत्व को समझने के लिए, विषय को स्पष्ट करने के लिए तर्क का प्रयोग होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति को ज्ञान चर्चा में तर्क व गुरु आज्ञा में सतर्क रहना चाहिए। अनुशासन में सतर्क रहना चाहिए। श्रद्धा का अपना क्षेत्र होता है और तर्क का अपना।
जहां जिसका उपयोग है वहां प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि साधक को आत्मोत्थान की दिशा में प्रयास करना चाहिए। उनकी श्रद्धा व तर्क का लक्ष्य आत्मोत्थान हो। साधना गृहस्थ के जीवन में होनी चाहिए। आचार्य ने साधना ही शांति का आधार है गीत का संगान किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में समणी विपुलप्रज्ञा ने गीत से आचार्य की अभ्यर्थना की।
बालोतरा. धर्मसभा में प्रार्थना करतीं साध्वीवृंद व श्राविकाएं (इनसेट) धर्मसभा को संबोधित करते आचार्य।