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Jasol: 27.11.2012
Jeevan Vigyan day was celebrated in presence of Acharya Mahashraman. 800 students from 10 schools attended it. 15 teachers also come along with rally of children. Acharya Mahashraman said that Jeevan Vigyan is science of meaningful education. Muni Kishanlal said in education system value should be given for emotional development. Muni Kishanlal also guided students for Asana and Yogic Kriya. Muni Neeraj Kumar has presented Jeevan Vigyan song. Mantri Muni Sumermal also addressed to students.
News in Hindi
जीवन विज्ञान से बदलता है जीवन: आचार्य श्री
जसोल(बालोतरा) 27 नवम्बर 2012 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
आचार्य तुलसी की प्रेरणा से आचार्य महाप्रज्ञ के उर्वर मस्तिष्क में शिक्षा जगत के लिए जीवन विज्ञान की परिकल्पना उभरी, केवल सिद्धांत बोध से परिवर्तन घटित नहीं हो सकता। इसलिए सिद्धांत के साथ-साथ प्रयोग को स्थान दिया गया। यह उद्गार तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने सोमवार को जीवन विज्ञान दिवस पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जीवन विज्ञान के अनुसार मनुष्य में अपार क्षमता होती है। जीवन विज्ञान नैतिक शिक्षा एवं मूल्यपरक शिक्षा का विकल्प ही नहीं, अपितु शिक्षा का सार्थक बनने का विज्ञान है।
आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में जीवन विज्ञान दिवस का आयोजन किया गया। समारोह में बालोतरा व जसोल के करीब 10 स्कूलों से 800 विद्यार्थियों व 15 अध्यापकों ने रैली के रूप में भाग लिया। रैली एसएन वोहरा राजकीय सीनियर सैकंडरी स्कूल से जसोल नगर के मुख्य मार्गों से होते हुए 'निज पर शासन- फिर अनुशासन''कैसे बदले जीवन धारा-प्रेक्षाध्यान साधना द्वारा' जैसे जीवन विज्ञान संबंधी नारे लगाते हुए तेरापंथ भवन स्थित वीतराग समवसरण पहुंची। जहां आचार्य ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि विनय से विद्यार्थियों में गुणवत्ता का विकास होता है। विद्यार्थियों में विद्या के साथ-साथ संस्कारों का निर्माण भी आवश्यक है। विद्यार्थियों में ईमानदारी का गुण होना चाहिए। योग्यता के अनुरूप ही परीक्षा में अंक प्राप्त करने चाहिए। अयोग्यता से प्राप्त अंक धूल समान होते हैं। इस अवसर पर मंत्री मुनि सुमेरमल 'लाडनूं' ने भी उद्गार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जीवन विज्ञान विद्यार्थी जीवन के लिए आवश्यक है। यह जीवन को व्यवस्थित बनाता है। मुख्यतया: भावों का विकास जरूरी है। विद्यार्थियों में जीवन जीने की कला आ जाए तो जीवन की छोटी-छोटी बातों में भी सुधार लाया जा सकता है। प्रेक्षा प्राध्यापक मुनि किशनलाल ने कहा कि जीवन विज्ञान का नया दर्शन है। प्राचीन व नवीन शिक्षा का आदर्श दस्तावेज है। शिक्षा में अच्छी पीढ़ी का निर्माण हो, अच्छा समाज बने, संस्कारी नागरिक बने, यह केवल आकांक्षा से पूर्ण नहीं होता, उसके लिए आवश्यक है कि शिक्षा प्रणाली के भावात्मक पक्ष को स्थान देना होगा। सही मुद्रा, सही श्वास, सही नींद, सही सोच से हम विद्यार्थियों के जीवन में परिवर्तन ला सकते हैं। जीवन विज्ञान केवल विद्यार्थियों के लिए ही नहीं है, अभिभावक व अध्यापकों के लिए भी जरूरी है। जीवन विज्ञान ही जीने की कला है। जीवन विज्ञान देश के विभिन्न राज्यों के शिक्षण संस्थाओं में योग के रूप में लिया जा रहा है। इसके माध्यम से बच्चों में परिवर्तन घटित हुआ है। यह शोध द्वारा प्रमाणित है। मुनि ने विद्यार्थियों को जीवन विज्ञान के प्रयोगों का अभ्यास करवाया। संकल्प द्वारा स्वास्थ्य, शक्ति और प्रसन्नता की अभिव्यक्ति दी। ताड़ासन से शारीरिक लंबाई बढ़ती है। प्राणायाम से स्मृति का विकास होता है। समारोह का आगाज मुनि नीरज कुमार ने जीवन विज्ञान गीत के संगान से किया। जीवन विज्ञान शिविर में उपस्थित विद्यार्थियों में से प्रियंका व शिवानी ने गीतिका के माध्यम से अभिव्यक्ति दी। जीवन विज्ञान प्रभारी रमेश बोहरा ने विद्यार्थियों तथा अध्यापकों का आभार व्यक्त करते हुए विद्यार्थियों के सफल जीवन के लिए जीवन विज्ञान को अपनाने का संदेश दिया। कार्यक्रम में जीवन विज्ञान प्रशिक्षक महेन्द्र कुमावत, सफरू खां, लखमी चंद कोठारी, महेन्द्र छाजेड़ व सहयोगी स्कूल स्टाफ के सहयोग के साथ कार्यक्रम के बाद चातुर्मास व्यवस्था समिति की ओर से विद्यार्थियों कोअल्पाहार देकर सफल समापन किया गया।
जसोल. धर्मसभा में उपस्थित श्रावक-श्राविकाए व बच्चों को योग के आसन करवाते मुनि।