02.12.2012 ►Jasol ►Thakur Naharsingh is Requesting Acharya Mahashraman to Accept Literature

Published: 03.12.2012
Updated: 08.09.2015

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Jasol: 02.12.2012

Thakur Naharsingh is Requesting Acharya Mahashraman to Accept Literature.

News in Hindi

आचार्य महाश्रमण ने जसोल चातुर्मास को बताया दुर्लभ
मैत्रीपूर्ण, निष्ठा और समर्पण का भाव हो: महाश्रमण

जैन तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने शुक्रवार सुबह 7.15 बजे पारस भवन जसोल से विहार किया। पूर्व प्रधान ठाकुर नाहरसिंह के निवेदन पर आचार्य तिलवाड़ा रोड पर स्थित उनके घर भी रुके। इससे पहले उन्होंने अहिंसा यात्रा के बैनर का लोकार्पण किया। पूर्व प्रधान ने स्वयं द्वारा रचित साहित्य आचार्य को भेंट कर उनका भावभीना अभिनंदन किया। इसके बाद आचार्य ने तिलवाड़ा में ठाकुर नरेन्द्रसिंह के घर जाकर उनकी माता जड़ाव कंवर की कुशलक्षेम पूछी। तिलवाड़ा की 13.5 किमी की यात्रा तय करने के बाद सुबह 10.15 बजे आचार्य की धवल वाहिनी सेना भुवाल माता मंदिर पहुंची। जहां ग्रामवासियों द्वारा गाजे-बाजे के साथ अहिंसा यात्रा का स्वागत किया गया। सरपंच अन्नपूर्णा, ग्रामसेवक सहदेवसिंह, उप सरपंच बुद्धसिंह, चैनसिंह भाटी, ठाकुर रणजीतसिंह व सभी ग्रामवासियों ने नतमस्तक होकर आचार्य का वंदन किया। ग्राम पंचायत तिलवाड़ा की ओर से भी आचार्य का अभिनंदन किया गया। आचार्य के दैनिक व्याख्यान से पूर्व छाजेड़ परिवार की महिलाओं ने कसुम्बी पहनावे के साथ स्वागत गीतिका प्रस्तुत की। मुनि जितेन्द्र कुमार ने आचार्य की अभिवंदना की। आचार्य ने उत्तराधेनु के एक प्रसंग का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर मनुष्य धर्म, त्याग, तपस्या वगैरह नहीं करता, वह जुआरी के समान होता है। जो न ही पुण्य कमाता है और न ही पाप करता है। वह मनुष्य सामान्य प्रवृति का होता है तथा जो व्यक्ति दैनिक नित्यकर्म में धर्म, त्याग, उपवास आदि करता है वही उच्च प्रवृति का व्यक्ति कहलाता है। आचार्य ने कहा कि व्यक्ति को हमेशा मैत्रीपूर्ण व्यवहार करना चाहिए तथा किसी भी कार्य को निष्ठा और समर्पण भाव से करना चाहिए। अमृतलाल छाजेड़ ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। बालोतरा महिला मंडल मंत्री नयना छाजेड़ ने कन्या भ्रूणहत्या निषेध पर विचार व्यक्त किए। वहीं चंद्रशेखर छाजेड़ ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम से पहले समणीवृंद ने आगम पाठ का वाचन किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार टापरा ने किया। आचार्य के सान्निध्य में आगंतुक श्रावक- श्राविकाओं के भोजन प्रसादी की व्यवस्था डॉ. पारसमल, लूणचंद, गौतमचन्द, जगदीश कुमार, रामचन्द्र, राजेश कुमार, नीरजकुमार छाजेड़ परिवार की ओर से की गई।

जसोल का चातुर्मास दुर्लभ व सिद्ध: सुबह पारस भवन से तिलवाड़ा की ओर विहार करने से पहले आचार्य महाश्रमण ने जसोल चातुर्मास की सानंद परिसंपन्नता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि जसोल का चातुर्मास दुर्लभ और सिद्ध चातुर्मास है। इस चातुर्मास की सफलता में साधु-साध्वियों का योग तो रहा ही है पर श्रावक-श्राविकाओं का भी अहिंसा और मैत्रीपूर्ण व्यवहार रहा है। आचार्य महाश्रमण के विहार के बाद जसोल में शासन मुनि पानमल, मुनि जिनेशकुमार, मुनि मदन कुमार, मुनि जयकुमार, मुनि पृथ्वीराज, साध्वी कल्पलता, साध्वी कमलप्रभा, साध्वी गुलाबकंवर प्रवास कर रहे हैं। शासन मुनि किशनलाल असाडा में तथा मुनि विमलकुमार बालोतरा में प्रवास कर रहे हैं।
Shared By: Sanjay Mehta, JTN Bureau.

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ShortNews in English:
Sushil Bafana

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