ShortNews in English
Jasol: 25.11.2012
Acharya Mahashraman explained five point of upsampda of Preksha Meditation. 1. Mindfulness (Bhav Kriya) 2. Stay Away from Reactionary Mentality (Pratikriya Virti) 3. Amity with All (Maitri Bhav) 4. Moderation in Food (MItahar) 4. Moderation in Speech (Mitbhashan).
News in Hindi
अपने आपको देखने का सूत्र ही प्रेक्षाध्यान है'
जसोल (बालोतरा). 25 नवम्बर 2012 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
जीवन को ध्यान की प्रयोगशाला बनाए तो वास्तव में सच का साक्षात्कार हो सकता है। जिसने ध्यान का मर्म समझ लिया उसका जीवन सम्यक् बन जाता है। सफलता स्वयं उसके द्वार पर दस्तक देती है। यह उद्गार जैन तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य श्री महाश्रमण ने शनिवार को जसोल के तेरापंथ भवन स्थित वीतराग समवसरण में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि अपने आपको देखने का सूत्र ही प्रेक्षाध्यान है। आदमी दूसरों को तो देखता है पर अपने द्वारा स्वयं को नहीं देख पाता है, जिससे व्यक्ति समस्याओं से घिर जाता है। व्यक्ति को कभी आत्म चेतना को नहीं भूलना चाहिए।
आचार्य श्री ने एक सेठ का उदाहरण देते हुए बताया कि उनका एक बड़ा-सा सम्पूर्ण सुविधायुक्त मकान था। सेठ की पत्नी व उनका छोटा बालक उसमें निवास करते थे। सेठ किसी कारणवश कुछ दिनों के लिए बाहर गया हुआ था। इस दौरान उसके मकान में आग लग गई। सेठानी ने अपना सारा कीमती सामान तो बचा लिया पर एक कमरे में सो रहे अपने बालक की ओर ध्यान नहीं दिया, जिससें बालक आग में जल कर मर गया। जब सेठ वापस घर पहुंचा तो सेठानी ने बताया कि मैंने बाकी सारा कीमती सामान तो बचा लिया पर मुन्ने को भूल गई तो सेठ ने कहा कि सबसे ज्यादा कीमती और मूल्यवान तो अपना मुन्ना था, जिसको अगर नहीं बचा पाए तो बाकी वस्तुओं के बचाने से क्या फायदा। जो चेतना रूपी मुन्ने को भूला देता है और शारीरिक देखरेख में लगा रहता है वह चेतना को उपेक्षित कर देता है। आचार्य ने कहा कि प्रेक्षाध्यान कहता है कि चेतना को भुलाओ मत, जागरूक रहो, आंखों से बाहर की दुनिया को तो देखते हंै पर भीतर की दुनिया को देखने का प्रयास प्रेक्षाध्यान द्वारा ही पुष्ट होता है। उन्होंने कहा कि ज्ञान अनंत है, उसको प्राप्त करने के लिए और सुप्त चेतना को जागृत करने के लिए मनुष्य को प्रयास करते रहना चाहिए। प्रेक्षाध्यान आध्यात्मिक विद्या है। मेरा अगला जन्म खराब न हो जाए, इसके लिए वर्तमान जीवन की ओर ध्यान देना चाहिए। पिछले जन्म के पापों को तो साधना द्वारा मिटाया जा सकता है परन्तु अपने जन्म के बारे में भी गंभीरता से सोचना चाहिए।
आचार्य ने कहा कि प्रेक्षाध्यान के 5 सूत्र बताएं गए है। पहला भावक क्रिया (मन की एकाग्रता का प्रयास), दूसरा श्रुतिक्रिया (सुनने-समझने में जागरूक रहे), तीसरा मैत्री भाव (सब प्राणियों के प्रति मैत्री की भावना), चौथा भोजन का संयम व पांचवा वाणी का संयम। जीवन शैली के भी 5 सूत्र हैं। प्रेक्षाध्यान द्वारा भावात्मक बीमारियां दूर होती हैं, जिससे मानसिक (आधि), योग साधना से शरीर (व्याधि) की बीमारियां दूर होने पर वह समाधि धारण करने योग्य बन जाता है। प्रेक्षाध्यान के 7 दिवसीय शिविर समापन 26 नवम्बर को होगा। शिविर में देश-विदेश से कई योग-अध्यात्म प्रेमियों ने भाग लिया। शिविर की जानकारी मुनि कुमारश्रमण लाडनूं ने दी।
शिविर में भारत के अलावा क्रूव, कजाकिस्तान, साइप्रस, स्विट्जरलैण्ड, मॉस्को, यूक्रेन आदि देशों के 73 धर्मप्रेमी में 49 महिलाएं तथा 24 पुरूष आचार्य की सन्निधी में पहुंचे। प्रेक्षागीत का विदेशी भाषा में संगान तथा हिन्दी व अंग्रेजी भाषा में रूपांतरण करते हुए नवकार मुद्रा की विशेष प्रस्तुति दी गई। मैनेजमेंट टीम के राकेश कोठारी ने चातुर्मास व्यवस्था समिति धर्मसंघ के सभी श्रावकगणों का आभार व्यक्त किया। मंत्री मुनि सुमेरमल लाडनंू ने अपने उद्गार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन मुनि हिमांशुकुमार ने किया।
तपाभिनंदन समारोह आज: आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में तेरापंथ भवन स्थित वीतराग समवसरण में रविवार को दोपहर १.३० बजे तपस्वी भाई-बहनों का तपाभिनंदन समारोह आयोजित होगा। समारोह में आठ व आठ से अधिक तपस्या करने वालो तपस्वियों का तपाभिनंदन किया जाएगा।
आचार्य ने महति कृपा कर तेरापंथ समाज जसोल को सोमवार को शाम ८.१५ बजे विशेष सेवा करने का समय प्रदान किया है। जिसमें आचार्य का विशेष पावन पाथेय प्रदान किया जाएगा।
जसोल. धर्मसभा में उपस्थित श्रावक-श्राविकाएं (इनसेट) आचार्य से आशीर्वाद लेते सुमेरपुर एसडीएम ओपी विश्नोई।