17.01.2013 ►Balotara ►Sadhvi Pramukha Kanak Prabha is waiting for Rain to Stop to Do Vihar

Published: 18.01.2013
Updated: 08.09.2015

ShortNews in English

Balotara: 17.01.2013

Sadhvi Pramukha Kanak Prabha and Mukhya Niyojika Sadhvi Vishrut Vibha with group of nuns are waiting for rain to stop to do Vihar.

News in Hindi

आज की कुछ ख़ास झलकिया

सिवांची मालाणी 17 जनवरी 2013 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
आज सुबह गुरूदेव आ.श्री महाश्रमणजी ने बालोतरा से सिवांची मालाणी भवन के लिए विहार किया. धवल सेना बालोतरा सीमा पर पहुंची ही थी कि अचानक बेमौसमी बरसात शुरू हो गयी, जिसकी वजह से थोडी देर महासाधिका, संघ महानिदेशिका, महाश्रमणी, साध्वी प्रमुखा, श्री कनकप्रभाजी को रुकना पड़ा.

साथ में खड़ा श्रद्धानत कुत्ता जो जसोल चातुर्मास काल से गुरुदेव के दर्शन करता रहा.. ज्ञात रहे यह वही कुत्ता है जब जसोल चातुर्मास में आचार्य श्री के पद विहार में कुछ किमी तक साथ चला और पुन जसोल आया आज संघ महानिदेशिका, महाश्रमणी, साध्वी प्रमुखा, श्री कनकप्रभाजी के दर्शन कर धन्य महसूस किया!!

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आचार्य के काफिले में मीलों साथ चला एक कुत्ता
जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो Saturday, 07 July 2012
कहा जाता है कि महापुरुषों की सन्निधि स्वर्ग का अहसास कराती है तथा उनकी दिव्य आभा मंडल में जाति संप्रदाय आदि का भेद नहीं रहता और यही कारण है कि महातपस्वी आचार्य महाश्रमण की सन्निधि में आने वाला हर व्यक्ति स्वयं को धन्य का अनुभव करता है। लेकिन आचार्य की सन्निधि पाने के लिए जब एक जानवर लालायित दिखे तो हर किसी को आश्चर्य होगा। दृश्य है गुरू पूर्णिमा की अल सुबह का जब आचार्य महाश्रमण पंचमी (शोध क्रिया) के लिए नाकोड़ा रोड के लिए प्रस्थान कर रहे थे। तब एक पूंछ कटा कुत्ता गुरूदेव के साथ चल रहे संतो व श्रद्धालुओं के काफिले में सम्मिलित हो गया और वो तब तक सबसे आगे चलता रहा जब तक आचार्य के पांव नहीं थमे। जब गुरूदेव ने हेलीपेड वाले रास्ते के लिए अपना मार्ग बदला तो उस कुत्ते ने भी साथ-साथ अपनी राह बदली, आचार्य ने पंचमी आदि में निवृत होकर श्रद्धालुओं के काफिले के साथ तेरापंथ भवन की ओर रूख किया तो कुत्ते ने भी वैसा ही अनुसरण किया। नाकोड़ा रोड तक जाने व पुन: तेरापंथ भवन तक वापस आने के करीब तीन किलोमीटर की यात्रा में कुत्ते की भूमिका एक समर्पित श्रद्धालु सी रही। मार्ग में कहीं पानी दिखता तो वह पीकर पानी से शरीर को भीगो देता और पुन: दौड़ कर काफिले के आगे चल रहे कासिद (मार्ग प्रहरी) से आगे हो जाता। प्रत्यक्षदर्शी श्रद्धालुओं का कहना है यह कुत्ता पचपदरा से अहिंसा यात्रा के साथ-साथ चल रहा है। विशेष बात यह भी है कि कुत्ता ना तो भौंकता है और न ही कोई अवांछनीय हरकत करता है।

Sources

ShortNews in English:
Sushil Bafana

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