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Asadha: 26.01.2013
Acharya Mahashraman told all of us want development of Sangh and for dedication towards Sangh is necessary.
News in Hindi
आचार्य ने बताया संघ का महत्व
असाड़ा (बालोतरा) 26 जनवरी 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
'संघ वर्धमान बनें, यह अपेक्षित है। इसके लिए संघ निष्ठा सर्वाधिक जरूरी है। संघ मेरा है, मैं संघ का हूं, चाहे मेरी देह चली जाए। मैं अंत समय तक संघ की शरण में रहूं, यह भाव बना रहे। इससे संघ आगे बढ़ता है।' ये उद्गार तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने शुक्रवार को असाड़ा में तीन दिवसीय वर्धमान महोत्सव की घोषणा करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि छोटी-छोटी बातों पर संघ निष्ठा में कमी नहीं आनी चाहिए। पद लिप्सा व मनोनुकूल व्यवस्था न मिलना जैसे कई कारण संघ को छोडऩे के कारण बनते हैं। साधु को अहंकार से मुक्त होना चाहिए। पद लिप्सा अहंकार को पुष्ट करती है, यह अवांछनीय तत्व है। आचार्य ने संघ विकास के चार तत्वों में दूसरे तत्व की व्याख्या करते हुए कहा कि हमें परस्पर सौहाद्र्र भाव रखना चाहिए। हमारे व्यवहार में मधुरता व शालीनता रहनी चाहिए। आचार्य ने कालूजी स्वामी रेल मगरा वालों को याद करते हुए संघ हित की सीख दी। कालूजी स्वामी ने अपने हित को गौण कर डालगणी को आचार्य बनाया।
आचार्य ने संघ विकास का चौथा आयाम सेवा को महत्व देते हुए बताया कि साधु-साध्वियों का नियम है कि वह तीन वर्ष तक सेवा केंद्रों में अपनी सेवा प्रदान करें। संघ के सदस्यों की सेवा करना संघपति की सेवा है। आचार्य जिस सेवा के लिए नियोजित उसमें साधु-साध्वियों को हर क्षण तैयार रहना चाहिए। मुख्य वक्ता मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुतविभा ने साधु-साध्वियों में जोश भरते हुए कहा कि व्यक्ति विकास करता है जो आचार्य के प्रति समर्पित होता है। विनम्र होता है। प्राणों की बलि देते हुए वे आज्ञा की पालना करते हैं। हर क्षण सेवा में समर्पित होता है और विषय परिस्थिति में संघ एवं संघपति के प्रति निष्ठा रखता है। मुनि मदन कुमार, मुनि पुलकित, साध्वी मुकुलयशा, समणी मलयप्रज्ञा व समणी निर्मलप्रज्ञा ने अपने विचार व्यक्त किए। साध्वियों ने भावपूर्ण मधुर सामूहिक गीत प्रस्तुत किए। व्यवस्था समिति महामंत्री जवेरीलाल संकलेचा ने बताया कि वर्धमान महोत्सव आयोजन व्यवस्था में शंकरलाल छाजेड़, प्रवीण संकलेचा, मांगीलाल सिंघवी, ललित छाजेड़, राणमल बी भंसाली, महेंद्र संकलेचा, दिलीप भारती, जितेंद्र छाजेड़ सेवाएं रहे हैं।