17.11.2012 ►Jasol ►Follow Way of Non-Violence for Happy and Peaceful Life ► Acharya Mahashraman

Published: 17.11.2012
Updated: 08.09.2015

ShortNews in English

Jasol: 17.11.2012

Acharya Mahashraman said that Violence is powerful but Non-violence is more powerful. He advised people to follow way of Non-violence for happy and peaceful life.

News in Hindi

सुख व शांति के लिए अहिंसा की राह अपनाएं: आचार्य

जसोल(बालोतरा) जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो

ज्ञानी आदमी का यह सार है कि वह किसी की हिंसा नहीं करता। इस दुनिया में अहिंसा तो सदा रहती है, लेकिन हिंसा भी कभी-कभी मुखर दिखाई देती है। दुनिया में दुख का कारण हिंसा है और सुख का कारण है अहिंसा। ये उद्गार तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने शुक्रवार को जसोल में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि व्यक्ति अगर सुख व शांति चाहता है तो उसे अहिंसा के मार्ग पर चलना होगा। हमारी दुनिया में हिंसा की अपनी शक्ति है और अहिंसा तो परम शक्ति है ही। पतंजलि योग दर्शन में बताया गया है कि व्यक्ति के जीवन में अहिंसा प्रतिष्ठित हो जाने से मन में वैर भाव कम हो जाता है। उन्होंने कहा कि हिंसा के अनेक कारण है। व्यक्ति अभाव आवेश के कारण भी हिंसा का सहारा लेता है। अज्ञान तथा काम, क्रोध व कषाय की वृद्धि भी हिंसा की ओर धकेल देती है। अहिंसा के लिए प्रयास चल रहे हैं। प्रशिक्षण चलता है। उपदेश दिया जाता है व संकल्प कराए जाते हैं। अहिंसा को पढऩे से हिंसा से बचा जा सकता है। आचार्य तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन का प्रवर्तन किया। अणुव्रत मानव को अहिंसा की प्रेरणा देने वाला आंदोलन है। पैसा-धन आदि के लिए हत्या कर दी जाती है। सत्ता की प्राप्ति के लिए भी कभी-कभी हिंसा का सहारा लिया जाता है। सत्ता में बाधक तत्व को खत्म करने का प्रयास किया जाता है। हिंसा के तीन प्रकार है-आरंभजा, प्रतिरोधजा व संकल्पजा हिंसा। आरंभजा हिंसा कृषि आदि कार्यों के लिए की जाती है, जिससे बचना अलबत्ता मुश्किल है। इसी तरह प्रतिरोध हिंसा यह देश की रक्षा व सुरक्षा के लिए की जाती है, लेकिन संकल्पजा हिंसा से बचा जा सकता है। ये सलक्ष्य होती है, सिर्फ लाभ वश की जाती है। आदमी का लक्ष्य किसी को मारने का नहीं बल्कि अहिंसा का होना चाहिए। वर्तमान दौर में बच्चों में भी हिंसा की प्रवृत्ति देखी जाती है। टीवी आदि माध्यमों से भी बच्चों में ऐसे कुसंस्कार आ जाते हैं। बाल पीढ़ी में अहिंसा व करुणा पनपाने के प्रयास किया जाने चाहिए। इसके लिए ज्ञानशाला एक सशक्त माध्यम है। बच्चों में ज्ञान और संस्कार का बीजरोपण किया जाना चाहिए। बच्चे समस्या नहीं समाधान बने, उन्हें धर्म का बोध मिले। आचार्य ने कहा कि नशा भी अपराध की ओर धकेलता है। नशे के कारण घर-परिवार में लोग दु:खी हो जाते हैं। अणुव्रत शिक्षक संस्थान के भीकमचंद नखत व अन्य सहयोगियों ने अलग-अलग शहरों व कस्बों से नशा मुक्ति के लाखों संकल्प पत्र भेंट किए। नखत ने कहा कि अब तक एक करोड़ संकल्प पत्र आचार्य को भेंट किए। इस अवसर पर दूरदर्शन के पूर्व अधिकारी मधुकर लेले ने अपने विचार व्यक्त किए। तेरापंथ सभा सूरत की ओर से सूरत चातुर्मास की मांग को लेकर एक रैली वीतराग समवसरण में पहुंची। इस अवसर पर तेरापंथ सभा सूरत के अध्यक्ष विमल राठौड़, तेयुप अध्यक्ष कांति सिसोदिया, महिला मंडल पूर्व अध्यक्ष रीना राठौड़, सभा ट्रस्ट के सुआलाल बोल्या, अणुव्रत समिति के अर्जुन मेड़तवाल, प्रवीण भाई मेहता, गणपत भंसाली, ज्ञानशाला के दिनेश राठौड़, कन्या मंडल, किशोर मंडल सदस्यों ने अपनी प्रस्तुति दी। पूर्व विधायक तारा भंडारी ने भी कन्या भ्रूण हत्या से बचने का आह्वान किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि हिमांशु कुमार व मंत्री प्रकाश डाकलिया ने किया।

जसोल. धर्मसभा को संबोधित करते आचार्य महाश्रमण व कार्यक्रम में उपस्थित श्रावक-श्राविकाएं।

Sources

ShortNews in English:
Sushil Bafana

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